Introduction (परिचय)
हेलो दोस्तों, स्वागत है आपका The Power of Now Summary in Hindi में।
“The Power of Now” स्पिरिचुअल गुरु एकहार्ट टोले की सबसे ज़्यादा बिकने वाली एक ऐसी बुक है जिसने दुनिया भर में लाखों लोगों के जीवन को बदला है। यह बुक वर्तमान क्षण में जीने और आंतरिक शांति (inner peace) और आध्यात्मिक जागृति (spiritual awakening) का अनुभव करने के लिए एक प्रैक्टिकल गाइड की तरह काम करती है।
बुक के ऑथर एक बहुत ही प्रोब्लेमैटिक और परेशानी भरा जीवन जी रहे थे। वह देर रात तक जागकर खुद से ये सवाल करते रहते थे कि ऐसा क्या है जिसकी वजह से उनके जीवन में इतनी समस्याएं हैं और क्यों उनके जीवन में शांति नहीं है। उन्हें अपने इन सारे सवालों का उत्तर एक रात अचानक अपने विचारों की शक्ति से मिला। और जब वह अगली सुबह उठे तो उन्होंने बहुत शांति महसूस की क्योंकि वह वर्तमान क्षण में जीने की शक्ति जो पहचान चुके थे।
कई वर्षों तक कुछ न करने और अपनी नई-मिली शांति का आनंद लेने के बाद आख़िरकार लोगों ने उनसे सवाल पूछना शुरू कर दिया – तो उन्होंने जवाब दिया। ऑथर ने 1997 में द पावर ऑफ नाउ को पढ़ाना और प्रकाशित करना शुरू किया, जो ओपरा विन्फ्रे के रिकमेन्डेशन के बाद अंततः 2000 में न्यूयॉर्क टाइम्स बेस्टसेलर बन गयी।
बुक में ऑथर ने जो कुछ भी बताया है वह उनकी अपनी खुद की जागृति की यात्रा (Awakening journey) पर आधारित हैं, जो एक बहुत ही गहरे स्पिरिचुअल एक्सपीरियंस के साथ शुरू हुई जिसने उन्हें वर्तमान क्षण की शक्ति के बारे में जागरूक बनाया। “द पावर ऑफ नाउ” में, वह अपनी लर्निंग्स को शेयर करते हैं और प्रैक्टिकल गाइडेंस देते हैं कि वर्तमान क्षण की अवेयरनेस कैसे विकसित की जाए।
बुक को दस अलग अलग चैप्टर्स में डिवाइड किया गया है और हर एक चैप्टर में ऑथर की शिक्षाओं पर एक अनूठा दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है।
दोस्तों, आज की इस पोस्ट में, हम The Power of Now में दी गयी प्रमुख शिक्षाओं और उद्दाहरणों के साथ सभी चैप्टर्स की डिटेल्ड समरी सरल भाषा में आपने सामने रखेंगे जिससे उन्हें समझ कर आप भी उन लर्निंग्स को अपनी लाइफ में अप्लाई कर सकें। , । तो, आइए “The Power of Now Summary in Hindi” की परिवर्तनकारी दुनिया में अपनी यात्रा शुरू करते हैं।
Chapter 1: You Are Not Your Mind (आपका दिमाग और शरीर अलग हैं)
“द पावर ऑफ नाउ” का पहला चैप्टर दिमाग यानी मन के बारे में बात करता है। ऑथर का कहना है कि ज्यादातर लोग अपने दिमाग में चल रहे विचारों के बारे में नहीं जानते हैं।
वह कहते हैं कि हमारा दिमाग लगातार विचार (thoughts), यादें (memories) और कल्पनाएं (fantasies) उत्पन्न कर रहा है और यही विचार, यादें और कल्पनाएं हमारी पहचान बन जाते हैं। हालांकि, हमारा असली सार दिमाग से परे है और हम मन को शांत करने और वर्तमान क्षण में रहने के लिए सीखकर स्वयं के इस गहरे अर्थ को समझ सकते हैं।
