Introduction (परिचय)- Don’t Believe Everything You Think Summary in Hindi
हेलो दोस्तों, स्वागत है आपका Don’t Believe Everything You Think Summary In Hindi में।
दोस्तों, क्या आप अधिक सोचने, ज्यादा चिंता करने और खुद को असफल मानने के चक्र में फंसे हुए हैं? अगर ऐसा है, तो आप अकेले नहीं हैं। बहुत से लोग इन मुद्दों से जूझते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी सोच आपकी पीड़ा की शुरुआत और अंत है?
जोसेफ न्यूगेन की बुक “डोंट बिलीव एवरीथिंग यू थिंक: Why your thinking is the beginning and end of suffering” इस विचार को विस्तार से समझाती है। यह बुक एक पूर्ण मार्गदर्शक है जो आपको अपनी सोच को स्वस्थ बनाने और अपने जीवन को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है।
इस ब्लॉग पोस्ट में, हम इस पुस्तक के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा करेंगे। हम देखेंगे कि:
- आपकी सोच का मूल कारण क्या है
- नकारात्मक विचारों और भावनाओं से कैसे निपटें
- बिना शर्त का प्रेम, शांति और वर्तमान पल में खुशी कैसे अनुभव करें
- नकारात्मक विचारों के चक्र से कैसे मुक्त हों
- चिंता, आत्म-शंका, तनाव और आत्म-विध्वंसकारी आदतों से कैसे छुटकारा पाएं
- समृद्धि, प्रवाह और सुख की अवस्था बिना प्रयास के कैसे उत्पन्न करें
- अज्ञात और अनिश्चितता के साथ सहजता से कैसे रहें
- अपने अंतर्ज्ञान और आंतरिक बुद्धिमत्ता तक कैसे पहुँचें
यदि आप अपनी सोच को बेहतर बनाने और अपने जीवन को बदलने के लिए तैयार हैं, तो यह ब्लॉग पोस्ट आपके लिए है। तो आइये दोस्तों, शुरू करते हैं Don’t Believe Everything You Think Summary In Hindi
The Journey To Finding The Root Cause Of Suffering (दुख का मूल कारण खोजना)
थिच नहत हान कहते हैं: दर्द (Pain) होता है, लेकिन पीड़ा (Suffering) ऑप्शनल है, यानी इससे बचा जा सकता है। यह दो बार गोली खाने जैसा है. आप पहले तीर (दर्द) से नहीं बच सकते, लेकिन आप दूसरे तीर (पीड़ा) से बचने का विकल्प चुन सकते हैं।
ऑथर जोसेफ़ न्यूगेन ने पीड़ा को रोकने के लिए चिकित्सा से लेकर ध्यान तक सब कुछ करने की कोशिश की, लेकिन कुछ भी काम नहीं आया। आख़िरकार, एक गुरु ने उन्हें सिखाया कि मन कैसे दुख पैदा करता है। इसे समझकर, वे अब और कष्ट न सहने का विकल्प चुन सकते हैं, तब भी जब जीवन उनके रास्ते में डार्ट्स (दर्द) फेंकता है।
दर्द अपरिहार्य है, लेकिन पीड़ा एक विकल्प है। अगर आप ये जान गए कि आपका दिमाग कैसे काम करता है, तो आप दुख को हमेशा के लिए रोक सकते हैं।
The Root Cause Of All Suffering (सभी दुखों का मूल कारण)
ऑथर कहते हैं की हमें अपने दुखों के लिए दुनिया को दोष नहीं देना चाहिए। अगर हम ट्रैफिक में फंसते हैं या फिर ऑफिस में अगर हमारा बॉस ख़राब है तो इसकी वजह है हमारी अपनी सोच।
एक कमरे एक अंदर दो अलग अलग लोग हैं- एक खुश है तो दूसरा दुखी है , जानते हैं ऐसा क्यों है ? क्यूंकि वो वास्तविकता (reality) को अलग अलग नज़रिये से देखते हैं। वास्तविकता तो जो है वो है ही लेकिन उसे देखने का जो दृष्टिकोण है वह मायने रखता है। आप जिस चीज़ से नफरत करते हैं उसका विचार मन में आते ही आपको बुरा लगने लगता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की अगर आप उस विचार को अपने मन से निकल फेकेंगे तो कैसा होगा? क्या आप पहले से बेहतर महसूस नहीं करेंगे ?
बस ज़रुरत है तो अपने मन को समझने की।
दुनिया में जो कुछ भी घटित हो रहा है वो आपको बुरा महसूस करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। ये उन चीज़ों पर आपकी प्रतिक्रिया है और उन घटित हो रही चीज़ों का इन्टरप्रेटशन है जिसके वजह से आप बुरा महसूस करते हैं। सीखिए की आपका मन कैसे काम करता है, उसके अंदर से नकारात्मकता को निकल फेंकिए और अपने लिए दुःख को पैदा करना बंद कीजिये।
दोस्तों, आपके विचार (thoughts) किसी शिप के कप्तान की तरह हैं जो ये डिसाइड करता है की किस दिशा में जाना है, इसलिए अपने विचारों पर नज़र रखिये। विचारों की शक्ति को समझने के लिए द पावर ऑफ़ पॉजिटिव थिंकिंग की समरी पढ़ने ले लिए यहाँ क्लिक करें।
Why Do We Even Think? (हम सोचते ही क्यों हैं?)
