Introduction- Attitude Is Everything Book Summary in Hindi (परिचय)
हेलो दोस्तों, स्वागत है आपका Attitude Is Everything Book Summary In Hindi में ।
दोस्तों, जेफ केलर द्वारा लिखित “एटिट्यूड इज एवरीथिंग” एक सेल्फ हेल्प बुक है जो हमारे एट्टीट्यूड की पावर के बारे में बताती और साथ ही साथ ये भी बताती है के कैसे हमारा एट्टीट्यूड हमारे जीवन को प्रभावित कर सकता है। एट्टीट्यूड एक ऐसा तरीक़ा है जिससे हम अपने बारे में, दूसरों के बारे में और अपने आस पास की दुनिया के बारे में सोचते और महसूस करते हैं। यह एक मेन्टल और इमोशनल स्तिथि है जिसका असर हमारे विचारों, भावनाओं और बिहेवियर पर पड़ता है।
हमारा एट्टीट्यूड इसलिए आवश्यक है क्यूंकि हमारे जीवन के सभी क्षेत्रों जैसे रिश्ते, करियर, स्वस्थ्य इत्यादि को प्रभावित करता है। ऑथर का कहना है की जीवन में सफल होने के लिए पॉजिटिव एट्टीट्यूड आवश्यक है।
पॉजिटिव एट्टीट्यूड हमारी कई प्रकार से सहायता कर सकता है, जैसे की-
- चुनौतियों का सामना करने में
- अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में
- रिश्तों को मज़बूत बनाने में
- बेहतर जीवन जीने में
वहीँ दूसरी ओर, एक नकारात्मक रवैया हमें आगे बढ़ने से और अपनी क्षमता का दोहन करने से रोक सकता है। इसके और भी कई नुकसान हैं जैसे की-
- सेल्फ-डाउट पैदा करता है स्व संदेह
- टालमटोल की आदत पड़ जाती है
- रिश्तों में मुश्किलें आने लगती हैं कठिनाई
- स्वस्थ्य भी ख़राब रहने लगता है
जेफ केलर एक मोटिवेशनल स्पीकर और लेखक हैं, जिन्होंने 30 साल से अधिक समय तक एटीट्यूड की शक्ति और यह कैसे हमारे जीवन को प्रभावित कर सकता है, का अध्ययन किया है। वे व्यक्तिगत विकास पर कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें “एटीट्यूड इज एवरीथिंग” भी शामिल है।
तो आइये बिना समय व्यतीत किये शुरू करते हैं Attitude Is Everything Book Summary In Hindi
Understanding Attitude (मनोवृत्ति को समझना)
मनोवृत्ति का एबीसी मॉडल
एट्टीट्यूड को समझने के लिए मनोवैज्ञानिक एबीसी मॉडल का उपयोग करते हैं जोकि इस प्रकार है –
- प्रभाव (Affect): किसी चीज़ के बारे में हमारी भावनाएँ
- व्यवहार (Behavior): किसी चीज़ के प्रति हमारा व्यवहार या हमारे एक्शन्स
- अनुभूति (Cognition): किसी चीज़ के बारे में हमारे विचार और विश्वास
यह मॉडल कहता है की हमारा एट्टीट्यूड यानी हमारा दृष्टिकोण हमारे प्रभाव, व्यवहार और अनुभूति से मिलकर बना होता है।
मनोवृत्ति के प्रकार
अलग अलग लोगों का एट्टीट्यूड भी अलग प्रकार है। मनोवैज्ञानिकों ने कुछ प्रमुख एट्टीट्यूड को इस प्रकार वर्गीकृत किया है –
- सकारात्मक दृष्टिकोण (Positive Attitude)– सकारात्मक दृष्टिकोण वाला व्यक्ति ऑप्टिमिस्म, आशा और उत्साह से जीता है और वह चीज़ों में अच्छे देखते हैं तथा अपने जीवन के सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान देते हैं।
- नकारात्मक दृष्टिकोण (Negative Attitude)– ऐसे लोग निराशावाद, सैनिसिस्म और निराशा में जीते हैं। ये लोग हर चीज़ में बुराई ढूंढते हैं और अपने जीवन के भी नकारात्मक पहलुओं पर ध्यान देते हैं।
- तटस्थ दृष्टिकोण (Neutral Attitude)– ऐसे लोगों का न तो किसी चीज़ के प्रति सकारात्मक रवैया होता है और न ही नकारात्मक और ये एक प्रकार एक उदासीन लोग होते हैं।
हमारा नजरिया कैसे बनता है
हमारे नज़रिये को बनाने में बहुत से फैक्टर्स होते हैं जिनमे से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं-
- अनुभव (Experience): हमारे व्यक्तिगत अनुभव हमारे दृष्टिकोण को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए, यदि हमें जीवन में बहुत सारे सकारात्मक अनुभव हुए हैं, तो इस बात की अधिक सम्भावना है की हमारा दृष्टिकोण भी सकारात्मक होगा।
- परवरिश Upbringing): हमारी परवरिश भी हमारे दृष्टिकोण को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उदाहरण के लिए, यदि हमारा पालन-पोषण सकारात्मक और सहयोगी माता-पिता ने किया है, तो हमारे सकारात्मक दृष्टिकोण रखने की अधिक संभावना है।
- संस्कृति (Culture): हमारी संस्कृति भी हमारे दृष्टिकोण को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, कुछ संस्कृतियाँ सकारात्मकता और आशावाद को अधिक महत्व देती हैं, जबकि अन्य संस्कृतियाँ यथार्थवाद और व्यावहारिकता को अधिक महत्व देती हैं।
एट्टीट्यूड कैसे बदलें
ध्यान रखने योग्य बात यह है की हमारा एट्टीट्यूड पत्थर की लकीर नहीं है, कहने के मतलब है की इसे बदलना संभव है। एट्टीट्यूड को बदलने के लिए काफी सारी चीज़ें की जा सकती हैं जिनमे से कुछ इस प्रकार हैं-
- सकारात्मक पर ध्यान केंद्रित करना– अगर आप अपना नजरिया बदलना चाहते हैं तो आपको आपको अपने जीवन के सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसका मतलब है कि आपके साथ जो अच्छी चीज़ें होती हैं उनपर ध्यान देना और जो कुछ आपके पास है उसके लिए आभार व्यक्त करना।