ऑथर कहते हैं की हमारा मन दर्द का प्राथमिक स्रोत है। अगर हम अपने अहंकार को हावी होने देते हैं, तो हमें और ज़्यादा दर्द होगा। हमारा दिमाग यादें संजोकर रखता है और यही यादें हैं जो दर्द देती हैं। यादों पर फोकस करने से न सिर्फ गुज़रे हुए कल के बारे में चिंता होती है बल्कि आने वाले कल के बारे में और अधिक चिंता होती है।
अक्सर हमारे दिमाग में नकारात्मक यादें रह जाती हैं और यही हमें वर्तमान में जीने से रोकती हैं। लेकिन यादों पर हमारा किसी तरह का कोई कण्ट्रोल नहीं है, हमारा कण्ट्रोल केवल वर्तमान पर है। हमारी यादों या भविष्य की घटनाओं पर हमारा किसी प्रकार का कोई नियंत्रण नहीं है।
अपने आप को अपने दिमाग से अलग कर लें क्योंकि इससे आपको दर्द होता है। अपने शरीर पर ध्यान दें क्यूंकि यह समझता है कि आपके लिए सबसे अच्छा क्या है। नतीजतन, आप अपने शरीर पर ध्यान केंद्रित करके अपने जीवन के महत्वपूर्ण कारकों के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं।
Chapter 2: Consciousness: The Way Out of Pain (चेतना: दर्द से बाहर का रास्ता)
Consciousness is the key to liberation.
इस चैप्टर में, ऑथर ने चेतना के बारे में बात की है और बताया है की कैसे यह हमें दर्द और पीड़ा के चक्र से बचने में मदद कर सकता है जो अक्सर मन के कारण होता है। वह बताते हैं कि चेतना वर्तमान क्षण की जागरूकता है, और ये चेतना ही है जिसकी वजह से हम एक पूर्ण जीवन का अनुभव कर सकते हैं।
ऑथर का कहना है कि ज्यादातर लोग पूरी तरह से सचेत नहीं होते हैं, क्योंकि वे अपने दिमाग में उठने वाले विचारों और भावनाओं की निरंतर धारा में फंस जाते हैं। वे समझाते हैं कि अधिक जागरूक और उपस्थित होकर हम मन के कारण होने वाले दर्द और पीड़ा से खुद को मुक्त कर सकते हैं।
अधिक जागरूक बनने के प्रमुख तरीकों में से एक आंतरिक शरीर जागरूकता (inner-body awareness) के अभ्यास के माध्यम से है। इसमें हमारे शरीर में शारीरिक संवेदनाओं पर ध्यान देना शामिल है, जैसे सांस, दिल की धड़कन और ऊर्जा प्रवाह। ऐसा करने से, हम अपने शरीर और वर्तमान क्षण से अधिक जुड़ जाते हैं, और हम अपने विचारों और भावनाओं को उनके साथ पहचाने बिना बेहतर ढंग से देख पाते हैं।
ऑथर चेतना प्राप्त करने में स्वीकृति के महत्व पर बल देते हैं। अपने विचारों और भावनाओं का विरोध करने या उनसे लड़ने के बजाय, हम उन्हें वैसे ही स्वीकार करना सीख सकते हैं जैसे वे हैं और बिना किसी निर्णय के उनका पालन करते हैं। यह हमें अपने और अपने भीतर की दुनिया की गहरी समझ हासिल करने में मदद करता है।
The more consciousness you bring into the body, the stronger the immune system, becomes.