दोस्तों, ऑथर हमें बताते हैं की हम ख़ुश रहने के लिए नहीं बल्कि अस्तित्व के लिए सोचने के लिए विकसित हुए हैं। मनुष्य का दिमाग इतना विकसित हो चुका है की ये खतरों को ध्यान में रखकर और सबसे खराब स्थिति की कल्पना करके हमें जीवित रखने में कुशल है। इसके इस विकास ने तब तक तो बहुत अच्छा काम किया जब मनुष्य एक हंटर था और जंगलों में रहता था क्यूंकि तब उसके सामने ज़िंदा रहना एक बहुत बड़ी चुनौती थी, लेकिन मनुष्य के दिमाग के इस विकास ने आज के युग में मनुष्य को अनावश्यक चिंता और नकारात्मकता पैदा की है।
हमारे जीवन का असली मक़सद शांति, प्यार और आनंद पाना है। लेकिन हमारे मन का फोकस इन सब पर नहीं है इसलिए ये भटक जाता है लेकिन हम इसे नियंत्रण में कर सकते हैं और इसके लिए हमें ये समझना होगा कि मन की भूमिका जीवित रहने की है, संतुष्टि की नहीं।
ख़ुशी मिलना तभी संभव है जब हम मन की फुसफुसाहट से बचकर किसी “गहरी चीज़” की ओर ध्यान लगाएंगे। इस “गहरी चीज़” को चेतना, आत्मा या कोई अन्य नाम कहा जा सकता है, लेकिन यह जीवित रहने की विधा से कहीं ज़्यादा आनंद और शांति का स्रोत है।
अगर संक्षेप में कहा जाए तो-
- मन हमें जीवित रहने में मदद करता है, लेकिन यह हमें दुखी भी कर सकता है।
- हमारा असली उद्देश्य फलना-फूलना है, न कि केवल जीवित रहना।
- हम मन से आगे बढ़कर और किसी गहरी चीज़ से जुड़कर खुशी पा सकते हैं।
इसे समझकर, हम मन की सीमाओं से मुक्त हो सकते हैं और एक बेहतर जीवन जीने की ओर क़दम बढ़ा सकते हैं।
Thoughts Vs Thinking (विचार बनाम सोच)
बुक के इस चैप्टर में ऑथर ने हमें हमारे विचारों (Thoughts) और सोच (Thinking) के बीच के अंतर को समझाने की कोशिश की है। आइये एक नज़र डालते हैं दोनों पर-
विचार (Thoughts)
- विचार हमारी दुनिया के वो ऊर्जावान बिल्डिंग ब्लॉक्स हैं जो कुछ अदभुत आकर लेने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
- विचार हमारे दिमाग में मौजूद आइडियाज होते हैं जो मन के अंदर पॉप अप होते रहते हैं। हम इस पर नियंत्रण नहीं कर सकते की वे कहाँ से आते हैं, लेकिन उनके स्त्रोत को हमारे व्यक्तिगत दिमाग से कहीं बड़ा माना जाता है, जिसे अक्सर ब्रह्मांड कहा जाता है।
- जब हम सबसे शांतिपूर्ण, प्रेमपूर्ण और आनंदित होते हैं, तो हमारे दिमाग में सकारात्मक विचार स्वाभाविक रूप से प्रकट होते हैं। ये अच्छी भावनाएँ सीधे तौर पर विचारों का कारण नहीं बनती हैं, ये एक बोनस लाभ की तरह हैं जो खुश रहने के साथ आता है। इसे धूप की तरह समझें: जब बाहर रोशनी होती है, तो फूल स्वाभाविक रूप से खिलते हैं। इसी तरह आपकी आंतरिक ख़ुशी बिना किसी प्रयास के सकारात्मक विचारों को जन्म दे सकती है।
सोच (Thinking)
- सोच खाने को चबाने जैसा है। हम अपने मन में आये आईडिया तो छोटे छोटे पार्ट्स में तोड़कर, उसका विश्लेषण करते हैं, इसे ही सोचना कहा जाता है।
- हमारी सोच (न की विचार) हमें बुरा महसूस करा सकती है। अपने विचारों पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करने से चिंता, संदेह और अन्य नकारात्मक भावनाएं पैदा हो सकती हैं।
- आप अपनी ड्रीम सैलरी की कल्पना करें। इसके बारे में सोचकर पहले तो आपको अच्छा लगेगा लेकिन फिर आप इसका विश्लेषण शुरू कर देंगे, जिससे आपके मन में डाउट पैदा होंगे। यह ज़्यादा सोचना ही आपकी शुरआती ख़ुशी को ख़त्म कर सकता है।
विचार बनाते हैं, सोच नष्ट करती है
दोस्तों, अपने दिमाग को एक विशाल पेंटब्रश के रूप में कल्पना करें।
विचार रंग-बिरंगे रंगों की बूँदें हैं। वे ताज़ा, रोमांचक और रचनात्मक संभावनाओं से भरपूर हैं। आप उनका उपयोग अपने किसी भी सपने को साकार करने के लिए कर सकते हैं!
अत्यधिक सोचना (Overthinking) किसी भी रंग को गंदा कर सकती है। यह उसी तरह है जैसे आपने किसी रंग बहुत अधिक पानी मिला दिया हो, जिससे रंग फीके और धुंधले हो जाते हैं। यह आपकी रचनात्मकता को सीमित करता है और आपके मूल विचारों की सुंदरता को देखना कठिन बना देता है।
इसलिए, शुद्ध विचार को अपनाएं और अत्यधिक सोचने से बचें। अपनी रचनात्मकता को स्वतंत्र रूप से बहने दें और अपने भीतर के कलाकार को चमकते हुए देखें!
