The 7 Habits Of Highly Effective People Summary in Hindi (Complete)

The 7 Habits of Highly Effective People Book Summary In Hindi
The 7 Habits of Highly Effective People Summary in Hindi

Table of Contents

Introduction- The 7 Habits of Highly Effective People Summary in Hindi

हेलो दोस्तों, स्वागत है आपका The 7 Habits of Highly Effective People Summary in Hindi में।

दोस्तों, The 7 Habits of Highly Effective People एक सेल्फ-हेल्प बुक है जिसे Stephen R. Covey ने 1989 में लिखा था। ये बुक एक इंटरनेशनल बेस्ट सेलर है। इस बुक में ऑथर ने ऐसी सात आदतों के बारे में बताया है जो पर्सनल और प्रोफेशनल ग्रोथ के लिए बहुत ही आवश्यक हैं।
पर्सनल ग्रोथ की अगर बात की जाए तो बुक हमें self-aware, responsible बनने और अपनी प्रोडक्टिविटी को बेहतर बनाने में मददगार है वहीँ प्रोफेशनल क्षेत्र में ये हमें बेहतर रिश्ते बनाने, प्रोब्लेम्स के इफेक्टिव सोल्यूशन्स ढूंढने में हमारी मदद करती है।

Stephen R. Covey (1932-2012) अमेरिकन शिक्षक, ऑथर और बिजनेसमैन थे। उन्हें उनकी पुस्तक द 7 हैबिट्स ऑफ हाईली इफेक्टिव पीपल के लिए जाना जाता है। उन्होंने ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री, हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए और यूटा स्टेट यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। वह एक लीडिंग ग्लोबल ट्रेनिंग फर्म, फ्रैंकलिनकोवे के co-founder और उपाध्यक्ष थे।

तो चलिए बिना समय बर्बाद किये शुरू करते हैं The 7 Habits of Highly Effective People Summary in Hindi और देखते हैं के 7 हैबिट्स कौन कौन से हैं।

Habit 1: Be Proactive
(सक्रिय और सतर्क रहिये)

ऑथर स्टीफन कोवे अपनी बुक “द 7 हैबिट्स ऑफ हाईली इफेक्टिव पीपल” में सबसे पहले जिस आदत के बारे में बात करते हैं वो है प्रोएक्टिव रहना यानी सक्रिय रहना। प्रोएक्टिव रहने का मतलब है अपने जीवन और अपने कामों की ज़िम्मेदारी लेना। प्रोएक्टिव लोग अपनी प्रोब्लेम्स का दोष दूसरों को नहीं देते हैं बल्कि वो अपने सपनों को पूरा करने की ज़िम्मेदारी खुद लेते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए काम करते रहते हैं।

जिम्मेदारी लेना

प्रोएक्टिव लोग ये बात समझते हैं की जो कुछ भी उनके जीवन में हो रहा है उसे वह पूरी तरह से नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, लेकिन उन सभी घटनाओं पर वो कैसे रियेक्ट करते हैं ये उनके कण्ट्रोल में है। ऐसे लोग परिस्थतियों के मौहताज न बनकर अपने भाग्य के निर्माता खुद बनते हैं।

Empowerment Through Choice

प्रोएक्टिव होने का मतलब है ये समझना की हमारे पास अपने रिएक्शन को चुनने की चॉइस है। हमें किसी भी घटना पर impulsive या जल्दबाज़ी में कोई रिएक्शन नहीं देना है बल्कि संयम और धैर्यपूर्वक सोच विचार करने के बाद ही अपना रिएक्शन देना है। अगर हम ऐसा कर पाए तो हमारे अंदर ये एहसास पैदा होगा के हम अपने जीवन पर कण्ट्रोल रख सकते हैं।

परिस्थितियों पर नियंत्रण रखें

प्रोएक्टिव होने का एक मतलब है की जब हम किसी परेशानी में होते हैं तो उससे परेशान होने की जगह हम उसे कुछ सीखने और आगे बढ़ने के एक अवसर के रूप में देखें। परेशान होना या फिर परेशानी का डटकर सामना करना दोनों ही ऐसे रिएक्शंस हैं जो हमारे कण्ट्रोल में हैं। हम चुनौतियों को स्वीकार करने और उनसे पार पाने का विकल्प चुन सकते हैं।

