Do It Today Summary in Hindi-सफलता के 6 राज़

Do It Today Summary in Hindi

Do It Today Summary in HindiIntroduction (परिचय)

हेलो दोस्तों स्वागत है आपका Do It Today Summary in Hindi में ।

दोस्तों, Do It Today एक सेल्फ हेल्प बुक है जो हमें procrastination या आलस्य को दूर करके एक्शन लेना सिखाती है जिसकी सहायता से हम अपने गोल्स को आसानी से पा सकते हैं। बुक के ऑथर हैं Darius Foroux, जो खुद एक प्रोडक्टिविटी एक्सपर्ट और ब्लॉगर हैं। बुक के अंदर 6 चैप्टर्स हैं और हर एक चैप्टर procrastination के अलग पहलू पर बात करता है और साथ ही साथ यह भी बताता है के उसे दूर कैसे किया जाए।

ऑथर कहते हैं की यूँ तो procrastination या टालमटोल एक आम समस्या है जिसमे हम किसी न किसी वजह से अपने काम को या तो करते नहीं है या समय निकलने के बाद करते हैं जिसका सीधार असर हमारी प्रोडक्टिविटी पर पड़ता है और धीरे धीरे ये un-productivity हमारी लाइफ में नेगेटिविटी को जन्म देती है जिसकी वजह से हम दुखी या परेशान रहते हैं।

टालमटोल से बचने और काम पूरा करने का सबसे अच्छा तरीक़ा है के हम इमीडियेट एक्शन लेकर काम को पूरा कर लें लेकिन ये हमेशा इतना आसान नहीं होता। और इसे आसान बनाने में ये बुक समरी आपको काफी हेल्प करेगी।

तो आइये दोस्तों नज़र डालते हैं Do It Today Summary in Hindi पर ।

Procrastination is the thief of time.

Charles Dickens

The Urgency of Now (तुरंत एक्शन लें)

ऑथर का कहना है हर एक क्षण हमारे जीवन का हमें किसी न किसी चीज़ का अवसर होता है और हम टालमटोल करके उस क्षण को खो देते हैं जो आगे बढ़ने और कामयाबी का एक अवसर लेकर आया था। इसी बात को ध्यान में रखते हुए ऑथर हमें तुरंत एक्शन लेने या कदम उठाने की सलाह देते हैं, भले ही वह कदम कितना भी छोटा क्यों न हो लेकिन आवश्यक ये है के कदम तब उठाया जाए जब उसकी ज़रुरत हो। समय निकलने के बाद एक्शन लेना सांप के भाग जाने के बाद लाठी पटकने जैसा है जिसका कोई फायदा नहीं होने वाला है।

ऑथर हमें Present Bias के बारे में भी बताते हैं जिसमे लोग लॉन्ग टर्म बेनिफिट की न सोचकर immediate pleasure के चक्कर में फँस जाते हैं। वह कहते हैं की ये bias इसलिए हमारे लिए नुकसानदायक है क्यूंकि इसमें अक्सर हम उन कामों को टाल देते हैं जो लम्बे समय तक हमारे लिए फायदेमंद होंगे।

ऑथर procrastination से पार पाने के लिए कुछ सुझाव देते हैं जैसे की काम को छोटे छोटे स्टेप्स में विभाजित कर लेना, जिससे काम करने में भी आसान हो और हमें उसे करने के लिए ज़्यादा सोचना भी न पड़े। इसके अलावा हमें अपने लिए deadlines set करके काम करना चाहिए, बिना deadline के कोई भी काम समय पर ख़तम नहीं हो पायेगा। और एक बार जब आप कोई काम पूरा कर लें तो खुद को इनाम देना या रिवॉर्ड करना न भूलें।

Overcoming Delay (देरी पर काबू पाना)

यह समझने के बाद के procrastination आखिर होता क्या है, ऑथर ने इस चैप्टर में हमें procrastination की वजह समझाने की कोशिश की है और बताया है की procrastination के पीछे अक्सर मनोवैज्ञानिक कारण काम करते हैं। वह कहते हैं की टालमटोल का एक मुख्य कारण डर होता है। कोई विफल होने से डरता है क्यूंकि उन्हें लगता है की दुनिया उन्हें failure के रूप में याद रखेगी। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो सफलता से डरते हैं । ऑथर आगे कहते हैं की टालमटोल करने की अन्य वजह lack of motivation और lack of self-discipline भी हो सकता है।