इंटरनल राडार और इमोशनल डैशबोर्ड
- हमारे शुरुआती, अनफ़िल्टर्ड विचार अक्सर सकारात्मक और रोमांचक होते हैं। इन्हें एक बड़े स्रोत (ब्रह्मांड) से “डाउनलोड” किए गए विचारों या प्रेरणा के रूप में देखा जा सकता है।
- समस्या तब उत्पन्न होती है जब हम इन विचारों का विश्लेषण और मूल्यांकन करना शुरू करते हैं। यह अत्यधिक सोच सीमित विश्वास, संदेह और चिंता या तनाव जैसी नकारात्मक भावनाओं को जन्म देती है।
- अपनी भावनाओं पर ध्यान देकर, हम प्रत्यक्ष, सकारात्मक विचारों और अत्यधिक सोचने की नकारात्मकता के बीच अंतर कर सकते हैं। अगर आप अपने प्रारंभिक विचार से खुश हैं तो आप संभवतः अपने प्रारंभिक विचार के साथ सही रास्ते पर हैं। और अगर आपको बुरा लगता है तो आप विश्लेषण में खोये रह सकते हैं।
- मुख्य बात यह है कि अच्छे विचारों के प्राकृतिक प्रवाह को अपनाएं और धीरे-धीरे अत्यधिक सोचने से बचें। यह हमें अपनी रचनात्मक क्षमता को उजागर करने और अपनी भावनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से नेविगेट करने में मदद करेगा।
इसलिए, अपने मन की सुनें, अपनी प्रारंभिक प्रेरणाओं पर भरोसा करें और नकारात्मकता में फंसने से बचें। इससे आपकी रचनात्मकता प्रवाहित रहती है और आपका मूड अच्छा रहता है!
If We Can Only Feel What We’re Thinking, Don’t We Need to Think Positively to Feel That Way? (यदि हम केवल वही महसूस कर सकते हैं जो हम सोच रहे हैं, तो क्या हमें उस तरह महसूस करने के लिए सकारात्मक रूप से सोचने की आवश्यकता नहीं है?)
जैसा की आमतौर पर समझा जाता है, सकारात्मक भावनाएं, अच्छे विचारों को आपके मन में नहीं लाती हैं। हमारी प्राकृतिक स्तिथि आनंद, प्रेम और शांति की है लेकिन ये मन के अंदर विचारों की परतों के नीचे दब जाती है।
ऑथर ने हमें कुछ कुछ आश्चर्यजनक सच्चाई बताई हैं जो इस प्रकार हैं-
- अधिक सोचने से नकारात्मक भावनाएँ उत्पन्न होती हैं। जितना अधिक हम अपने विचारों का विश्लेषण और मूल्यांकन करते हैं, उतना ही हम अपनी प्राकृतिक शांति से दूर चले जाते हैं। यह एक “विचार-ओ-मीटर” की तरह है जो तनाव और नकारात्मकता के ख़तरे वाले क्षेत्र में हमें धकेलता है।
- हमें सकारात्मक भावनाओं के लिए विचारों की आवश्यकता नहीं है। आप अपने ख़ुशी के क्षणों का विश्लेषण करने पर ये पाएंगे की सच्ची ख़ुशी शांत, विचार-मुक्त स्थान में मिलती है।
- सोचने से ज़्यादा महसूस कीजिये। मैडिटेशन, नेचर के बीच टहलना या अन्य कोई भी ऐसी एक्टिविटी जो आपके अंदर वर्तमान क्षण की जागरूकता पैदा करे, मन को शांत करने और सकारात्मक भावनाओं को पनपने के लिए जगह बनाने में मदद करती हैं।
- सकारात्मक सोच के माध्यम से ख़ुशी का पीछा न करें इसके बजाय, अपने मन को शांत करें और उस सहज आनंद को फिर से खोजें जो हमेशा आपके भीतर रहा है।
How The Human Experience Is Created- The 3 Principles (मानवीय अनुभव निर्मित होने के- 3 सिद्धांत)
मानवीय अनुभव 3 प्रमुख सिद्धांतों- सार्वभौमिक मन (Universal Mind), चेतना (Consciousness) और विचार (Thought) से आकर लेता है। सिडनी बैंक्स खोहे गए ये सिद्धांत हमारे जीवन के अनुभवों को सुविधाजनक बनाने के लिए एक दुसरे के साथ सद्धभाव से काम करते हैं। इन सिद्धांतों को समझकर न केवल दुःख कम करने में मदद मिलती है बल्कि हमें सृजन करने की शक्ति भी मिलती है। आइये दोस्तों, इन सिद्धांतों को थोड़ा विस्तार से समझते हैं।
- यूनिवर्सल माइंड– यूनिवर्सल माइंड हर जीवित चीज़ की अंतर्निहित ऊर्जा और बुद्धिमत्ता की तरह है। यह हर जीवित चीज़ में मौजूद है, जो बीज के पेड़ बनने या आपके शरीर को खुद को स्थिर रखने जैसी प्राकृतिक प्रक्रियाओं का मार्गदर्शन करती है। कुछ लोग इसे ईश्वर, सर्वोच्च बुद्धि या ऊर्जा का विशाल क्षेत्र भी कहते हैं, लेकिन सबका विचार यही है कि सब कुछ जुड़ा हुआ है, और यह सिर्फ हमारी सोच है जो हमें अलग महसूस कराती है। जब आप इस सार्वभौमिक मन में प्रवेश करते हैं, तो आप संपूर्ण, प्रिय, आनंदमय, शांतिपूर्ण और प्रेरित महसूस करते हैं। लेकिन जब आप विचारों में फंस जाते हैं और अलगाव के भ्रम पर विश्वास करते हैं, तो आप अकेला, निराश, क्रोधित और डरा हुआ महसूस करते हैं।