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Habit 2: Begin With The End In Mind
(अंत को ध्यान में रखकर शुरुआत कीजिये)

2nd हैबिट जिसका ज़िक्र स्टीफन कोवे अपनी किताब “द 7 हैबिट्स ऑफ हाईली इफेक्टिव पीपल” में करते हैं वो है अपनी मंज़िल का पता होना। हम तभी चलना शुरू कर सकते हैं जब हमें ये पता हो के हमें जाना कहाँ है, अन्यथा चलने के कोई महत्त्व नहीं रह जाता।

इस आदत के लिए 2 चीज़ें ज़रूरी हैं- पहला अपने जीवन में स्पष्ट लक्ष्य का होना और दूसरा पर्सनल मिशन स्टेटमेंट बनाना कहती है कि चलना शुरू करने से पहले यह जानना जरूरी है कि आप कहां जा रहे हैं। इसका मतलब है स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करना और एक व्यक्तिगत मिशन वक्तव्य बनाना। जब आपको ये पता होगा के आप जीवन में क्या हासिल करना चाहते हैं, तो आपके सफल होने की अधिक संभावना है।

स्पष्ट लक्ष्य

स्पष्ट लक्ष्य (Clear Goals) निर्धारित करने का मतलब यह की आपके गोल्स स्पेसिफिक, measurable , achievable, relevant और टाइम-बाउंड होने चाहिए। इससे हमें अपने गोल्स पर फोकस्सड और मोटिवेटेड रहने में मदद मिलती है।

पर्सनल मिशन स्टेटमेंट

पर्सनल मिशन स्टेटमेंट हमें बताता है के हम जीवन में क्या हासिल करना चाहते हैं। इससे हमें फोकस्सड और मोटिवेटेड रहने में मदद मिलती है और यह हमारी वैल्यूज के अनुरूप निर्णय लेने में हमारी मदद करता है।

पर्सनल मिशन स्टेटमेंट लिखने के लिए ऑथर ने हमें कुछ टिप्स दी हैं जो इस प्रकार हैं –

  • Be Specific– साफ़ शब्दों में लिखें की आप अपने जीवन में क्या हासिल करना चाहते हैं? और आपकी नैतिक values क्या हैं ?
  • Be Concise– मिशन स्टेटमेंट कोई बहुत बहुत लम्बा चौड़ा डॉक्यूमेंट नहीं है इसलिए इसका संक्षिप्त और सटीक होना ज़रूरी है।
  • Be Positive– मिशन स्टेटमेंट ऐसा होना चाहिए जो आपको मोटीवेट और inspire कर सके इसलिए इसका पॉजिटिव होना भी ज़रूरी है।
  • Be Realistic– ऐसा न हो के आप मिशन स्टेटमेंट में इतनी ambitious चीज़ें लिखे दें जो की हासिल ही न की जा सकें इसलिए इसमें सिर्फ वही चीज़ें लिखें जो हासिल करने योग्य हों।

जब आपको ये पता होगा की आप अपने जीवन में क्या हासिल करना चाहते हैं, तो आप अपने गोल्स के अनुरूप निर्णय ले सकते हैं। जस एक बार आपको ये clarity होगी तो आप अपने जीवन में लिए जाने वाले हर निर्णय का मूल्यांकन इस आधार पर कर सकते हैं कि इससे आपको अपने गोल तक पहुँचने में मदद मिलेगी या नहीं।

उदाहरण के लिए, अगर आप weight lose करना चाहते हैं, तो आप अपने खाने को को इस आधार पर चुन सकते हैं की इससे आपको अपने गोल यानी weight lose करने में मदद मिलेगी या नहीं।

दूसरी ओर, अगर आपके पास अपने गोल्स को लेकर clarity नहीं है तो आप impulsive decisions लेंगे क्योंकि आपके पास अपनी पसंद का मूल्यांकन करने के लिए कुछ नहीं होगा।

उदाहरण के लिए, अगर वज़न काम करना जैसा आपका कोई गोल नहीं है तो आपके सामने जो भी आएगा आप बिना सोचे समझे वह खा लेंगे क्योंकि आप अपनी पसंद के परिणामों के बारे में नहीं सोचेंगे।