Chapter 3: Moving Deeply into the Now (वर्तमान में जियो)
इस चैप्टर में, ऑथर वर्तमान क्षण में जीने के अभ्यास और इससे होने वाले लाभों के बारे में बताते हैं। वह बताते हैं कि वर्तमान क्षण ही एकमात्र ऐसा क्षण है जो वास्तव में मौजूद है, और हमारा दिमाग अक्सर हमें अतीत या भविष्य के विचारों के कारण वर्तमान से दूर कर देता है।
ऑथर कहते हैं की अपने senses पर फोकस करके और अपनी surroundings के बारे में अधिक जागरूक होकर हम वर्तमान क्षण का पूरी तरह से अनुभव करके, हम ऐसी आंतरिक शांति का अनुभव कर सकते हैं जो बाहरी परिस्थितियों से प्रभावित नहीं होती है।
वर्तमान में जीने के लिए प्रमुख अभ्यासों में से एक है ध्यान (meditation)। वह बताते हैं कि ध्यान हमें मन को शांत करने और वर्तमान क्षण में पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकता है। वह ध्यान करने के तरीके के बारे में भी बताते हैं, जिसमें आसन और श्वास संबंधी सुझाव भी शामिल हैं।
ऑथर समय यानी टाइम के बारे में बताते हैं कि कैसे हमारा दिमाग पास्ट और फ्यूचर की भावना पैदा करते हैं जो की अक्सर वर्तमान क्षण से बिलकुल disconnected होते हैं। वह बताते हैं कि सच्ची आध्यात्मिक जागृति (spiritual awakening) तभी मिल सकती है जब हम समय की अपनी धारणा में बदलाव करें, और वर्तमान क्षण में जीने की आदत डालें।
Chapter 4: Mind Strategies for Avoiding the Now (वर्तमान से बचने के लिए मन की रणनीतियाँ)
All negativity is caused by an accumulation of psychological time and denial of the present
सभी नकारात्मकता मनोवैज्ञानिक समय के संचय और वर्तमान को नकारने के कारण होती है।
इस चैप्टर में ऑथर उन तरीकों पर बात करते हैं जिनसे हमारा दिमाग अक्सर विभिन्न रणनीतियों के माध्यम से वर्तमान क्षण से बचने की कोशिश करता है। वह बताते हैं कि ये रणनीतियाँ सचेत और अचेतन दोनों हो सकती हैं, और ये अक्सर दुख का कारण बनती हैं।
मन जिन प्राथमिक तरीकों से वर्तमान क्षण से बचता है उनमें से एक है अत्यधिक सोच। ऑथर बताते हैं कि हमारे दिमाग में हमारे जीवन के बारे में कहानियाँ बनाने की प्रवृत्ति होती है, जो विचलित करने वाली हो सकती है और हमें वर्तमान क्षण से दूर ले जा सकती है।
वह पाठकों को प्रोत्साहित करते हैं कि वे अपने सोचने के तरीके के बारे में अधिक जागरूक बनें और ध्यान और अन्य अभ्यासों के माध्यम से मन को शांत करने का प्रयास करें।
ऑथर वर्तमान क्षण से बचने के लिए मन की अन्य रणनीतियों पर भी चर्चा करते हैं, जैसे अत्यधिक चिंता और अधिक की इच्छा। वह बताते हैं कि ये रणनीतियाँ अक्सर कमी या अपर्याप्तता की भावना को दर्शाती हैं, और अधिक उपस्थित और सचेत होकर हम इन नकारात्मक सोच पर काबू पा सकते हैं।
पूरे चैप्टर में, ऑथर मन की इन रणनीतियों के बारे में जागरूक होने और उन पर काबू पाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं । वह बताते हैं कि ऐसा करने से हम अपने जीवन में अधिक शांति, खुशी और पूर्णता का अनुभव कर सकते हैं।
Whenever you are able to observe your mind, you are no longer trapped in it.
जब भी आप अपने मन का निरीक्षण करने में सक्षम होते हैं, तो आप उसमें फंसे नहीं रह जाते हैं।
Chapter 5: The State of Presence (उपस्थिति की स्थिति)
The present moment is all you ever have.