- चेतना (Consciousness)- सार्वभौमिक चेतना वह जागरूकता है जो हमें वह बनती है जो हम हैं। यही कारण है कि हम केवल मांस और हड्डियों के पुतले नहीं हैं, बल्कि ऐसे प्राणी हैं जो देख, सुन, महसूस और सोच सकते हैं। यह चेतना हमारी इंद्रियों में प्राण फूंकती है, और हमें दुनिया का अनुभव करने और यहां तक कि खुद के बारे में जागरूक होने में मदद करती है। इसके बिना, हमारी इंद्रियों को यह भी पता नहीं चलेगा कि क्या करना है, जैसे एक कैमरा अंधेरे की ओर इशारा करता है। यह हमारे अनुभव का बुनियादी “ऑन स्विच” है।
- विचार (Thought)– हमारे विचार एक रॉ डाटा की तरह हैं जो हमारे अनुभवों को आकर देते हैं। ये भी कहा जा सकता है है की ये विचार ही हैं जो हमारे अनुभवों के लिए बिल्डिंग ब्लॉक्स की तरह काम करते हैं। यह वह जानकारी है जो न केवल हम जो देखते और छूते हैं उसे परिभाषित करती है, बल्कि वास्तविकता की रूपरेखा को भी परिभाषित करती है। संभावनाओं के एक विशाल महासागर की कल्पना करें, और सार्वभौमिक विचार वह भाषा है जिसमें यह महासागर बोलता है। यह हमारी इंद्रियों को अपनी जानकारी को दृश्यों, ध्वनियों और भावनाओं में अनुवाद करने में मदद करता है, और यह हमारे दिमाग को इस जानकारी को आकार देने और उसके साथ बातचीत करने का अधिकार देता है, जिससे ब्रह्मांड के चल रहे निर्माण में योगदान मिलता है। यूनिवर्सल थॉट को समझने से, हम हर चीज के अंतर्संबंध और हमारी व्यक्तिगत और सामूहिक वास्तविकताओं को आकार देने में हमारे अपने विचारों की भूमिका को समझ सकते हैं।
मन, चेतना और विचार के सिद्धांतों को समझना केवल यह समझने के बारे में नहीं है कि हम चीजों को क्यों महसूस करते हैं। यह जीवन के उतार-चढ़ाव से निपटने का भी एक शक्तिशाली उपकरण है। इन अंतर्निहित शक्तियों को स्वीकार करके, हम चुनौतियों से ऊपर उठने और अधिक संतुष्टिदायक अनुभव बनाने की क्षमता को अनलॉक कर सकते हैं।
If Thinking Is The Root Cause Of Our Suffering, How Do We Stop Thinking (यदि सोचना ही हमारे दुख का मूल कारण है, तो हम सोचना कैसे बंद करें?)
ऑथर कहते हैं की हमें अपनी सभी सोच को रोकने के बजाए, इसे बहते रहते देना चाहिए, बस ज़रुरत है तो इस बात की फंसे नहीं। इसे पानी एक गंदे कटोरे की तरह समझें। हमें गंदगी से लड़ने की ज़रूरत नहीं है; बस गंदगी को बैठने दें, और यह अपने आप ठीक हो जाएगा। यही बात हमारे दिमाग पर भी लागू होती है।
इसके लिए जागरूकता की आवश्यकता है। जब हम अपने विचारों पर ध्यान देते हैं, विशेषकर नकारात्मक विचारों पर, तो हम बिना किसी निर्णय के उन्हें आसानी से देख सकते हैं। इससे वे प्राकृतिक रूप से लुप्त हो जाते हैं, जैसे बादल धूप को रास्ता दे देते हैं।
विचार किसी दलदल की तरह हैं। जितना अधिक हम इससे बहार निकलने का संघर्ष करते हैं, उतना ही गहराई से हम इसमें डूबते जाते हैं। इसके बजाय, आराम करें और अपने आंतरिक ज्ञान पर भरोसा करें जो आपको शांति की ओर वापस ले जाएगा। यह लहरों पर सवारी करने जैसा है – प्रवाह के साथ चलें, उसके विपरीत नहीं।
जैसा की पहले चैप्टर्स में ऑथर ने बताया है की हमारी प्राकृतिक अवस्था आनंद और शांति है और यह हमेशा रहती भी है, भले ही ये विचार के बादलों से छिपा हो। हमें बस इसे वैसे ही याद रखने की जरूरत है, जैसे हम अंधेरा होने पर भी चमकते सूरज को याद रखते हैं।
लगातार सोचने की चिंता न करें। सोच और शांति के बीच उतार-चढ़ाव आना सामान्य बात है। बस जागरूकता का अभ्यास करते रहें, और धीरे-धीरे, आप अपने अस्तित्व का आनंद लेने में अधिक समय व्यतीत करेंगे।
इन बातों का पालन करके, आप सोच के प्रभाव को कम कर सकते हैं और आंतरिक शांति और खुशी के अधिक क्षणों का अनुभव कर सकते हैं।
How Can We Possibly Thrive In The World Without Thinking? (बिना सोचे-समझे हम दुनिया में कैसे आगे बढ़ सकते हैं?)