- सकारात्मक लोगों के साथ रहना– जिन लोगों के साथ हम समय बिताते हैं, वे हमारे दृष्टिकोण पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं। सकारात्मक लोगों के साथ रहने से हमें अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद मिल सकती है।
- कृतज्ञता का अभ्यास– कृतज्ञता हमारे दृष्टिकोण को बदलने में महत्वपूर्ण रोल निभाती है। जब हम कृतज्ञता का अभ्यास करते हैं, तो हम अपने जीवन में अच्छी चीजों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और जो हमारे पास है उसे appreciate करते हैं। इससे हमें जीवन के प्रति अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद मिल सकती है।
The Impact of Attitude (मनोवृत्ति का प्रभाव)
हमारे एट्टीट्यूड का हमारे करियर, रिश्ते, स्वास्थ्य और खुशी सहित हमारे जीवन के सभी क्षेत्रों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है।
करियर
पॉजिटिव एट्टीट्यूड रखने वाले लोग अपने करियर में सफल होने की ज़्यादा संभावना रखते हैं। ऐसे लोग मोटिवेटेड होने के साथ साथ अधिक प्रोडक्टिव भी होते हैं तथा अपने सहकर्मियों और ग्राहकों के साथ भी मजबूत संबंध रखते हैं ।
पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में पाया गया कि सकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोगों को प्रमोशन किए जाने और उच्च वेतन अर्जित करने की अधिक संभावना है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि सकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोगों को नौकरी से थकावट का अनुभव होने की संभावना कम होती है।
रिश्ते
पॉजिटिव एट्टीट्यूड वाले लोगों के मजबूत और स्वस्थ रिश्ते होने की अधिक संभावना होती है। ऐसे लोग सप्पोर्टिव, समझदार और फॉरगिविंग होते हैं तथा उनमे प्रभावी ढंग से संवाद करने और संघर्ष को रचनात्मक ढंग से हल करने का भी हुनर होता है।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के एक अध्ययन में पाया गया कि सकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोगों के विवाहित होने और विवाहित रहने की संभावना अधिक होती है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि सकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोगों की संतोषजनक मित्रता होने की संभावना अधिक होती है।
स्वास्थ्य
सकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोगों के स्वस्थ रहने की संभावना नकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोगों की तुलना में अधिक होती है। वे नियमित रूप से व्यायाम करने, स्वस्थ भोजन खाने और पर्याप्त नींद लेने की अधिक संभावना रखते हैं। उनमें तनाव और कठिन भावनाओं का स्वस्थ तरीके से सामना करने की भी अधिक संभावना होती है।
हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एक अध्ययन में पाया गया कि सकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोगों के लंबे समय तक और स्वस्थ जीवन जीने की संभावना अधिक होती है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि सकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोगों के बीमारी से जल्दी ठीक होने की संभावना अधिक होती है।
ख़ुशी
सकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोग नकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोगों की तुलना में खुश रहने की अधिक संभावना रखते हैं। वे अपने जीवन के सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने और उनके साथ होने वाली अच्छी चीजों को appreciate करने की अधिक संभावना रखते हैं। उनमें चुनौतियों का सामना करने की क्षमता भी अधिक होती है।
मिशिगन विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में पाया गया कि सकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोग अपने जीवन से खुश और संतुष्ट महसूस करने की अधिक संभावना रखते हैं। अध्ययन में यह भी पाया गया कि सकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोगों को अपने जीवन का उद्देश्य और अर्थ पता होता है।
You’re a Human Magnet (आप एक मैगनेट हैं)
जैसा हम सोचते हैं, वैसे हो जाते हैं
अर्ल नाइटिंगेल का मानना था कि सफलता हमारे विचारों से शुरू होती है। उनके अनुसार, ”हम वही बन जाते हैं जिसके बारे में सोचते हैं।” इसका मतलब यह है कि हम अपने विचारों के अनुसार ही काम करते हैं, और हमें हमारे काम का ही फल मिलता है।
महान विचारकों के विचार
नाइटिंगेल ने जो कहा उसे दुनिया का कई महान विचारकों का समर्थन मिला। थिंक एंड ग्रो रिच के लेखक नेपोलियन हिल मानते थे की,
“मन जो सोच सकता है और विश्वास कर सकता है, उसे दिमाग हासिल कर सकता है।”