ऑथर कहते हैं की ऐसी कई तकनीकें हैं जिनका उपयोग विलंब पर काबू पाने के लिए किया जा सकता है। वह कहते हैं की विलंब पर काबू पाने के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी चीज़ self-discipline और will power है। Self-discipline यानी आत्म-अनुशासन का मतलब है अपने impulses पर कण्ट्रोल करना और will-power अपने गोल्स को पाने के लिए प्रयास करने की क्षमता है। ये दोनों गुण विलंब पर काबू पाने के लिए ज़रूरी इसलिए हैं, क्योंकि ये हमें काम को टालने की टेम्पटेशन तो रेसिस्ट करने और ट्रैक पर बने रहने में मदद करते हैं।

वैसे तो विलंब पर काबू पाना आसान नहीं है, लेकिन इसके पीछे के मनोवैज्ञानिक कारणों को समझकर और ऊपर दी गयी युक्तियों का पालन करके इस पर काबू पाना संभव है।

Mastering Productivity (उत्पादकता में महारत)

ऑथर बताते हैं की अपने काम को efficiently और effectively करने को ही प्रोडक्टिविटी यानी उत्पादकता कहते हैं। प्रोडक्टिविटी हर किसी के लिए बेहद ज़रूरी होती है चाहे वो पढाई हो, जॉब हो या अन्य कोई भी क्षेत्र।

ऑथर हमें अपनी उत्पादकता बढ़ने के लिए कई टेक्निक्स अपनाने की सालाह देते हैं। आइए एक एक करके इन टेक्निक्स पर नज़र डालते हैं –

  • टाइम मैनेजमेंट: अपने समय का सदुपयोग करने को टाइम मैनेजमेंट कहते हैं। हम सबके पास एक दिन के 24 घंटे ही हैं लेकिन फिर भी कुछ लोग इन 24 घंटों में औरों से ज़्यादा प्रोडक्टिव इसलिए रह पाते हैं क्यूंकि वो अपने टाइम को बुद्धिमानी से उपयोग करते हैं।
  • प्राथमिकता: हमें ये पता होना चाहिए के कौन सा काम ज़्यादा ज़रूरी है और कौन सा काम काम ज़रूरी और काम की इम्पोर्टेंस के अनुसार ही उन्हें समय देना चाहिए। मतलब ज़्यादा ज़रूरी काम को पहले करना चाहिए और काम ज़रूरी को बाद में।
  • Task Management: कुछ काम छोटे होते हैं और करने में आसान होते हैं वहीँ कुछ काम बड़े होते हैं और करने में भी बहुत मुश्किल होते हैं। Task Management हमें सिखाता है की कैसे बड़े कामों को छोटे छोटे कामों में विभाजित करके उन्हें करने लायक बनाया जा सकता है।
  • Distractions को दूर करना: जब हम कोई काम करते हैं तो ऐसी बहुत ही चीज़ें हो सकती है जो हमारा ध्यान काम से भटका सकती हैं। हमें ये सुनिश्चित करना चाहिए के काम करते वक़्त ऐसी चीज़ों से दूर रहा जाए।
  • ब्रेक लेना: बहुत सी studies से ये पता चला है के लगातार काम करने से हमारी प्रोडक्टिविटी पर नेगेटिव प्रभाव पड़ता है और वह कम हो जाती है। इसलिए काम करते वक़्त फोकस्ड रहने और प्रोडक्टिविटी को बनाये रखने के लिए समय समय पर ब्रेक लेना बहुत आवश्यक है।
  • The Pomodoro Technique: यह टाइम मैनेजमेंट की एक तकनीक है जिसमे किसी भी काम को 25-25 मिनट के intervals में विभाजित किया जाता है। 25 मिनट काम करने के बाद छोटा ब्रेक लिया जाता है। इस तकनीक का इस्तेमाल करके हमें अपना फोकस और कंसंट्रेशन सुधारने में मदद मिलती है।
  • Time Blocking: इस तकनीक में हमें अपने कामों को करने के लिए अपने schedule/calendar में टाइम fix करना होता है जिसे टाइम ब्लॉकिंग या कैलेंडर ब्लॉकिंग भी कहा जाता है। टाइम ब्लॉक करने से न सिर्फ हमें ज़्यादा organized रहने में मदद मिलती है बल्कि हम distractions से भी बच सकते हैं।
  • Two-Minute Rule: इस नियम के अनुसार हमें छोटे कामों को तुरंत पूरा कर लेना चाहिए भले ही उसमे दो मिनट का समय ही क्यों न लगे। ऐसा करके हम विलम्ब से बच सकते हैं और बड़े तथा ज़रूरी कामों के लिए समय भी निकाल सकते हैं।