दोस्तों, क्या आपने कभी ध्यान दिया है की जब आप किसी काम में बहुत मशगूल हो जाते हैं तो समय कब निकल जाता है पता ही नहीं चलता। ऑथर कहते हैं की यही पीक परफॉरमेंस का राज़ है। पीक परफॉरमेंस के लिए सिर्फ कड़ी मेहनत या सोच की ही आवश्यकता नहीं होती, बल्कि अपने अंदर के विचारों को भी शांत करने के आवश्यकता होती है।
इसे बाइक चलाने के उद्दाहरण से समझें। जब आप बाइक चलाना (या फिर कोई भी नई चीज़) सीखते हैं तो शुरू में आपको उसके लिए बहुत मेहनत करनी होती है लेकिन जब आप उसमे पारंगत हो जाते हैं तो आपका शरीर ख़ुद बी ख़ुद बिना किसी एफर्ट के काम करने लगता है। इस स्तिथि को जापानी संस्कृति में “मुशीन” कहते हैं- जहाँ दिमाग़ की आवश्यकता नहीं होती, बस इंस्टिंक्ट और ट्रेनिंग के माध्यम से काम अपने आप होता चला जाता है।
यही बात एथलीटों, कलाकारों, सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले किसी भी व्यक्ति पर लागू होती है। वे विचारों से प्रभावित नहीं होते, वे अपनी प्रतिभा के वाहक होते हैं। और परफॉर्म करते समय वह अपने मन के विचारों पर नहीं अपनी परफॉरमेंस पर ध्यान देते हैं और पीक परफॉरमेंस वैसे ही आती चली जाती है जैसे हम हर सांस लेने और छोड़ने के बारे में सोचे बिना स्वतंत्र रूप से सांस लेते जाते हैं।
ऑथर सावधान करते हुए कहते हैं की इसका मतलब ये बिलकुल नहीं है की आप अपने दिमाग का उपयोग करना ही बंद कर दें। आपको बस ज़रुरत से ज़्यादा विश्लेषण करना और चीज़ों को कण्ट्रोल करना त्याग कर अपनी प्रशिक्षित प्रवृत्ति को आगे बढ़ने देना होगा और अपने अवचेतन ज्ञान पर भरोसा रखना सीखना होगा। जब आप ज़्यादा सोचना बंद कर देंगे और प्रवाह में आ जाएंगे, तो आप यह देखकर आश्चर्यचकित रह जाएंगे कि आप क्या हासिल कर सकते हैं।
If We Stop Thinking, What Do We Do About Our Goals, Dreams & Ambitions? (यदि हम सोचना बंद कर दें, तो हमारे लक्ष्यों, सपनों और महत्वाकांक्षाओं का क्या होगा?)
बुक के इस चैप्टर में ऑथर जोसेफ़ न्यूगेन यह कहते हैं कि हमारा “सोचने वाला दिमाग” हमारे अधिकांश दुखों का स्रोत है, और हम अपने विचारों को शांत करके और प्रेरणा के गहरे स्रोत से जुड़कर, एक बेहतर जीवन और लक्ष्य बना सकते हैं।
- विचार (Thoughts) और सोच (Thinking) के बीच अंतर करना– हमारे विचार हमारी प्रेरणा से स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होते हैं जबकि सोच इन विचारों का विश्लेषण और मूल्यांकन करने की प्रक्रिया को कहते हैं जिससे नकारात्मकता उप्तन्न होती है।
- लक्ष्यों के दो स्रोत– हमारे लक्ष्य दो स्रोतों से आ सकते हैं: हताशा और प्रेरणा। हताशा से पैदा हुए लक्ष्य भय, अभाव और नकारात्मकता से बचने की इच्छा से प्रेरित होते हैं। दूसरी ओर, प्रेरणा से लक्ष्य प्रचुरता और आनंद की इच्छा से आते हैं।
- ईश्वरीय प्रेरणा से जुड़ना– ऑथर हमें हमारी प्रेरणा का लाभ उठाने के कई तरीके सुझाते हैं, जिसमें खुद से “अगर मेरे पास बहुत धन होता…” जैसे प्रश्न पूछना और अपने सपनों और इच्छाओं के बारे में अधिक सोचने से बचना शामिल है।
- कम सोच के साथ जीना– ऑथर सुझाव देते हैं कि कम सोच और अपने अंतर्ज्ञान और प्रेरणा पर अधिक भरोसा करने वाला जीवन अपनाकर, हम अधिक शांति, आनंद और संतुष्टि का अनुभव कर सकते हैं।
Unconditional Love & Creation(बिना शर्त का प्यार और सृजन)
ऑथर कहते हैं की अनकंडीशनल प्यार एक ऐसा प्यार है जो रीज़न और जस्टिफिकेशन से ऊपर उठकर है। ऑथर मानते हैं की उनका उनकी प्रेमिका माकेना के प्रति प्यार अनकंडीशनल प्यार का जीता जागता उद्दाहरण है जहाँ अटूट स्नेह तो है ही, किसी प्रकार की सौदेबाज़ी या चालबाज़ी भी नहीं है। वह कहते हैं की ऐसा प्यार का अस्तित्व सिर्फ इसलिए है, क्यूंकि यह प्रचुरता से प्रेरित है और कोई प्रतिदान नहीं चाहता है।