बाइबिल भी विचारों की शक्ति के बारे में कई जगह ज़िक्र आता है जैसे मैथ्यू 9:29 में कहा गया है की “आपके विश्वास के अनुसार आपका काम होगा।” इसका मतलब यह है कि हमारा विश्वास, या किसी चीज़ में हमारा विश्वास, यह निर्धारित करता है कि हमें क्या मिलेगा।
प्रोवर्बस 23:7 कहता है की “मनुष्य जैसा अपने मन में सोचता है वैसा ही वह बन जाता है।” इसका मतलब यह है की हमारे विचार ही हमारे चरित्र को आकर देते हैं।
मार्क 9:23 के अनुसार, “अगर आप विश्वास कर सकते हैं, तो सब कुछ संभव है।” इसका मतलब यह है कि अगर हमें विश्वास है कि यह संभव है तो कुछ भी संभव है।
प्रसिद्ध अमेरिकी निबंधकार और कवि राल्फ वाल्डो इमर्सन ने कहा, “एक आदमी वही है जिसके बारे में वह पूरे दिन सोचता है।” इसका मतलब यह है कि हमारे विचारो से ही यह तय होता हैं कि हम कौन हैं।
एक अमेरिकी लेखक और न्यू थॉट के प्रणेता रॉबर्ट कोलियर ने कहा, “एक बार जब आप अपने मन में किसी चीज़ को हासिल करने का ठान लेते हैं तो पृथ्वी पर ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे आप प्राप्त नहीं कर सकते।” इसका मतलब यह है कि हम जो भी ठान लें उसे हासिल कर सकते हैं।
हेनरी फोर्ड ने नाइटिंगेल के सिद्धांत को पूरी तरह से अभिव्यक्त करते हुए कहा, “अगर आप सोचते हैं कि आप कर सकते हैं – या सोचते हैं कि आप नहीं कर सकते – आप दोनों ही बातों में सही हैं!” इसका मतलब यह है कि हमारे विचार ही हमारी वास्तविकता का निर्माण करते हैं। अगर हमें विश्वास है कि हम सफल हो सकते हैं, तो हम सफल होंगे। लेकिन अगर हम मानते हैं कि हम सफल नहीं हो सकते, तो हम असफल हो जायेंगे।
यह सिद्धांत कैसे काम करता है
यह सिद्धांत कि “हम वही बन जाते हैं जिसके बारे में हम सोचते हैं” हमारे विचारों के अनुरूप अवसरों और संसाधनों को आकर्षित करके का काम करता है। अगर हम लगातार किसी विशेष लक्ष्य के बारे में सोचते हैं, तो हम उसकी ओर बढ़ने के लिए कदम उठाएंगे।
उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति अपना वज़न कम करना चाहता है तो खुद एक स्वस्थ्य और फिट व्यक्ति के रूप में सोचकर और नियमित रूप से व्यायाम करने और स्वस्थ्य भोजन खाने की कल्पना कर सकता है। जितना ज़्यादा वह इस तरह की चीज़ें सोचेंगे उतनी ज़्यादा सम्भावना इस बात की होगी की वह वज़न घटाने के अपने लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।
प्रमुख (Dominant) विचार दिन पर राज करते हैं
ऑथर हमें बताते हैं की हमारे विचारों का हमारे जीवन पर गहरा असर पड़ता है। जितना ज़्यादा हम किसी विचार के बारे में सोचेंगे उतनी ही ज़्यादा सम्भावना इस बात की होगी के वह विचार हमारे जीवन की सच्चाई बन जाए। इसी को ‘लॉ ऑफ़ डोमिनेट थॉट’ कहा जाता है।
अगर हम अपने जीवन में कुछ अच्छा हासिल करना चाहते हैं तो हमें ये सुनिश्चित करना होगा के हमारे डोमिनेंट यानी के प्रमुख विचार पॉजिटिव हों। इसका मतलब है के अपने गोल्स पे फोकस करना, खुद पर विश्वास रखना और नेगेटिव विचारों को खुद से दूर रखना।
एट्टीट्यूड बनाम एक्शन
ऑथर का मानना है की जीवन में कुछ परिणाम पाने के लिए एक्शन यानी के कार्यवाही ज़रूरी है लेकिन उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है एक सकारात्मक एट्टीट्यूड। पॉजिटिव एट्टीट्यूड ही वह चीज़ है जो हमें खुद पर विश्वास करना सिखाता है और जब हम अपनी क्षमता पर विश्वास रखते हैं तो इस बात की भी ज़्यादा सम्भावना होती है के हम अपने गोल्स को पाने के लिए एक्शन लेंगे।
ऑथर यह भी कहते हैं की हमारी परिस्थितियाँ हमारे विचारोँ का परिणाम होती हैं। अगर हम ख़ुद के बारे में और अपनी क्षमताओं के बारे में नकारात्मक विचार रखेंगे तो हम अपने जीवन में भी नकारात्मक चीज़ों को ही आकर्षित करेंगे और इसके विपरीत अगर हम सकारात्मक विचार रखेंगे तो सकारात्मक चीज़ों को आकर्षित करेंगे। इसलिए अच्छे परिणाम पाने के लिए अच्छे विचार आवश्यक हैं।
अपनी सोच को बदलकर अच्छे परिणाम पाने के लिए ऑथर ने कुछ टिप्स दी हैं जो इस प्रकार हैं –
- आप पूरे दिन ख़ुद से क्या कहते हैं इसपर ध्यान दें और ये सुनिश्चित करें की आप सिर्फ पॉजिटिव बातें ही खुद से कहें।
- ख़ुद के बारे में और अपने गोल्स के बारे में सकारात्मक शब्दों का ही प्रयोग करें।
- रोज़ कुछ सकारात्मक लिटरेचर पढ़ें। जब आप ऐसा रोज़ करेंगे तो ये आपकी सोच का हिस्सा बनकर उसे प्रभावित अवश्य करेगा।
- रोज़ कोई मोटिवेशनल वीडियो देखें या मोटिवेशनल पॉडकास्ट सुनें।
ओवरनाइट सफलता की अपेक्षा न करें
ऑथर हमें समझाते हुए कहते हैं की वैसे तो सकारात्मक सोच सफ़लता के लिए आवश्यक है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है की ये हमें रातोंरात सफ़ल बना देगी। सफलता के लिए प्रयास, प्रतिबद्धता और धैर्य की आवश्यकता होती है।
सकारात्मक सोच का मतलब यह भी नहीं है कि आपको कभी समस्याएँ नहीं होंगी। हालाँकि, यदि आप खुद पर विश्वास रखते हैं, कार्रवाई करते हैं और लगे रहते हैं, तो आप किसी भी बाधा को दूर करने में सक्षम होंगे।