अपने गोल्स के बारे में clarity रखने से हमें बेहतर निर्णय लेने और उन्हें पाने में मदद मिल सकती है।

Habit 3: Put First Things First
(जरूरी कार्यों को प्राथमिकता दें)

स्टीफन कोवे अपनी बुक द 7 हैबिट्स ऑफ हाईली इफेक्टिव पीपल में लोगों को पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को बेहतर बनाने के लिए जिन सात आदतों का ज़िक्र करते हैं उसमे हैबिट 3 को सबसे ज़्यादा ज़रूरी हैबिट्स में एक माना गया है क्योंकि यह बाकि सभी हैबिट्स की नींव है।

यह हैबिट अपने काम को prioritize करने के बारे में है मतलब उन काम को पहले करना जो हमारे लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी हैं। इसका एक मतलब यह भी है की ग़ैर ज़रूरी कामोँ को ख़ुद न करके उन्हें डेलिगेट करके दूसरों से कराना। ऐसा करने के लिए हमें अपने सबसे ज़्यादा कामों के लिए टाइम फिक्स करना होगा और अपने शेड्यूल पर टिके भी रहना होगा।

Prioritization

Prioritization या प्राथमिकता सेट करना एक ऐसा प्रोसेस है जिसमे यह तय किया जाता है की कौन सा काम सबसे ज़्यादा ज़रूरी है और उस काम को सबसे पहले किया जाता है। अगर आपको गोल की समझ होती है, तो आप अपने काम को आसानी से prioritize कर सकते हैं क्यूंकि आपको पता होता है की आप किस दिशा में काम कर रहे हैं।

टालमटोल दूर कैसे करें

उदाहरण के लिए, अगर आप वजन कम करना चाहते हैं, तो आप healthy food और एक्सरसाइज को प्राथमिकता दे सकते हैं। चीज़ों को prioritize करने से न सिर्फ मोटिवेटेड रहने में मदद मिलती है बल्कि अपने गोल तक भी जल्दी पहुंचा जा सकता है।

दूसरी ओर, अगर आपके पास कोई स्पेसिफिक गोल नहीं है, तो आप अपने काम को prioritize भी नहीं पाएंगे क्योंकि ऐसी स्थिति में आपको ये पता ही नहीं होगा के आपके लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी क्या है और आप ऐसी चीज़ों पर समय बर्बाद कर सकते हैं जो ज़रूरी नहीं हैं।

टाइम मैनेजमेंट मैट्रिक्स

अपने काम को prioritize करने के लिए ऑथर हमें “टाइम मैनेजमेंट मैट्रिक्स” के बारे में बताते हैं, जो हमारे कामों को चार categories में डिवाइड करती है: Urgent and Important, Not Urgent but Important, Urgent but Not Important, और Not Urgent and Not Important। अगर हम इस टाइम मैट्रिक्स को फॉलो करके अपने काम को इस तरह समझदारी से arrange कर पाए तो हम अपने काम को उनकी इम्पोर्टेंस के हिसाब से समय देकर अपनी खुद की प्रोडक्टिविटी को बेहतर बना सकते हैं।

The 7 Habits of Highly Effective People- Time Management Matrix
  • Quadrant 1 – Urgent और Important: ये ऐसे काम हैं जिनपर हमें इमीडियेट एक्शन लेना चाहिए क्यूंकि ये एक निर्धारित समय सीमा के अंदर ही पूरे हैं, जैसे की कोई इमरजेंसी या टाइम बाउंड प्रोजेक्ट्स।
  • Quadrant 2 – Not Urgent लेकिन Important: ये ऐसे काम हैं जो ज़रूरी तो हैं लेकिन उनके लिए समय की कोई सीमा नहीं है, जैसे कि काम की प्लानिंग करना, रिलेशनशिप बनना और पर्सनल डेवलपमेंट।
  • Quadrant 3 – Urgent लेकिन Important नहीं: ये ऐसे काम हैं जो हमें हमें अर्जेंट लगते हैं लेकिन इनका हमारे गोल्स से कोई लेना देना नहीं है, क्यूंकि इन्हे करने या नहीं करने का असर हमारे गोल्स पर नहीं पड़ेगा, जैसे interruptions, कॉल्स, इमेल्स, मीटिंग इत्यादि।
  • Quadrant 4 – न तो Urgent और न ही Important: ये ऐसे काम हैं जो हमारा टाइम वेस्ट करते हैं और हमारी प्रोडक्टिविटी को बेकार करते हैं जैसे टीवी, सोशल मीडिया इत्यादि।