बिना शर्त सृजन भी इसी स्रोत से उत्पन्न होता है। यह प्रसिद्धि या भाग्य जैसे बाहरी पुरस्कारों के लिए नहीं कुछ करने के बारे में नहीं है बल्कि पूरी तरह से सृजन के आनंद को लेने के लिए कुछ करने के बारे में है । अपेक्षाओं से मुक्त सृजन में ही सच्चा जादू रहता है।
ऑथर कहते हैं की हममें से अधिकांश लोग सशर्त निर्माण के जाल में फँस जाते हैं और लगातार लक्ष्यों का पीछा करते रहते हैं। यह हमें थका देता है क्यूंकि हम मटेरियल अचीवमेंट्स से ऐसी जगह को भरने की कोशिश करते हैं जो वास्तव में ख़ाली ही नहीं है, बस हमें खाली दिखती है।
बिना शर्त प्यार और सृजन दोनों को अनलॉक तभी किया जा सकता है जब हम हमारे विश्लेषणात्मक दिमाग को शांत करके और भीतर के अनंत स्रोत का दोहन करें। यह विश्वास की एक ऐसी छलांग है जो हमें गैर-सोच के क्षेत्र में कदम रखना सिखाती है जहां रचनात्मकता निर्बाध रूप से बहती है। यहां, सृजन का कार्य ही पुरस्कार, अंतिम पूर्ति बन जाता है।
ये इतना आसान नहीं है, लेकिन पुरस्कार असीमित हैं। बिना शर्त प्यार और सृजन को अपनाने से, हम खुशी और संतुष्टि के उस स्तर तक पहुँच सकते हैं जिसके बारे में हम सोच भी नहीं सकते।
What Do You Do Next After Experiencing Peace, Joy, Love & Fulfillment In The Present? (वर्तमान में शांति, आनंद, प्रेम और संतुष्टि का अनुभव करने के बाद आगे क्या?)
बुक के इस चैप्टर में ऑथर, शांति, आनंद और प्रेम का अनुभव करने के बाद उत्पन्न होने वाली अनिश्चितता से निपटने के लिए एक रोडमैप शेयर करते हैं।
- संदेह को स्वीकार करें– अहंकार को त्यागने के बाद चिंता, बेचैनी और संदेह सामान्य बात है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अहंकार, जो आपके जीवन को नियंत्रित करने का आदी है, फिर से अपना कब्ज़ा जमाने की कोशिश करता है।
- नकारात्मकता के स्रोत को याद रखें– अपने आप को याद दिलाएं कि केवल सोच ही नकारात्मक भावनाएं पैदा करती है। सोचना पूरी तरह से बंद करने की कोशिश न करें, बल्कि इसे नकारात्मकता के स्रोत के रूप में याद रखें।
- ऊर्जा– निरंतर सोचने के लिए उपयोग की जाने वाली ऊर्जा अब अन्य कार्यों के लिए उपलब्ध हो जाती है। इसे शांति, आनंद और प्रेम से प्रेरित लक्ष्यों की ओर निर्देशित करें, भय या हताशा से नहीं।
- एक एक्टिवेशन रिचुअल बनाएं– एक सुबह की दिनचर्या विकसित करें जो गैर-सोच और सकारात्मक गति को बढ़ावा देती है। इससे आपके दिन के लिए एक अच्छा माहौल तैयार होगा और शांति से दिन व्यतीत होगा।
- नए पैशन को बढ़ावा दें– प्रेरणा से नए लक्ष्य बनाने के लिए मुक्त हुई ऊर्जा का उपयोग करें। ये लक्ष्य इस नई स्थिति में आपकी यात्रा का मार्गदर्शन करेंगे।
Nothing Is Either Good Or Bad (कुछ भी अच्छा या बुरा नहीं होता)
विलियम शेक्सपियर का उपरोक्त कथन की “कुछ भी अच्छा या बुरा नहीं होता, हमारी सोच इसे ऐसा बनाती है” हमें यह बताता है कि जीवन में कोई “गलत” निर्णय नहीं होते हैं। सही या गलत पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय या दूसरों को बेहतर या बदतर साबित करने की कोशिश करने के बजाय, जो हमारे सामने है उसमें सच्चाई की तलाश करनी चाहिए। सच्चा सत्य व्यक्तिपरक (subjective) नहीं है और हमारे अस्तित्व के भीतर ही पाया जा सकता है, हमारे बाहर नहीं।
नकारात्मक भावनाएँ गलतफहमी का संकेत हैं, क्योंकि हम अपने अनुभवों का मूल कारण भूल गए हैं और इसका कारण हमारी सोच है। नकारात्मक भावनाओं पर काबू पाने के लिए हमें यह पहचानना होगा कि हमारी सोच ही हमारी भावनाओं का मूल कारण है और इसे प्यार से अपनाना चाहिए। यह अंततः समाप्त हो जाएगा, जिससे हम शांति, प्रेम और आनंद की स्थिति में लौट सकेंगे। सभी संभावित दृष्टिकोणों के प्रति खुले रहकर और जीवन की सुंदरता के प्रति खुले रहकर, हम जीवन की वास्तविक प्रकृति के बारे में अपनी समझ को गहरा कर सकते हैं।
How Do You Know What To Do Without Thinking (यह जानना कि बिना सोचे क्या करना है)