अपने विचारों को बुद्धिमानी से चुनें और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सकारात्मक सोच की शक्ति का उपयोग करें।
Picture Your Way To Success (सफ़लता के रास्ते का मानसिक चित्रण करें)
किसी भी चीज़ को करने से पहले आपको उसे अपने दिमाग में स्पष्ट रूप से देखना होगा।
एलेक्स मॉरिसन
ऑथर का कहना है की सफलता पाने के लिए विज़ुअलआइज़ेशन एक प्रभावी तकनीक है। इसके लिए हम जो हासिल करना चाहते हैं उसकी स्पष्ट तस्वीर अपने मन में बनानी होती है। दूसरे शब्दों में- विज़ुअलाइज़ेशन यह कल्पना करने का एक तरीका है कि आप भविष्य में क्या हासिल करना चाहते हैं। यह आपके दिमाग में एक फिल्म बनाने जैसा है।
दुनिया के सफल एथलीट और सेलेब्रिटीज़ अच्छी परफॉरमेंस देने के लिए विज़ुअलआइज़ेशन का अभ्यास करते हैं, लेकिन यह सिर्फ सेलिब्रिटीज के लिए नहीं है, इसका उपयोग करके कोई भी सफल बन सकता है।
अपने और अपनी क्षमताओं के बारे में हमारी मानसिक छवियां और मान्यताएं बचपन के अनुभवों से बनती हैं। ये मानसिक छवियां, चाहे सकारात्मक हों या नकारात्मक, जीवन में हमारे कार्यों और परिणामों को प्रभावित करती हैं।
हम अपनी मानसिक छवियों पर नियंत्रण रख सकते हैं और अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं को बेहतर बनाने के लिए सचेत रूप से उन्हें चुन सकते हैं और अपडेट कर सकते हैं।
विज़ुअलआइज़ेशन निम्नलिखित तरीकों से हमारी मदद कर सकता है –
- अपने और अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने में।
- खुद को सफल होते हुए देखने से हमारे सफल होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
- जब हम सफल होने की प्रैक्टिस अपने मन में करते हैं तो इस बात की सम्भावना बढ़ जाती है के हम रियल लाइफ में भी बेहतर परफॉर्म करेंगे।
- यूँ तो एथलीट और सेलेब्रिटीज़ विज़ुअलआइज़ेशन का ज़्यादा उपयोग करते हैं क्यूंकि उन्हें हाई लेवल पर परफॉर्म करना होता है लेकिन इसका उपयोग कोई भी कर सकता है।
विज़ुअलआइज़ेशन का उपयोग करने के लिए ऑथर ने निम्नलिखित सुझाव दिए हैं –
- आप जो हासिल करना चाहते हैं उसके बारे में सोचें।
- खुद को उस जगह देखें जहाँ आप जो हासिल करना चाहते हैं वह कर चुके हैं।
- विज़ुअलआइज़ेशन का उपयोग करते समय अपनी सभी senses का उपयोग करें और देखें की आपको क्या दिखाई देता है? क्या सुनाई देता है, क्या फील होता है, क्या टेस्ट होता है और क्या स्मैल होता है।
- सफ़लता के साथ जो पॉजिटिव इमोशंस आते हैं उन्हें महसूस कीजिये।
- विज़ुअलआइज़ेशन का लगातार अभ्यास कीजिये
आप विज़ुअलआइज़ेशन का जितना ज़्यादा अभ्यास करेंगे यह उतना ही प्रभावी होगा।
विज़ुअल रिमाइंडर
ऑथर कहते हैं की विज़ुअल रिमाइंडर हमें हमारे गोल्स को पाने में चमत्कारिक रूप से मदद कर ये हमें फोकस्सड और मोटिवेटेड रहने में हमारी सहायता करते हैं।
विज़ुअल रिमाइंडर का उपयोग करने के लिए ऑथर ने हमारे साथ दो उदाहरण शेयर किये हैं:
- एक निश्चित समय में आप जितना पैसा कमाना चाहते हैं, उसके लिए खुद के नाम एक चेक लिखें। चेक पोस्ट-डेटेड होना चाहिए और इसे ऐसे स्थान पर रखें जहां आप इसे हर दिन देख सकें। इससे आपको अपने लक्ष्य की कल्पना करने और यह विश्वास करने में मदद मिलेगी कि यह संभव है।
- अपने इच्छित पद के साथ एक साइन बनाएँ। साइन को ऐसे स्थान पर लगाएं जहां आप इसे हर दिन देख सकें। इससे आपको अपने लक्ष्य को आत्मसात करने और खुद को उस व्यक्ति के रूप में देखना शुरू करने में मदद मिलेगी जैसा आप बनना चाहते हैं।
यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि विज़ुअल रिमाइंडर कोई जादू की गोली नहीं हैं। यदि आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक कार्य और प्रयास नहीं करते हैं तो वे काम नहीं करेंगे। हालाँकि, वे आपको ट्रैक पर बने रहने और अपने सपनों को हासिल करने में मदद करने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण हो सकते हैं।
Make a Commitment… and You’ll Move Mountains! (प्रतिबद्धता से आप पहाड़ भी हिला सकते हैं)
बुक के इस भाग में ऑथर कहते हैं की कोई भी व्यक्ति अपने गोल्स तभी प्राप्त कर सकता है जब उनके अंदर प्रतिबद्धता और दृढ़ता हो। प्रतिबद्धता लक्ष्य को पूरा करने लिए “कुछ भी करने की इच्छा” के रूप में वर्णित किया गया है लेकिन यह इच्छा किसी भी illegal, अनैतिक या हानिकारक चीज़ों के लिए नहीं होनी चाहिए।
दृढ़ता प्रतिबद्धता को फॉलो करती है और ऐसा कहा जाता है की दृढ़ता तभी आती भी है जब व्यक्ति कमिटेड होता है। एक बार अपने गोल के प्रति कमिटेड होने के बाद, व्यक्ति इच्छित परिणाम न मिलने तक लगातार प्रयास करता रहता है और तब तक हार नहीं मानता जब तक की वह अपने लक्ष्य को हासिल न कर ले।
कमिटमेंट का मैजिक