वर्तमान क्षण ही आपके पास है।
इस चैप्टर में, ऑथर ने उपस्थिति की स्थिति (state of presence) और इससे होने वाले फ़ायदे के बारे में बात की है। वह बताते हैं कि उपस्थित होने का अर्थ है बिना किसी निर्णय या प्रतिरोध के वर्तमान क्षण के साथ पूरी तरह से जुड़े रहना।
वह कहते हैं कि उपस्थिति की अवस्था कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे प्रयास या इच्छाशक्ति के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है, बल्कि कुछ ऐसा है जो स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होता है जब हम वर्तमान क्षण से पूरी तरह से जुड़े होते हैं। वह पाठकों को वर्तमान क्षण को नियंत्रित करने या हेरफेर किये बिना उसके साथ रहने की सलाह देते हैं।
उपस्थिति की स्थिति को विकसित करने के लिए ऑथर हमें अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करने, अपने शरीर के बारे में अधिक जागरूक होने और बिना निर्णय के अपने विचारों को देखने का अभ्यास करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
ऑथर वर्तमान क्षण को बदलने या विरोध करने की बजाये उसे स्वीकार करने के महत्व पर बल देते हैं। वह समझाते हैं कि वर्तमान क्षण को स्वीकार करके, हम आंतरिक शांति और संतोष की भावना का लाभ उठा सकते हैं जो बाहरी परिस्थितियों से प्रभावित नहीं होता है।
You don’t have to wait for something ‘meaningful’ to come into your life so that you can finally enjoy what you do. There is more meaning in joy than you will ever need.
आपको अपने जीवन में कुछ ‘सार्थक’ आने की प्रतीक्षा करने की ज़रूरत नहीं है ताकि आप अंत में जो भी करते हैं उसका आनंद उठा सकें। आनंद में आपकी आवश्यकता से अधिक अर्थ है।
Chapter 6: The Inner Body (भीतरी शरीर)
When you make friends with the present moment, you feel at home no matter where you are.
जब आप वर्तमान क्षण के साथ दोस्ती करते हैं, तो आप घर जैसा महसूस करते हैं चाहे आप कहीं भी हों।
The Power of Now Summary in Hindi के इस चैप्टर में, ऑथर बताते हैं की हमारी inner body के अंदर एक सूक्ष्म ऊर्जा क्षेत्र (subtle energy field) है जो हमारी physical बॉडी के अंदर मौजूद है। वह कहते हैं कि आंतरिक शरीर (inner body) के बारे में अधिक जागरूक होने से, हम उपस्थिति यानी presence की गहरी भावना विकसित कर सकते हैं और अपने वास्तविक स्वरूप से जुड़ सकते हैं।
ऑथर शरीर के विभिन्न हिस्सों पर ध्यान केंद्रित करने और शरीर स्कैनिंग का अभ्यास करने सहित आंतरिक शरीर तक पहुंचने के लिए कई तकनीकें बताते हैं। वह पाठकों को दैनिक गतिविधियों, जैसे चलने, सांस लेने और खाने के दौरान आंतरिक शरीर में जागरूकता लाने के लिए कहते हैं।
पूरे चैप्टर में, ऑथर आंतरिक शरीर के माध्यम से वर्तमान क्षण में खुद को grounded रखने के महत्व पर ज़ोर देते हैं। वह बताते हैं कि आंतरिक शरीर एक anchor के रूप में काम कर सकता है जो चुनौतीपूर्ण या तनावपूर्ण स्थितियों के बीच भी हमें वर्तमान क्षण से जोड़े रखता है।
Chapter 7: Portals into the Unmanifested (चेतना: दर्द से बाहर का रास्ता)
The moment you realize that you are not present, you are present. Whenever you are able to observe your mind, you are no longer trapped in it.