टाइम मैनेजमेंट की ज़रुरत

अगर हम गौर करें तो टाइम यानी समय एक लिमिटेड रिसोर्स है, और इसे सही ढंग से मैनेज करके हम अपनी प्रोडक्टिविटी को बढ़ा सकते हैं। हैबिट 3 सिखाती है के हमें ऐसे कामोँ पर समय बिताना चाहिए जो हमारे लिए ज़रूरी हैं और जिन्हे करने से हम अपने गोल्स तक पहुँचने में मदद मिलेगी। इतना ही नहीं हम अपने टाइम को बेहतर ढंग से मैनेज करके अपने स्ट्रेस को काम कर सकते हैं और एक वर्क-लाइफ बैलेंस हासिल कर सकते हैं।

Habit 4: Think Win-Win
(सबकी जीत के बारे में सोचें)

बुक में दी गयी 4th हैबिट है- विन-विन सोचना। विन विन का मतलब है ऐसे सोलूशन्स ढूंढना जो इसमें शामिल सभी लोगों के लिए फायदेमंद हों। विन विन तभी सोचा जा सकता है जब हम दूसरों के साथ समझौता करने और सहयोग करने के लिए तैयार हों। असल में विन विन सोचना एक mindset है जिसका मकसद है सभी लोगों के लिए पॉजिटिव रिजल्ट्स के बारे में सोचना, यह हैबिट रिश्तों को मज़बूत बनाने में सहायक हो सकती है।

विन-विन का उलट है विन-लूज़ सोचना जिसमे एक व्यक्ति जीतता है और दूसरा व्यक्ति हारता है। यह मानसिकता संघर्ष और आक्रोश पैदा कर सकती है।

विन-विन mindset वाले लोग मानते हैं की जीतने के लिए कम्पटीशन की ज़रुरत नहीं है और बिना compete किये भी जीता जा सकता है। ऐसे सोलूशन्स ढूंढकर जिनसे सभी को लाभ हो, हम एक कोआपरेटिव और प्रोडक्टिव वातावरण बना सकते हैं।

कोलैबोरेशन (सहयोग) का महत्व

हैबिट 4 कहती है की गोल्स को हासिल करने के लिए अक्सर सहयोग की ज़रुरत पड़ती है। विन-विन mindset को अपनाकर हम बेहतर तरह से बात करना सीख सकते हैं, एक अच्छे listener बन सकते हैं और दूसरों को अच्छे ढंग से समझ सकते हैं। इस collaborative अप्प्रोच से पॉजिटिव और प्रोडक्टिव वातावरण बनाने में मदद मिलती है।

सकारात्मक रिश्ते

विन-विन mindset रिश्तों के लिए भी बहुत मददगार साबित होती है और इससे रिश्तों में सकारात्मकता और मज़बूती आती है। जब हम ऐसे सोलूशन्स ढूंढते हैं जो सबके लिए फायदेमंद हो तो इससे विश्वास और सम्मान बढ़ता है। इससे ओपन कम्युनिकेशन को और collaborative एप्रोच को बढ़ावा मिलता है।

Habit 5: Seek First to Understand, Then to Be Understood
(पहले समझने की कोशिश करो फिर समझे जाने की)

हैबिट 5 कहती है की हमें बिना judgmental हुए और अपने biases को किनारे रखकर दूसरों की बात को सुनना और समझना चाहिए और उनके पॉइंट ऑफ़ व्यू को समझने की कोशिश करनी चाहिए।