दोस्तों, इन टेक्निक्स का उपयोग करके आप भी अपनी प्रोडक्टिविटी को बढ़ा सकते हैं और सफलता की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

The Power of Habits (आदतों की शक्ति)

डेली रूटीन और प्रोडक्टिविटी पर आदतों का असर

इस चैप्टर में ऑथर कहते हैं की हमारी आदतों हमारे रूटीन और प्रोडक्टिविटी पर काफी गहरा असर डालती हैं। जहाँ एक ओर पॉजिटिव आदतें ज़्यादा प्रोडक्टिव बनने में हमारी मदद कर सकती हैं वहीँ दूसरी ओर नेगेटिव आदतें हमारी प्रोडक्टिविटी पर भी नेगेटिव प्रभाव डालती हैं। अच्छी या पॉजिटिव आदतें काम तो automate करके उसे आसान बना देती हैं जिससे हमारी प्रोडक्टिविटी बेहतर हो जाती है। उदाहरण के लिए, अगर किसी को सुबह जल्दी उठकर एक्सरसाइज करने के आदत है तो वो अपना दिन जल्दी शुरू कर सकते हैं जिससे उन्हें अपने कामों को पूरा करने के लिए ज़्यादा समय मिलेगा।

अच्छी आदतें आसानी से कैसे बनाएं?

दूसरी ओर, नकारात्मक आदतों का हमारे काम पर भी नकारात्मक प्रभाव पद सकता है। ये आदतें या तो हमें काम शुरू करने नहीं देंगी या फिर काम को पूरा करने में हमारा ज़्यादा समय लगेगा। जैसे अगर किसी को सुबह उठकर इंटरनेट सर्फ करने या सोशल मीडिया पर टाइम बिताने की आदत है तो इसका असर उनकी पूरी दिनचर्या पर पद सकता है।

हैबिट बनाने में Cues, रूटीन और रिवार्ड्स का रोल

ऑथर कहते हैं की आदतें हैबिट लूप नामक प्रक्रिया से बनती हैं और इसमें 3 मेन स्टेप्स होते हैं जो इस प्रकार हैं-

  • Cue: Cue जिसे संकेत भी कहा जाता है किसी आदत को शुरू करने ट्रिगर काम करता है। ये ट्रिगर हमारे मस्तिष्क को सन्देश भेजता है और फिर हमारा मस्तिष्क उस आदत को शुरू करने के लिए हमें ज़रूरी एक्शन लेने के लिए कहता है। उदाहरण के लिए, अच्छे खाने की खुशबू किसी को अच्छा खाना बनाने या खाने के लिए संकेत (Cue) का काम कर सकती है।
  • Routine: रूटीन उस एक्शन या बिहेवियर को दर्शाता है जो हम किसी Cue के मिलने पर लेते या करते हैं। खाने की खुशबू वाले उद्दाहरण में खाना बनाना या खाना रूटीन है।
  • Reward: रिवॉर्ड या इनाम उस satisfaction या happiness को कहते हैं जो हमें किसी रूटीन (हैबिट) को करने से मिलती है। जैसे ऊपर वाले उद्दाहरण में खाने को खाकर किसी को संतुष्टि या खुशी मिल सकती है।

ऑथर कहते हैं की हैबिट लूप को समझकर हम अच्छी आदतें बनाना और बुरी आदतों को छोड़ना सीख सकते हैं। अच्छी आदतें बनाने के लिए ऑथर ने हमें कुछ टिप्स दी हैं जो की इस प्रकार हैं –