ऐसा कहा जाता है की कमिटेड व्यक्ति ऐसी चीज़ों और लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है जो उसके लक्ष्य को प्राप्त करने में उसकी मदद करते हैं। जब कोई व्यक्ति किसी चीज़ के लिए प्रतिबद्ध होता है, तो उनका मस्तिष्क सफ़लता की एक तस्वीर बनाता है जो अवसरों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। लेकिन ये प्रक्रिया इतनी सरल नहीं है और इसमें समय लगता है, बस ज़रुरत है तो ऐसे लोगों की जो हार न मानकर डंटे रहें।
मेहनत रंग लाएगी
ऑथर का कहना है की कमिटमेंट ऐसी चीज़ है जिससे मेहनत का फल अवश्य मिलता है। अगर आप अपने गोल्स के प्रति कमिटेड हैं और आपको अपने गोल को पाने का रास्ता नहीं भी पता है तब भी आप अपना गोल हासिल कर लेंगे लेकिन अगर आप कमिटेड नहीं है और रास्ते को जानते हैं तब आपके लिए अपने गोल को हासिल करना मुश्किल होगा।
ऑथर यह भी कहते हैं की सफ़लता का रास्ता कभी आसान नहीं होता और हर एक व्यक्ति को चुनातियों का सामना करना पड़ता है, व्यक्ति गलतियां भी करता है और कभी कभी निराशा भी हाथ लगती है। लेकिन इस सब के बावजूद हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। ऑथर ने प्रसिद्ध उपन्यासकार डेविड बलदाकि का उदहारण दिया है और बताया है की वह अपने कमिटमेंट की वजह से ही अपनी राइटिंग स्किल्स को बेहतर कर सके जिसकी वजह से आगे चलकर उन्होंने काफी नाम कमाया।
Turn Your Problems Into Opportunities (प्रॉब्लम्स को अवसरों में बदलें)
जब किसी व्यक्ति के जीवन में मुश्किलें या चुनातियाँ आती हैं तो सकारात्मक बने रहना थोड़ा मुश्किल हो सकता है लेकिन ये कभी नहीं भूलना चाहिए की हर एक मुश्किल हमें सीखने और आगे बढ़ने का एक अवसर होता है। अगर हम अपना दृष्टिकोण बदल लें तो अपनी समस्याओं को ही सफ़लता की सीढ़ी बना सकते हैं।
समस्याओं को अवसर में बदलने के लिए सबसे पहले उनका फायदा ढूंढें, जोकि थोड़ा मुश्किल लग सकता है, लेकिन ये याद रखना ज़रूरी है की हर एक समस्या हमें कुछ न कुछ नयी बात सिखाती है। हमें ख़ुद से ये पूछना चाहिए की इस स्तिथि में हम क्या सीख सकते हैं और इसका उपयोग अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए कर सकते हैं।
ऑथर कहते हैं की ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने अपनी समस्याओं को अवसरों में बदल दिया और “थिंक एंड ग्रो रिच’ के लेखक नेपोलियन हिल उनमे से एक प्रमुख नाम है। हिल बहुत ही गरीब परिवार में पैदा हुए थे , लेकिन इससे उन्होंने हार नहीं मानी और दुनिया के सफल लोगों का अध्यन करके एक ऐसी बुक लिखी जिसने दुनिया भर के लोगों को अपने सपने साकार करने में मदद की।
विपत्ति हमारी किस प्रकार मदद करती है
ऑथर का मानना है की विपत्ति या प्रतिकूल परिस्थितियाँ हमारे लिए सहायक हो सकती हैं। उन्होंने इसके कई तरीक़े बताये हैं जिनमे से कुछ इस प्रकार हैं –
- यह हमें परिप्रेक्ष्य (perspective) देता है– जब हम चुनौतियों का सामना करते हैं, तो हम अपने जीवन में अच्छी चीजों को अप्प्रेसिएट करना सीखते हैं।
- यह हमें आभारी होना सिखाती है– प्रतिकूल परिस्थितियाँ हमें यह एहसास करने में मदद करती हैं कि हमें छोटी-छोटी चीज़ों के लिए भी कितना आभारी होना चाहिए।
- यह हमारी छुपी हुई क्षमता को सामने लाती है– जब हम चुनौतियों पर विजय पाते हैं, तो हमें उन शक्तियों और क्षमताओं का पता चलता है जिनके बारे में हम नहीं जानते थे कि वे हमारे पास हैं।
- यह हमें बदलाव करने के लिए प्रोत्साहित करती है– प्रतिकूल परिस्थितियाँ हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव के लिए उत्प्रेरक हो सकती हैं।
- यह हमें बहुमूल्य सबक सिखाती है– हम अपनी गलतियों और असफलताओं से सीखते हैं, और परिणामस्वरूप हम समझदार और अधिक लचीले बन जाते हैं।
- यह नए दरवाजे खोलती हैं– कभी-कभी, प्रतिकूल परिस्थितियाँ हमें नए और बेहतर अवसरों की ओर ले जा सकती हैं।
- यह आत्मविश्वास और आत्मसम्मान का निर्माण करती है– जब हम चुनौतियों पर विजय पाते हैं, तो हम अपने बारे में और अपनी क्षमताओं के बारे में अच्छा महसूस करते हैं।
मुश्किल वक़्त में भी ये याद रखना चाहिए की प्रतिकूलता एक उपहार हो सकती है। यह हमें उन तरीकों से बढ़ने और सीखने में मदद कर सकती हैं सकता है जो हम अन्यथा कभी नहीं कर पाते।
अपनी समस्याओं को अवसरों में कैसे बदलें
अपनी समस्याओं को अवसरों में बदलने के लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
- अपना दृष्टिकोण बदलें– समस्याओं को बाधाओं के रूप में देखने के बजाय, उन्हें सीखने और बढ़ने के अवसरों के रूप में देखें।
- लाभ की तलाश करें– हर समस्या आपको कुछ न कुछ सिखाती है। अपने आप से पूछें कि आप इस स्थिति से क्या सीख सकते हैं और आप उस ज्ञान का उपयोग अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए कैसे कर सकते हैं।