दोस्तों, अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था की इन्टुइटीव माइंड एक सेक्रेड गिफ्ट की तरह है, और तर्कसंगत मन एक वफादार सेवक है। हमने एक ऐसा समाज बनाया है जो इन्टुइटीव माइंड का सम्मान तो करता है लेकिन इंटुइशन के उपहार को भूल गया है। निर्णय लेते समय, हम नॉन-थिंकिंग पर निर्भर रहना चाहते हैं, क्योंकि यह चिंता और निराशा का कारण बनता है। अधिकांश लोग पहले से ही जानते हैं कि किसी विशिष्ट स्थिति में क्या करना है, जिसे अक्सर गट फीलिंग या आंतरिक ज्ञान (inner wisdom) कहा जाता है।
यह जानने के लिए कि बिना सोचे-समझे क्या करना है, हमें अपने अंतर्ज्ञान को सुनना चाहिए और उत्तर के लिए अपने भीतर देखना चाहिए। हमारा अंतर्ज्ञान हमेशा हमें उस ओर ले जाएगा जहां हमें जाना है और किसी भी समय हमें क्या करना चाहिए। जब तक यह मुख्यधारा में नहीं आ जाता तब तक समाज शायद ही कभी हमारे अंतर्ज्ञान की पुष्टि करेगा, इसलिए उत्तरों के लिए बाहरी चीज़ों के पास जाने से बचना महत्वपूर्ण है।
अधिकांश लोग जानते हैं कि क्या करना है, लेकिन वे ऐसा करने से डरते हैं। उदाहरण के लिए, यदि हम अपना वजन कम करना चाहते हैं, तो हममें से अधिकांश लोग जानते हैं कि क्या करना है। पहला कदम यह महसूस करना है कि हम पहले से ही जानते हैं कि क्या करना है, लेकिन हम सिर्फ यह सोचते हैं कि हम डर या आत्म-संदेह के कारण ऐसा नहीं करते हैं। यदि हमें कोई डर या आत्म-संदेह नहीं है और फिर भी हम देखते हैं कि हम नहीं जानते कि क्या करना है, तो अगला कदम अपने आंतरिक ज्ञान (अनंत बुद्धिमत्ता) पर भरोसा करना है जो हमें वह उत्तर देगा जिसकी हमें तलाश है।
दोस्तों, अगर आपको ये पता हैं कि आप पहले से ही जानते हैं, तो आपको जो जानना है वह हमेशा आपके पास आएगा। अपने अंतर्ज्ञान (Intuition) और आंतरिक ज्ञान (Inner Wisdom) पर भरोसा रखें, क्योंकि जब आपको इसकी आवश्यकता होगी तो यह हमेशा आपके लिए मौजूद रहेगा।
How To Follow Your Intuition (अपने अंतर्ज्ञान का पालन कैसे करें)
ऑथर कहते हैं की अंतर्ज्ञान (intuition) व्यक्तिगत विकास और सफलता के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है, जिसका उपयोग करने के लिए हमें स्वयं पर भरोसा करना होगा और आंतरिक ज्ञान में विश्वास रखना होगा। इसकी विशेषता शुद्ध एकता और हमारे आस-पास की हर चीज़ से सीधा संबंध है, जो ईश्वर/ब्रह्मांड/अनंत बुद्धिमत्ता के साथ संरेखित है। सोच (Thinking) इस संबंध को तोड़ देती है, जिससे तनाव, हताशा, क्रोध, नाराजगी और अवसाद जैसी नकारात्मक भावनाएं पैदा होती हैं। गैर-सोच या प्रवाह का अनुभव किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन यह वर्तमान क्षण में सबसे प्रभावी है। आध्यात्मिक गुरु और नेता सत्य को खोजने के लिए ध्यान, प्रार्थना और वर्तमान क्षण में रहना सिखाते हैं।
जीवन पूरी तरह से हमारे नियंत्रण से बाहर है, लेकिन हम अपने विचारों और भावनाओं को नियंत्रित कर सकते हैं, जो हमारी समस्याओं और नकारात्मक भावनाओं का मूल कारण हैं। सफलता, खुशी और संतुष्टि हमारी आंतरिक भावनाओं से मापी जाती है। हमें वास्तविक समय में अपना मार्गदर्शन करने, अपनी अनंत बुद्धिमत्ता (ईश्वर) तक पहुंचने और जरूरत पड़ने पर उत्तर प्राप्त करने के लिए अपने अंतर्ज्ञान और आंतरिक ज्ञान पर भरोसा करना चाहिए।
अंतर्ज्ञान अक्सर हमारे तार्किक, तर्कसंगत दिमाग के खिलाफ जा सकता है, लेकिन यह हमें अपनी सच्ची इच्छाओं को आगे बढ़ाने और चमत्कार और प्रचुरता पैदा करने की ओर ले जाता है। अपने अंतर्ज्ञान पर भरोसा करने से हमें उन असीमित संभावनाओं का अनुभव करने में मदद मिलती है जो जीवन ला सकती हैं, जिससे जादुई चीजें और चमत्कार हो सकते हैं।
Creating Space For Miracles (चमत्कारों के लिए जगह बनाना)
दोस्तों, अपने मन की कल्पना एक ऐसे कमरे के रूप में करें जिसमे फर्नीचर (विचार) भरे पड़े हैं। इस कमरे में और फर्नीचर (नए चमत्कारिक विचार) तभी आ पाएंगे जब आप उनके लिए जगह बनाएंगे। इसलिए
- अपने मन को ज़्यादा सोचने से उत्पन्न हुए विचारों से भरना बंद करें क्यूंकि ऐसा करके आप नए विचारों को अवरुद्ध कर देते हैं और उनके आने के लिए कोई खली जगह ही नहीं बचती है।