  • संकेत को पहचानें: हमें सबसे पहले उस cue को पहचाना होगा जो उस आदत को ट्रिगर करता है जिसे हम बदलना चाहते हैं। जबहम cue को पहचान लेते हैं तो हम अपनी आदत को बदलने के लिए प्लान बना सकते हैं।
  • नया रूटीन बनाएं: cue को पहचाने के बाद हमें नयी आदत को बनाने के लिए एक रूटीन बनाना होगा। नया रूटीन ऐसा होना चाहिए जिसे फॉलो करना आसान हो और जिसे हम एन्जॉय भी कर सकें।
  • खुद को रिवॉर्ड दें: जब हम किसी नयी आदत को बनाने के लिए ज़रूरी एक्शन ले चुके हों तो हमें खुद को रिवॉर्ड देना नहीं भूलना चाहिए। रिवॉर्ड न सिर्फ नयी आदत को मज़बूत बनता है बल्कि ये भी ensure करता है की हम इसे लम्बे समय तक जारी रखें।

ऑथर द्वारा दिए गए सुझावों का पालन करके हम भी अच्छी और सकारात्मक आदतें बना सकते हैं और continuous एक्शन लेने का फायदा खुद देख सकते हैं।

The best time to plant a tree was 20 years ago. The second best time is now.

Chinese Proverb

Creating Momentum (मोमेंटम बनाएं)

“डू इट टुडे” के इस चैप्टर में ऑथर, डेरियस फ़ोरॉक्स हमें मोमेंटम के बिना प्रोग्रेस संभव नहीं है। वह कहते हैं की जीवन में मोमेंटम तभी संभव है जब हम कोई एक्शन लें। शुरआती मोमेंटम बनाने में थोड़ा समय लग सकता है लेकिन एक बार मोमेंटम बनने के बाद आगे की राह आसान हो जाती है। वह हमें अपने जीवन में मोमेंटम बनाने के लिए कुछ सुझाव भी देते हैं।

ऑथर कहते हैं की मोमेंटम एक ऐसी पावरफुल फाॅर्स है जो हमें आगे बढ़ने में मदद करती है। उनका कहना है कि हम जो भी कदम उठाते हैं वह हमारे पिछले कदम पर निर्भर होता है और ये सब कदम मिलकर ही हमें सफलता तक पहुंचा सकते हैं।

उदाहरण के लिए, अगर कोई एक्सरसाइज शुरू करना चाहता है तो स्टार्टिंग में उन्हें अंदर से resistance फील होगा लेकिन अगर एक बार वो छोटे छोटे कदम से ही सही एक्सरसाइज करना शुरू कर देंगे तो वे बेहतर महसूस करने लगेंगे। और जैसे-जैसे वो एक्सरसाइज करते जायेंगे, उनके लिए आगे के रास्ते और आसान होते जायेंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि मोमेंटम हमें inertia पर काबू पाने और आगे बढ़ने में मदद करता है।

छोटे कदम, बड़ा प्रभाव

ऑथर इस चैप्टर में छोटे छोटे क़दमों के महत्व पर भी प्रकाश डालते हैं और कहते हैं कि लगातार हमारे एक्शन्स भले ही कितने भी छोटे क्यों न हों, वह भी हमें बड़े रिजल्ट्स दे सकते हैं बस ज़रुरत है तो consistency maintain करने की यानी उन छोटे क़दमों को लगातार उठाने की। वह छोटे स्टेप्स की तुलना कंपाउंड इंटरेस्ट यानी चक्रवृद्धि ब्याज से करते हैं, जिसमे की समय के साथ निवेश की गई छोटी रकम भी बड़ी रकम में बदल सकती है।

ऑथर कहते हैं की यही बात हमारे एक्शन्स पर भी लागू होता है। जब हम लगातार छोटे-छोटे कदम उठाते हैं, तो हम मोमेंटम बना रहे होते हैं। और जैसे-जैसे मोमेंटम बनता जाता है वैसे वैसे हमारे अपने गोआल तक पहुँचने की सम्भावना बढ़ती जाती है।

सिंगुलर फोकस

ऑथर मल्टीटास्किंग को गलत मानते हैं और कहते हैं की जब हम एक साथ कई काम करने की कोशिश करते हैं तो एक भी काम ठीक तरह से नहीं कर पाते हैं। मल्टीटास्किंग के दौरान हम असल में अपनी अटेंशन एक काम से दुसरे काम में switch कर रहे होते हैं जिसकी वजह से हम किसी एक पर भी ढंग से फ़ोकस नहीं कर पाते हैं।

(अपने मस्तिष्क की शक्ति को समझने के लिए Napolean Hill की famous book Think and Grow Rich की समरी पढ़ें)