- एक्शन लें– एक बार जब आप अपनी समस्या में लाभ की पहचान कर लें, तो बदलाव लाने के लिए काम करना शुरू करें। अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलकर कुछ नया करने से न डरें।
- कंसिस्टेंट रहें– यदि आपको तुरंत परिणाम न दिखें तो हार न मानें। अपनी समस्याओं को अवसरों में बदलने में समय और प्रयास लगता है।
Watch Your Words (शब्दों पर काबू रखें)
ऑथर का मानना है की हमारे शब्द हमारे थॉट्स, beliefs, एक्शन और रिजल्ट्स पर काफी प्रभाव डालते हैं। वह कहते हैं की अपने शब्दों का सावधानीपूर्वक चुनाव करके हम अपने भाग्य को बेहतर बना सकते हैं।
जैसा की चित्र में दर्शाया गया है, हमारे विचार स्टार्टिंग पॉइंट हैं जिन्हे हम शब्दों के माध्यम से व्यक्त करते हैं। जिन शब्दों का हम बार बार उपयोग करते हैं उनसे हमारे belief यानी मान्यताओं को मज़बूती मिलती है और इसे हमारी धारणा और एट्टीट्यूड का निर्माण होता है। Beliefs हमारे एक्शन्स को प्रभावित करते हैं, और इन्ही एक्शन्स से ऐसे रिजल्ट यानी के परिणाम मिलते हैं जो हमारी मान्यताओं के अनुसार होते हैं।
सकारात्मक शब्दों की शक्ति
ऑथर कहते हैं की हमें अपने शब्दों का अत्यंत सावधानी से चयन करना चाहिए। जैसा की चित्र से स्पष्ट होता है की हमारे शब्द हमारे एट्टीट्यूड को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लगातार नकारात्कमक शब्दों के इस्तेमाल से, एट्टीट्यूड भी नकारात्मक बन जाता है वहीँ दूसरी ओर सकारात्मक शब्दों के इस्तेमाल से सकारात्मक मानसिकता बनाने में मदद मिलती है।
हाउ आर यू ?
हमसे हर रोज़ कोई न कोई यह सवाल ज़रूर पूछता है की हाउ आर यू, ऑथर का मानना है की वाला ये सवाल हमारे लिए बहुत मायने रखता है क्यूंकि इसका जो जवाब हम देते हैं उसका हमारे एट्टीट्यूड पर बहुत प्रभाव पड़ता है। ऑथर इस सवाल के जवाब को तीन ग्रुप में डिवाइड करते हैं – नेगेटिव, एवरेज और पॉजिटिव।
- नेगेटिव रेस्पॉन्स: इस तरह के रिस्पांस एक पेसिमिस्ट एट्टीट्यूड को दर्शाते हैं, जैसे कुछ लोग कहते हैं की “भगवान का शुक्र है कि आज शुक्रवार है।”
- एवरेज रेस्पॉन्स: जो लोग सवाल के जवाब में कहते हैं की “मैं ठीक हूँ” या “बहुत बुरा नहीं”, यह उनके अंदर उत्साह की कमी को दर्शाता है और इस तरह का रेस्पॉन्स अपने अंदर की ऊर्जा को कम कर सकता है और रिश्तों पर भी नकारात्कमक प्रभाव दाल सकता है।
- पॉजिटिव रेस्पॉन्स: जो लोग सवाल के जवाब में कहते हैं की वे बहुत अच्छे हैं ये उनके अंदर के उत्साह और पॉजिटिव एनर्जी को दर्शाता है। ऐसे लोग न सिर्फ अपना मूड बेहतर कर सकते हैं बल्कि दूसरे लोगों को भी अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
पॉजिटिव रेस्पॉन्स की पावर
हाउ आर यू जैसे सवाल का जवाब हमारे मूड और ऊर्जा पर प्रभाव डालता है और इसका पॉजिटिव रेस्पॉन्स, पॉजिटिव ऊर्जा को आकर्षित करता है। अगर हम पूरी तरह से पॉजिटिव या अच्छा नहीं महसूस कर रहे हो तब भी रेस्पॉन्स हमारे मूड को बेहतर बना सकता है।
वही दूसरी ओर नेगेटिव या एवरेज रेस्पॉन्स हमारे एनर्जी लेवल को कम कर सकता है। इसलिए हमें हमेशा कोशिश यही करनी चाहिए के हम पॉजिटिव रेस्पॉन्स ही दें।
ऑथर बताते हैं की हमारे शब्दों और विचारों का हमारी सच्चाई पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जब हम ये कहते हैं की हम ठीक नहीं है या बस ठीक हैं तो हम नेगेटिविटी को अपने जीवन में आकर्षित कर रहे होते हैं।
“Change your thoughts and you’ll change your life.” (अपने विचार बदलें और आप अपना जीवन बदल देंगे।)
शिकायत करना बंद कीजिये
ऑथर हमें बताते हैं की ज़रुरत से ज़्यादा शिकायत करने से भी हमारे जीवन और रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे हमारे अंदर की ऊर्जा ख़त्म होती है और नकारात्मकता बढ़ती है। समस्याओं पर ध्यान देने के बजाये हमें समाधान ढूंढने पर ध्यान देना चाहिए और एक पॉजिटिव आउटलुक बनाये रखें चाहिए।
ऑथर कहते हैं की हमारे नियंत्रण से बहार की चीज़ें जैसे मौसम या छोटी मोती असुविधाओं के बारे में शिकायत करना अनुत्पादक है और सिर्फ नकारात्मकता को बढ़ावा देता है। उनका सुझाव है की हमें उन चीज़ों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिन्हे हम नियंत्रित कर सकते हैं।
Heaven Helps Those Who Act (ईश्वर उनकी सहायता करता है जो कार्य करते हैं)
सकारात्मक लोगों के साथ रहें
ऑथर हमें बताते हैं की हम जिन लोगों के साथ समय बिताते हैं उनका हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। अगर हम नकारात्मक लोगों के बीच रहेंगे तो हम खुद नकारात्मक हो जायेंगे। वहीँ दूसरी ओर सकारात्मक लोगों के बीच रहेंगे तो हमारा एट्टीट्यूड भी सकारात्मक बनेगा।
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ऑथर के अनुसार मन एक स्पंज की तरह है क्यूंकि यह इसके सामने आने वाली हर चीज़ सोख लेता है, चाहे फिर वो सकारात्मक हो या नकारात्मक। इसलिए हमें सकारात्मक लोगों के साथ समय बिताना चाहिए और अपने संपर्क में आने वाले मैसेज के प्रति सावधान रहना चाहिए।