- शोर को शांत करें- आराम करें, ध्यान करें, प्रकृति में समय बिताएं, कुछ भी करें जो आपको अपने दिमाग से बाहर वर्तमान क्षण में ले जाए। ठीक उसी तरह जैसे खिड़कियाँ खोलने से ताजी हवा अंदर आती है।
- याद रखें, एडिसन और आइंस्टीन जैसे प्रतिभाशाली लोग भी ऐसा करते हैं! एडिसन अपने दिमाग को भटकाने के लिए गेंदों के साथ झपकी लेते थे, और आइंस्टीन अटकी हुई सोच से मुक्त होने के लिए वायलिन बजाते थे।
किसी चुनौती का सामना करते समय ध्यान रखें-
- उत्तर की ज़्यादा तलाश न करें और चीज़ों को उनके हाल पर छोड़ दें। थोड़ा सब्र रखें और ये विश्वास रखें की आप जिस चीज़ का उत्तर चाहते हैं वह आपको मिल जायेगा लेकिन उसके लिए ज़्यादा कोशिश न करें और न ही ज़्यादा परेशान हों।
- कण्ट्रोल छोड़ कर अपने अंदर के विजडम के सामने सरेंडर कर दें।
- अच्छी फीलिंग्स जैसे प्यार, शांति और आनंद पर ध्यान दें। ये मैगनेट की तरह अच्छी चीज़ों को आपके जीवन में अट्रैक्ट करेंगी।
यह सरल तो है, लेकिन अभ्यास की आवश्यकता है। आपके विचार आपकी भावनाओं को नियंत्रित करते हैं, इसलिए तनाव लेना बंद करें और अपना दिमाग साफ़ करें!
What Happens When You Begin Living In Non-Thinking (क्या होता है जब आप निर्विचार में जीना शुरू करते हैं)
दोस्तों, जब आप निरंतर बिना सोच के बिना जीना शुरू करेंगे तो ये कुछ अटपटा लग सकता है और कुछ आश्चर्यजनक चीजें घटित हो सकती है जिनके बारे में ऑथर ने हमें बताया है। आइये एक नज़र डालते हैं-
- शांति और आनंद– आप शांत और प्रसन्न महसूस करेंगे। यह अपरिचित लग सकता है और आपको यह भी सोचने पर मजबूर कर सकता है कि कुछ गड़बड़ तो नहीं है। लेकिन भरोसा रखें, यह सब सामान्य है!
- उत्पादकता में वृद्धि– आश्चर्यजनक रूप से, ख़ुशी से काम बेहतर होता है और चिंताएँ कम होती हैं। जब आप संतुष्ट होते हैं तो समय भी बहुत तेज़ी से बीतता है!
- चमत्कार और प्रचुरता= आश्चर्यजनक चीजें तब घटित होने लगती हैं जब आप तनाव लेना बंद कर देते हैं और ब्रह्मांड को अपना जादू चलाने देते हैं।
- विश्वास ज़रूरी है– भरोसा रखें कि हर चीज़ किसी कारण से होती है, भले ही आपने इसे अभी तक नहीं देखा हो। अज्ञात में अनंत संभावनाएं हैं!
- दिमागी खेल– आपका मस्तिष्क आपको पुरानी सोच के पैटर्न में वापस खींचने की कोशिश कर सकता है। बस इसे पहचानें और धीरे से शांति की ओर लौटें। अपने आप को संभालें और पीछे गिरने से बचें।
याद रखें, न सोचने का मतलब यह नहीं की आप बेहोश हो जाएँ। यह चिंता को दूर करने और जीवन के प्रवाह को बेहतर बनाने का एक तरीक़ा है। ख़ुशी चुनें और जादू को होते हुए अपनी आँखों से देखें!
Conclusion (निष्कर्ष)
तो दोस्तों, ये थी Don’t Believe Everything You Think Summary in Hindi
दोस्तों, इस बुक में बताई गयी बातों का मतलब यह नहीं है की आप जो कुछ भी जानते हैं उसे भूल जाएं, यह बुक हमें एक ऐसा टूल सिखाती है जिससे उपयोग करके हम शांत और बिना सोचे-समझे क्षणों का आनंद उठा सकते हैं।
इसे इस तरह से सोचें: आपका दिमाग एक शोरगुल वाला बाज़ार है, जहाँ चारों ओर तरह तरह के विचार भरे हुए हैं से भरा हुआ है। जब आप इन विचारों को बढ़ावा देना बंद कर देते हैं, तो शोर शांत हो जाता है, और जब आप अपने आतंरिक ज्ञान को सुनते हैं तो आपके भीतर से आने वाली यह फुसफुसाहट शांति, स्पष्टता और चमत्कारों को अपने साथ लेकर आती है।
लेकिन इसके लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है। यदि आप वापस पुराने ढर्रे पर चले जाते हैं तो अपने आप को दोष न दें; आपका मस्तिष्क अपनी परिचित मुद्रा को बदलने में थोड़ा समय लेगा लेकिन इससे निराश न हों और निरंतर प्रयास करते रहें।
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पोस्ट को पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।
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