जिस क्षण आपको पता चलता है कि आप मौजूद नहीं हैं, आप मौजूद हैं। जब भी आप अपने मन का निरीक्षण करने में सक्षम होते हैं, तो आप उसमें फंसे नहीं रह जाते हैं।
इस चैप्टर में, ऑथर कहते हैं की प्रकृति (nature), कला (art), संगीत (music) इत्यादि कुछ ऐसी चीज़ें हैं जो हमें शुद्ध चेतना (pure consciousness) की स्टेज तक जा सकती हैं।
चेतना को सामने लाकर हम अपने आप को unconscious के बोझ से मुक्त कर सकते हैं। पहला कदम उन तरीकों को पहचानना और स्वीकार करना है जिनसे हमारे भीतर असंतोष और तनाव जैसी नकारात्मक भावनाएं प्रकट होती हैं। अपनी अचेतनता पर प्रकाश डालकर, हम उसे भंग कर सकते हैं और अपनी उपस्थिति का प्रकाश फैला सकते हैं।
सामान्य अचेतनता की सर्वव्यापकता को देखते हुए उसकी पहचान करना थोड़ा कठिन लग सकता है। लेकिन आत्म-निरीक्षण की आदत विकसित करके और अपनी मानसिक और भावनात्मक स्थिति की निगरानी करके इस पर काबू पाया जा सकता है। ख़ुद से relevant सवाल पूछें, जैसे “क्या मैं इस समय सहज हूं?” या “अभी मेरे अंदर क्या हो रहा है?” और अंदर ध्यान केंद्रित करें। ऑथर कहते हैं अगर हम अपनी आंतरिक दुनिया को प्राथमिकता देते हैं, तो हमारी बाहरी दुनिया स्वाभाविक रूप से ठीक हो जाएगी।
The world cannot give you peace. It cannot give you anything. If you are at peace, it is because you are at peace, and not because of anything the world has given you.
दुनिया आपको शांति नहीं दे सकती। यह आपको कुछ नहीं दे सकता। यदि आप शांति में हैं, तो इसका कारण यह है कि आप शांति में हैं, न कि किसी ऐसी चीज के कारण जो दुनिया ने आपको दी है।
Chapter 8: Enlightened Relationships (प्रबुद्ध रिश्ते)
Love is not selective, just as the light of the sun is not selective. It does not make one person special.
प्रेम चयनात्मक नहीं है, जैसे सूर्य का प्रकाश चयनात्मक नहीं है। यह किसी एक व्यक्ति को विशेष नहीं बनाता है।
इस चैप्टर में, ऑथर ने बताया है की हम अपने जीवन में अच्छे रिश्तों को बनाए रख सकते हैं। वह कहते हैं कि सच्चा प्यार और आत्मीयता का अनुभव तभी किया जा सकता है जब हम पूरी तरह से मौजूद हों और खुद से और दूसरों से जुड़े हों।
ऑथर बताते हैं कि प्रबुद्ध संबंध बनाने के लिए, हमें सबसे पहले अपने भीतर मौजूद unconscious patterns और dynamics को पहचानना चाहिए। वह कहते हैं की हमें self-inquiry करनी चाहिए और अपने विचारों और भावनाओं का निरीक्षण करना चाहिए ताकि हम इन पैटर्न्स से मुक्त होकर अपने रिश्तों में उपस्थिति की भावना पैदा कर सकें।
ऑथर आगे कहते हैं कि वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करके और अपने और दूसरों के आंतरिक सार से जुड़कर, हम ऐसे रिश्तों को विकसित कर सकते हैं जो संघर्ष और ड्रामे से मुक्त हों।
प्रबुद्ध संबंधों को विकसित करने के लिए क्षमा का अभ्यास (practicing forgiveness) करना, निर्णय के बिना सुनना (listening without judgment) और दूसरों को नियंत्रित करने की आवश्यकता को छोड़ देना ज़रूरी है।
Love is a state of being. Your love is not outside; it is deep within you.