हमें मित्र भी सावधानीपूर्वक चुनने चाहिए और ऐसे वीडियो, पॉडकास्ट इत्यादि सुन्नी चाहिए जो सकारात्मक मैसेज देती हो। इतना ही नहीं, हमें खुद भी दूसरों के लिए एक सकारात्मक सहयोगी बनने की कोशिश करनी चाहिए और उन्हें मोटीवेट करना चाहिए।
“Your attitude towards your life and your work is the starting point for gaining the passion that will propel you to new heights of success and fulfillment.” (आपके जीवन और आपके काम के प्रति आपका दृष्टिकोण उस जुनून को प्राप्त करने का शुरुआती बिंदु है जो आपको सफलता और पूर्ति की नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।)
Jeff Keller
डर का सामना करें
ऑथर कहते हैं की डर ऐसी चीज़ है जो हमारे पर्सनल और प्रोफेशनल ग्रोथ में बाधा बन सकता है लेकिन अगर हम अपने डर का सामना करना सीख जाएँ और अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर आ जाएं तो हम अवश्य ही पर्सनल और प्रोफेशनल क्षेत्र में सफ़ल हो सकते हैं।
डर मनुष्य के जीवन का एक सामान्य हिस्सा है और यह हर किसी को अलग तरह से प्रभावित करता है। लेकिन ध्यान रखने लायक बात ये है की डर कमज़ोरी का संकेत न होकर विकास का एक अवसर है।
कम्फर्ट ज़ोन
ऑथर कहते हैं की कम्फर्ट ज़ोन एक ऐसा सुरक्षित स्थान है जहाँ हम सहज और नियंत्रण में महसूस करते हैं। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए की हम जीवन में सफ़ल तभी हो पाएंगे जब हम इस सुरक्षित स्थान से बहार निकलेंगे यानी सफ़लता पाने के लिए अपने कम्फर्ट ज़ोन से बहार निकलना आवश्यक है।
सकारात्मक मानसिकता विकसित करना और और डर का सामना करना अपने कम्फर्ट ज़ोन से बहार निकलने में हमारी सहायता कर सकता है। डर का सामना करके, हम आत्म-सम्मान विकसित करते हैं और अपने असली पोटेंशियल को उजागर करते हैं।
एक सकारात्मक मानसिकता और डर का सामना करने की दिशा में धीरे-धीरे कदम उठाना सीमाओं पर काबू पाने की कुंजी है। डर का सामना करके, हम आत्म-सम्मान का निर्माण करते हैं और अपनी वास्तविक क्षमता को उजागर करते हैं।
राल्फ वाल्डो एमर्सन ने कहा की,
“वह काम करो जिससे आपको डर लगता है, और डर की मृत्यु निश्चित है”।
डर का सामना करना ही उन पर विजय पाने का एकमात्र तरीका है।
असफलता: सफलता का एक अभिन्न अंग
ऑथर बताते सफ़लता के रास्ते में हमें काफी साड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और साथ ही साथ असफ़लताओं का भी, ज़रुरत बस इस बात है की हम असफ़लता से निराश होने की बजाए उसे सीखने के एक अवसर के रूप में देखें और सकारात्मक एट्टीट्यूड बनाये रखें।
हमें बच्चों से लचीलापन यानी फ्लेक्सिबिलिटी सीखनी चाहिए, जो साइकिल चलाने जैसे नए कौशल सीखते समय बार बार असफ़ल होने पर भी हार नहीं मानते और डटे रहते हैं। वहीं दूसरी ओर, वयस्क अक्सर विफलता से डरते हैं, जिससे जोखिम लेने और नई चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होते हैं।
परिप्रेक्ष्य और दृष्टिकोण
परिप्रेक्ष्य बनाए रखना और यह पहचानना आवश्यक है कि असफलता कोई अंतिम बिंदु नहीं है बल्कि सफलता की राह पर एक सीढ़ी है। सफल व्यक्तियों ने दृढ़ता, प्रयास और अनुशासन के महत्व को समझते हुए असफलताओं को विकास के अवसरों में बदलना सीख लिया है।
साथ ही साथ यह भी समझना आवश्यक है की असफलता कोई पूर्ण स्थिति नहीं है, बल्कि परिणामों का एक स्पेक्ट्रम है, जिनमें से कुछ दूसरों की तुलना में अधिक सफल होते हैं। एकमात्र सच्ची विफलता हार मानने में है। दृढ़ संकल्प और परिश्रम से प्रेरित निरंतर प्रयास अंततः सफलता की ओर ले जा सकते हैं।
असफलता पर काबू पाने के लिए कुछ टिप्स इस प्रकार हैं-
- रीयलिस्टिक टाइम टेबल: एक ऐसा टाइम टेबल बनाएं जिसे फॉलो किया जा सके और ये भी ध्यान रखें की धैर्य महत्वपूर्ण है। एक-एक कदम आगे चलकर प्रगति हासिल होती है।
- अटूट प्रतिबद्धता: चुनौतियों डरें नहीं और डर का सामना करते हुए लक्ष्य हासिल करने की तीव्र इच्छा आवश्यक है।
- सकारात्मक प्रभाव: ख़ुद को मोटिवेटेड रखने के लिए सकारात्मक लोगों के साथ रहें।
- सफलता के लिए तैयारी: पूरी तैयारी, निरंतर सीखना और सलाह लेना सफलता प्राप्त करने के प्रमुख कारक हैं।
- असफलता को स्वीकार करना: असफल होने और गलतियों से सीखने की इच्छा सफलता प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा है।
जो लोग लगातार असफलताओं से सीखते हैं और अपने अंतिम लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखते हैं वे अंततः जीत हासिल करते हैं। असफलता को जब स्वीकार किया जाए और उससे सीखा जाए, तो असाधारण सफलता का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। जैसा कि जेफ केलर कहते हैं-