अगर हम दूसरों की बात को सहानुभूतिपूर्वक सुनें और उनकी फीलिंग्स और व्यू पॉइंट को समझने की कोशिश करें तो ये एक बहुत ही अच्छी कम्युनिकेशन तकनीक के रूप में काम करता है। इतना ही नहीं दूसरों की बात सुनकर हम उन्हें ये एहसास दिला सकते हैं की हमें उनकी परवाह है। हम ये जानना चाहते हैं की वे क्या कहना चाहते हैं और हम चीजों को उनके नज़रिये से देखने की कोशिश कर रहे हैं।

दूसरों को समझकर हम बेहतर रिश्ते बना सकते हैं, कन्फ्लिक्ट्स को सुलझा सकते हैं और बेहतर निर्णय ले सकते हैं। जब हम दूसरों को समझने की कोशिश करते हैं, तो हम चीजों को उनके दृष्टिकोण से देखने और ऐसे समाधान ढूंढ सकते हैं जो इसमें शामिल सभी लोगों के लिए काम करते हैं।

सुनने के कौशल को बेहतर बनाने और हैबिट 5 की प्रैक्टिस करने के लिए कुछ उपयोगी टिप्स इस प्रकार हैं:

  • अपना पूरा ध्यान दें– किसी से बात करते समय अपना पूरा ध्यान उनकी तरफ दें और ऐसी चीज़ें जो आपका ध्यान भटका सकती हैं उन्हें दूर रखें जैसे की फ़ोन आदि। जब दूसरा व्यक्ति बात कर रहा हो तो उनकी आँखों में आँखें डालकर उनकी बात को सुनें।
  • नॉन वर्बल cues जैसे सिर हिलाना और आंखों का संपर्क बनाए रखें– जब आप बात सुनते समय बीच बीच में अपना सर हिलाते हैं और ऑय कांटेक्ट बनाये रखते हैं तो बोलने वाले व्यक्ति को पता चलता है कि आप सुन रहे हैं और वे जो कह रहे हैं आप उसमें रुचि रखते हैं।
  • बीच में न बोलें– बीच में बोलने से लगता है की आप उनकी बात सुनने में इंटरेस्टेड नहीं हैं और जो वो कहना चाहते हैं उसमे आपकी कोई दिलचस्पी नहीं है।
  • ओपन-एंडेड प्रश्न पूछें– आपके मन में जो सवाल आएं उन्हें पूछने से न हिचकिचाएं क्यूंकि ऐसा करने से उनके परिप्रेक्ष्य को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।

Habit 6: Synergize
(तालमेल बनाइये)

हैबिट 6 टीम वर्क और कोलैबोरेशन की पावर में बात करती है। इस हैबिट वाले लोग मानते हैं की किन्ही 2 चीज़ों को जोड़कर जो टोटल आता है वह जुड़ने वाली इंडिविजुअल चीज़ों से हमेशा बड़ा होता है। इसका मतलब ये है की जब लोग एक साथ अपने आइडियाज शेयर करके काम करते हैं, तो इस टीम वर्क से बानी हुई चीज़ उससे बेहतर होगी जो वो इंडिविजुअली बनाते।

सिनर्जी एक ऐसा संयुक्त प्रयास है जिससे बेहतर परिणाम मिलते हैं। तालमेल का फायदा यह है कि जब लोग एक साथ मिलकर काम करते हैं, तो वे अपने दम पर जितना हासिल कर सकते थे, उससे कहीं अधिक हासिल कर सकते हैं।

सिनर्जी को समझना

सिनर्जी म्यूच्यूअल डिपेंडेंस के प्रिंसिपल पर आधारित है। इसका मतलब है कि सफलता तभी संभव है जब उसके लिए हरेक व्यक्ति योगदान दे। जब लोग सिनर्जिस्टिक तरीके से एक साथ काम करते हैं, तो वे अपने दम पर जितना हासिल कर सकते थे, उससे कहीं अधिक हासिल कर सकते हैं।