वह कहते हैं की प्रोडक्टिव बनने के लिए ये ज़रूरी है के हम एक समय पर सिर्फ एक ही काम पूरी लगन के साथ करें। इससे न सिर्फ हमें काम करते वक़्त फ़ोकस्स्ड रहने में मदद मिलेगी बल्कि हमें मोमेंटम बिल्ड करने में भी मदद मिलेगी। और एक बार मोमेंटम बनने के बाद मंज़िल की राह आसान हो जाती है।

Applying the Wisdom (दैनिक जीवन में बुक की लर्निंग्स का उपयोग)

दोस्तों, डेरियस फोरॉक्स की बताई गयी बातें हमें अपनी प्रोडक्टिविटी को बेहतर बनाने और procrastination को दूर करने में काफी सहायक हो सकती हैं। अगर आप भी बुक की learnings को अपने जीवन में अप्लाई करना चाहते तो नीचे कुछ प्रैक्टिकल टिप्स दिए गए हैं-

  • Immediate एक्शन लें– जब आपको कोई काम करना हो तो उसे ताले नहीं बल्कि उसे जल्द से जल्द पूरा करने के लिए एक्शन लें।
  • टाइम ब्लॉकिंग का उपयोग करें– हर काम को करने के लिए अपने कैलेंडर में टाइम ब्लॉक करें। ये विभिन्न टास्क को करने के लिए प्लानिंग की तरह होगा जिससे आपको पता चलता रहेगा के किस समय पर क्या काम करना है।
  • Tasks को prioritize करें– सबसे पहले सबसे ज़्यादा ज़रूरी कामों को निबटाएं। ऐसा करने से आपको अपने टाइम का बेहतर इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी।
  • Procrastination पर काबू पाएं– आपको ये समझना चाहिए की procrastination की सबसे बड़ी वजह मानसिक बाधाएं हैं। ऐसे नकारात्मक विचार जो आपको आगे बढ़ने से रोकते हैं उन्हें निकल बहार फेंकें। याद रखें की एक्शन लेने से ही inertia पर काबू किया जा सकता है।
  • टू मिनट रूल का प्रयोग करें– अगर किसी काम को करने में दो मिनट या उससे कम समय लगे तो उसे तुरंत कर लें। इससे आपके छोटे छोटे काम इकट्ठे नहीं होंगे।
  • Completion को visualize करें– खुद को काम पूरा करते हुए visualize करें और फील करने की कोशिश करें की आपको कैसा महसूस होगा। इससे आपको विलंब पर काबू पाने और शुरुआत करने में मदद मिल सकती है।
  • Consistent रहे– ये याद रखें की स्थायी परिवर्तन तभी संभव हैं जब “Do It Today” में दी गयी बातों को कन्सिस्टेंटली फॉलो किया जाए। Consistency से ही सफलता संभव है।

बुक में दिए गए इन इन सुझावों को अपने दैनिक जीवन में अप्लाई कर सकते हैं और सफलता की ओर अग्रसर हैं।

Conclusion (निष्कर्ष)

दोस्तों ये थी डेरियस फोरॉक्स की बुक “Do It Today Summary In Hindi”।

यह बुक हमें अपनी प्रोडक्टिविटी बढ़ाने और procrastination को दूर करने में हमारी मदद करती है। इस बुक से हम यह भी सीखते हैं की हमें चीज़ों के बारे में सोचना बंद करके उन्हें करना चाहिए।

‘Do It Today’ एक लाइफ चेंजिंग बुक है और अगर आप भी अपने जीवन में कुछ हासिल करना चाहते हैं तो आपको ये बुक ज़रूर पढ़नी चाहिए। घर बैठे बुक प्राप्त करने लिंक पर जाएँ।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Do it today overcome procrastination improve productivity??

Yes, the book “Do It Today” can help you overcome procrastination and improve productivity. The book provides practical advice on how to take immediate action, prioritize your tasks, and overcome procrastination.

What are the three 3 benefits of overcoming procrastination?

The three benefits of overcoming procrastination are increased productivity, reduced stress and anxiety, and enhanced self-discipline.

How procrastination affects success?

Procrastination can significantly hinder success by delaying progress, causing missed opportunities, and diminishing motivation and productivity.

Must Read Book Summaries
(अन्य बुक समरीज़)

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