“Your attitude is a powerful force that can propel you to great heights or hold you back. Choose wisely.”(आपका रवैया एक शक्तिशाली शक्ति है जो आपको महान ऊंचाइयों पर ले जा सकता है या आपको वापस रोक सकता है। बुद्धिमानी से चुनें।)
Conclusion (निष्कर्ष)
तो दोस्तों, ये थी Attitude is Everything Book Summary in Hindi
यह पावरफुल बुक एट्टीट्यूड की परिवर्तनकारी शक्ति के बारे में हमें बताती है। ऑथर को ये एहसास हुआ की मानसिकता बदलने के बाद उनके जीवन में चमत्कारिक सुधार हुआ। वह कहते हैं की हमें अपने जीवन को बदलने के लिए बुक में दिए गए सिद्धांतों, जैसे सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना, शब्दों का बुद्धिमानी से चयन करना और अपने जीवन पर नियंत्रण रखना, का पालन करना चाहिए। ऑथर कहते हैं की हम अपने दृष्टिकोण के माध्यम से अपने भाग्य को आकार दे सकते हैं।
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पोस्ट को पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।
FAQs
(अन्य पूछे जाने वाले प्रश्न)
Who originally said attitude is everything?
The origin of the phrase “Attitude is Everything” is uncertain, as it has been used by various authors, motivational speakers, and self-help gurus over the years. However, Jeff Keller popularized the phrase with his book “Attitude is Everything,” which has become a widely recognized reference for the concept.
What is the theme of attitude is everything?
The theme of “Attitude is Everything” is the power of attitude in shaping our thoughts, behaviors, and outcomes. The book emphasizes the importance of cultivating a positive attitude and taking responsibility for our attitudes, beliefs, and actions in order to achieve success and happiness in life. It teaches readers that attitude is a choice and that by adopting a positive attitude and developing a growth mindset, we can overcome obstacles and reach our goals. Overall, the theme of the book is that our attitude is the key determinant of our success and fulfillment in life.
How attitude can change your life?
Attitude can have a significant impact on a person’s life. A positive attitude can help you cope with challenges, improve relationships, increase productivity, and achieve success. When you have a positive attitude, you are more likely to see opportunities instead of obstacles, have a growth mindset, and be open to new ideas and experiences. This can lead to greater personal and professional development, as well as a more fulfilling and happy life. A positive attitude can also help you better handle stressful situations, maintain good mental health, and build strong relationships with others. Overall, having a positive attitude can bring about many positive changes in your life.
What are the three types of attitudes?
The three types of attitudes are:
1. Cognitive attitude – It refers to a person’s beliefs or thoughts about a particular object or situation.
2. Affective attitude – It refers to a person’s emotions or feelings about a particular object or situation.
3. Behavioral attitude – It refers to a person’s actions or behaviors towards a particular object or situation.
How can you improve your attitude?
Here are some ways to improve your attitude:
1. Practice mindfulness: Being aware of your thoughts and feelings can help you identify negative thought patterns and replace them with positive ones.
2. Practice gratitude: Focusing on the things you’re grateful for can help shift your mindset to a more positive one.
3. Surround yourself with positivity: Spend time with people who have a positive attitude, read positive books, and listen to uplifting music.
4. Challenge negative thoughts: When negative thoughts arise, challenge them with positive affirmations.
5. Take care of yourself: Getting enough sleep, exercise, and eating healthy can improve your overall mood and attitude.
6. Set goals: Having something to work towards can help you stay motivated and positive.
7. Practice forgiveness: Holding onto grudges and negative feelings can weigh you down. Forgiving yourself and others can help you move forward with a more positive outlook.
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