सिनर्जी के कुछ फायदे इस प्रकार हैं-

  • क्रिएटिविटी और इनोवेशन– किसी टीम में जब अलग-अलग बैकग्राउंड और अलग-अलग तरह के एक्सपीरियंस वाले लोग एक साथ आते हैं, तो उनका टीम आउटपुट क्रिएटिव और इनोवेटिव होता है ।
  • बेहतर समस्या-समाधान– जब लोग एक साथ काम करते हैं, तो वे समस्याओं का समाधान करने के लिए अपना अपन अनुभव और ज्ञान शेयर कर सकते हैं जिससे समस्या को जल्दी हल किया जा सकता है।
  • बेहतर निर्णय लेने की क्षमता– अलग-अलग दृष्टिकोण वाले लोग किसी मुद्दे के सभी पक्षों पर विचार करके बेहतर निर्णय ले सकते हैं।
  • उत्पादकता में वृद्धि– जब लोग एक साथ काम करते हैं, तो वे काम और जिम्मेदारियों को आपस में शेयर कर सकते हैं जिससे उनकी प्रोडक्टिविटी बढ़ती है।
  • बेहतर कम्युनिकेशन– जब लोग एक साथ काम करते हैं, तो उन्हें अपने काम को पूरा करने के लिए एक दुसरे से प्रभावी ढंग से संवाद करने की आवश्यकता होती है जिससे उनकी कम्युनिकेशन स्किल्स बेहतर बनती हैं।

Habit 7: Sharpen The Saw
(कौशल विकसित करते रहिये)

स्टीवन कोवे जिस 7th हैबिट का ज़ीर अपनी बुक में करते हैं वो है शार्पन योर सॉ जिसका मतलब है की जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसी की शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक, में खुद का ख्याल रखना। ऐसा करके हम जीवन का बेहतर धनाग से सामना कर साकेत हैं और एक खुशहाल जीवन जी सकते हैं।

The 7 Habits of Highly Effective People-Sharpen Your Saw

सेल्फ-रिन्यूअल क्यों ज़रूरी है

हमारे शरीर, मन, भावनाओं इत्यादि को सही ढंग से काम करने के लिए समय समय पर रिन्यूअल की ज़रुरत पड़ती है और जब हम इन चीज़ों को अनदेखा करके लगातार काम करते रहते हैं तो हम थकान, तनाव, चिंता और अवसाद का अनुभव कर सकते हैं। इसका सीधा असर हमारे काम और हमारी प्रोडक्टिविटी पर पड़ता है।

शारीरिक सेल्फ-रिन्यूअल के लिए स्वस्थ भोजन करना, पर्याप्त नींद लेना और नियमित व्यायाम करना ज़रूरी है। मानसिक सेल्फ-रिन्यूअल में पढ़ना, नई चीजें सीखना, रेस्ट करना और ध्यान के लिए समय निकालना शामिल है। इमोशनल सेल्फ-रिन्यूअल में अपने प्रियजनों के साथ समय बिताना, अपने पसंदीदा काम करना, और अपनी भावनाओं को स्वस्थ तरीके से व्यक्त करना शामिल है। स्पिरिचुअल सेल्फ-रिन्यूअल में अपने फेथ के साथ जुड़ना, कृतज्ञता का अभ्यास करना और नेचर के साथ समय बिताना शामिल है।

एक संतुलित और स्वस्थ जीवनशैली के लिए कुछ टिप्स इस प्रकार हैं-

  • डेली अपने लिए समय निकालें– एक अच्छे जीवन के लिए ज़रूरी है के आप रोज़ अपने लिए समय निकालें और अलग अलग एक्टिविटीज़ जैसे की योग सीखना, टहलना, किताब पढ़ना या प्रियजनों के साथ समय बिताना आदि कर सकते हैं।
  • स्वस्थ भोजन– अच्छा और स्वस्थ भोजन जैसे की फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज प्रचुर मात्रा में खाएँ। प्रोसेस्ड फ़ूड प्रोडक्ट्स, शर्करा युक्त पेय और unhealthy फैट को कम खाएँ।
  • पर्याप्त नींद लें– विभिन्न साइंटिफिक स्टडीज कहती हैं की एडल्ट्स को रोज़ 7-8 घंटे की नींद अवश्य लेनी चाहिए और आप भी ऐसा ज़रूर करें।
  • नियमित रूप से व्यायाम करें– एक ऐसा रूटीन बनाएं जिसमे आपको हफ्ते में 3-4 दिन कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज कर का समय मिले।
  • आराम करें और तनाव को दूर रखें– आराम करने से भी तनाव को फायदा मिल सकता है, इसके अलावा भी आप गर्म स्नान करके, संगीत सुनकर या प्रकृति के साथ समय बिताकर तनाव को दूर कर सकते हैं।
  • प्रियजनों के साथ समय बिताएं– जीवन में प्रियजनों जैसा कोई भी नहीं है इसलिए उनके साथ जितना हो सके समय बिताएं क्यूंकि सामाजिक मेलजोल हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है।

Conclusion
(सारांश)

तो दोस्तों ये थी The 7 Habits of Highly Effective People Summary in Hindi

दोस्तों, इस आर्टिकल में दी गयी सभी आदतें आपके पर्सनल और प्रोफेशनल डेवलपमेंट में सहायक हो सकती हैं। जैसे की अगर आप अच्छा खाना खाएंगे और नियमित व्यायाम करेंगे तो आपके शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है, जिससे आपका एनर्जी लेवल बढ़ेगा, आप अपने काम पर बेहतर फोकस कर पाएंगे और साथ ही साथ आपका इम्यून सिस्टम भी बेहतर बनेगा। अगर आप पढ़ने और कुछ नया सीखने की आदत डाल लेते हैं तो आपकी नॉलेज इम्प्रूव होगी और साथ ही साथ आपकी स्किल्स भी डेवेलप होंगी जिससे आपको करियर में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। मैडिटेशन और अपने प्रियजनों के साथ समय बिताने से आपका स्ट्रेस लेवल काम होगा जिससे आप एक खुशाल जीवन जी सकते हैं।

दोस्तों, आप भी इन आदतों को अपने जीवन में ज़रूर शामिल करने का प्रयास कीजिये। ज़रूरी नहीं के आप सभी आदतों को एक साथ अपने जीवन में शामिल करें आप छोटी शुरआत करके आगे बढ़ सकते हैं।

अच्छी आदतें कैसे अपनाएं ?

दोस्तों इन आदतों को अपने जीवन में शामिल करके आपके जीवन में भी पॉजिटिव बदलाव आ सकता है। समय के साथ, आप अधिक स्वस्थ, अधिक जानकार, अधिक भावनात्मक रूप से संतुलित और ख़ुद से बेहतर तरह से जुड़ पाएंगे। इतना ही नहीं आप अपने करियर में भी अधिक उत्पादक और सफल होंगे। दोस्तों एक अच्छा जीवन जीने के लिए आप भी आज से ही इन आदतों का अभ्यास शुरू करें!

दोस्तों आशा है के ये बुक समरी आपको पसंद आयी होगी। इसे अपने फॅमिली और फ्रेंड्स के साथ शेयर करें जिससे वो भी कुछ नया सीख सकें। समरी को पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद !

Frequently Asked Questions
(अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

अत्यधिक प्रभावी लोगों की 7 आदतें क्या हैं और उनका क्या मतलब है?

अत्यधिक प्रभावी लोगों की 7 आदतें हैं:
आदत 1: सक्रिय रहें (आप प्रभारी हैं)
आदत 2: अंत को ध्यान में रखकर शुरुआत करें (एक योजना बनाएं)
आदत 3: पहले चीज़ें पहले रखो (पहले काम करो, फिर खेलो)
आदत 4: जीत-जीत सोचो (हर कोई जीत सकता है)
आदत 5: पहले समझने की कोशिश करें, फिर समझे जाने की (बात करने से पहले सुनें)
आदत 6: तालमेल बिठाना (साथ में रहना बेहतर है)
आदत 7: आरी को तेज करें (खुद को अपडेट करते रहें)

मुझे अत्यधिक प्रभावी लोगों की 7 आदतें क्यों पढ़नी चाहिए?

आपको “अत्यधिक प्रभावी लोगों की 7 आदतें” कई कारणों से पढ़नी चाहिए जिनमे से कुछ नीचे दिए गए हैं :
पर्सनल डेवलपमेंट और ग्रोथ: पुस्तक व्यक्तिगत विकास और विकास के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करती है जो व्यक्तियों को अपने जीवन में अधिक प्रभावी, उद्देश्यपूर्ण और पूर्ण बनने में सक्षम बनाती है। सात आदतों का अभ्यास करके आप अधिक सक्रिय, लक्ष्य-उन्मुख और सफल व्यक्ति बन सकते हैं।
बेहतर रिश्ते: किताब विश्वास, सम्मान और सहानुभूति के आधार पर मजबूत रिश्ते बनाने के महत्व पर जोर देती है। समझे जाने से पहले दूसरों को समझने की आदत का अभ्यास करके, आप अपने संचार कौशल में सुधार कर सकते हैं और अपने आसपास के लोगों के साथ मजबूत संबंध बना सकते हैं।
बेहतर प्रोडक्टिविटी: पुस्तक आपके मूल्यों और लक्ष्यों के आधार पर आपके समय और ऊर्जा को प्राथमिकता देने के तरीके पर व्यावहारिक सलाह प्रदान करती है। पहले चीजों को पहले रखने की आदत का अभ्यास करके, आप अधिक उत्पादक और केंद्रित बन सकते हैं, और अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
यूनिवर्सल प्रिंसिपल्स: सात आदतें सार्वभौमिक सिद्धांतों पर आधारित हैं जो परिवार, कार्य और समुदाय सहित जीवन के सभी क्षेत्रों पर लागू होती हैं। इन आदतों का अभ्यास करके आप मूल्यों और सिद्धांतों की एक मजबूत नींव विकसित कर सकते हैं जो आपके जीवन के सभी पहलुओं में आपके कार्यों और निर्णयों का मार्गदर्शन करेंगे।
Timeless wisdom : “अत्यधिक प्रभावी लोगों की 7 आदतें” व्यक्तिगत विकास के क्षेत्र में एक क्लासिक बन गई हैं, और दुनिया भर के लाखों लोगों को अपने जीवन में सुधार करने के लिए प्रेरित किया है। पुस्तक कालातीत ज्ञान और व्यावहारिक सलाह प्रदान करती है जो आज भी प्रासंगिक और मूल्यवान है।
कुल मिलाकर, “अत्यधिक प्रभावी लोगों की 7 आदतें” किसी के लिए भी एक मूल्यवान संसाधन है जो अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में सुधार करना चाहता है, और चरित्र और सिद्धांतों को विकसित करना चाहता है जो अधिक सफलता और खुशी की ओर ले जाता है।

What is the main purpose of the 7 Habits?

“अत्यधिक प्रभावी लोगों की 7 आदतें” का मुख्य उद्देश्य व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करना है जो व्यक्तियों को अपने जीवन में अधिक प्रभावी, उद्देश्यपूर्ण और पूर्ण बनने में सक्षम बनाता है। पुस्तक मजबूत संबंधों के निर्माण, व्यक्तिगत मूल्यों और लक्ष्यों को स्पष्ट करने, और निरंतर सीखने और आत्म-प्रतिबिंब के माध्यम से स्वयं को सुधारने के महत्व पर जोर देती है।

What I learned from 7 Habits of Highly Effective People?

“अत्यधिक प्रभावी लोगों की 7 आदतें” की प्रमुख सीख यह है कि सफलता केवल बाहरी लक्ष्यों को प्राप्त करने के बारे में नहीं है, बल्कि आंतरिक गुणों और चरित्र को विकसित करने के बारे में है जो हमें एक पूर्ण और सार्थक जीवन जीने में सक्षम बनाती हैं।

What is the first habit of 7 Habits summary?

The 7 Habits of Highly Effective People Book Summary in Hindi” की पहली आदत है “सक्रिय रहें।” यह आदत आपके जीवन और कार्यों की जिम्मेदारी लेने के बारे में है, न कि बाहरी परिस्थितियों या अन्य लोगों के व्यवहार से नियंत्रित होने के लिए। कोवे के अनुसार, सक्रिय व्यक्ति अपनी ऊर्जा को उन चीजों पर केंद्रित करते हैं जिन्हें वे नियंत्रित कर सकते हैं, जैसे कि उनके दृष्टिकोण, विश्वास और कार्य, बजाय उन चीजों पर जिन्हें वे नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, जैसे कि अन्य लोगों की राय या मौसम।

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