प्रेम होने की एक अवस्था है। तुम्हारा प्रेम बाहर नहीं है; यह तुम्हारे भीतर गहरा है।
Chapter 9: Beyond Happiness and Unhappiness There Is Peace (सुख और दुख के पार शांति है)
True happiness is not caused by the things that satisfy our physical needs but by the inner quality of our consciousness.
सच्ची खुशी उन चीजों से नहीं होती है जो हमारी भौतिक जरूरतों को पूरा करती हैं बल्कि हमारी चेतना की आंतरिक गुणवत्ता से होती है।
The Power of Now Summary in Hindi के इस चैप्टर में ऑथर ने बताया है की आंतरिक शांति, सुख और दुख से आगे जाकर प्राप्त की जा सकती है। वे कहते हैं कि सुख और दुख अस्थायी अवस्थाएँ हैं जो आती हैं और चली जाती हैं, लेकिन आंतरिक शांति एक निरंतर उपस्थिति है जो इन अवस्थाओं से आगे निकलकर मिलती है।
ऑथर बताते हैं कि सच्ची आंतरिक शांति केवल पूरी तरह से मौजूद रहने और वर्तमान क्षण को स्वीकार करने से ही प्राप्त की जा सकती है, चाहे उसकी परिस्थितियां कुछ भी हों। उनका सुझाव है कि वर्तमान क्षण के प्रति समर्पण करके, हम खुद को खुशी की तलाश और दुख से बचने के निरंतर चक्र से मुक्त कर सकते हैं।
ऑथर वर्तमान क्षण को पूरी तरह से अपनाने के महत्व पर जोर देते हैं, जिसमें कोई भी दर्द या पीड़ा उत्पन्न हो सकती है। उनका सुझाव है कि इन अनुभवों को पूरी तरह से स्वीकार करने और अपनाने से हम उन्हें पार कर सकते हैं और आंतरिक शांति पा सकते हैं।
When you surrender to what is and so become fully present, the past ceases to have any power.
जब आप जो है उसके प्रति समर्पण करते हैं और इस तरह पूरी तरह से उपस्थित हो जाते हैं, तो अतीत में कोई शक्ति नहीं रह जाती है।
Chapter 10: The Meaning of Surrender (समर्पण का अर्थ)
इस चैप्टर में, ऑथर समर्पण की भावना से चेतना की एक गहरी स्थिति को जानने और उसके ज़रिये आंतरिक शांति और स्वतंत्रता का अनुभव करने के बारे में बताते हैं।
ऑथर के अनुसार समर्पण वह स्तिथि है जब हम अहंकार को त्याग कर वर्तमान क्षण को स्वीकार करने की इच्छा विकसित कर लेते हैं, और वह भी बिना किसी प्रतिरोध या निर्णय के। वह बताते हैं कि समर्पण एक निष्क्रिय या कमजोर अवस्था नहीं है, बल्कि जीवन के प्रवाह के साथ संरेखित करने और वर्तमान क्षण के ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए खुद को खोलने के लिए एक सक्रिय और शक्तिशाली विकल्प है।
ऑथर के अनुसार समर्पण का एक प्रमुख पहलू सच्चाई को स्वीकार करना और परिणामों या अपेक्षाओं के प्रति अपने लगाव को छोड़ देना है। वह बताते हैं कि जब हम समर्पण करते हैं, तो हम उद्देश्य (purpose) और अर्थ (meaning) की एक गहरी भावना का लाभ उठा सकते हैं जो हमारी व्यक्तिगत इच्छाओं या लक्ष्यों काफी आगे होते हैं।
इस पूरे चैप्टर में, ऑथर हमारे दैनिक जीवन में समर्पण की स्थिति विकसित करने के लिए अलग अलग प्रैक्टिसेज और इनसाइट्स शेयर करते हैं। इनमें वर्तमान क्षण के प्रति हमारे प्रतिरोध के बारे में जागरूक होना, अज्ञात को accept करना सीखना और वर्तमान क्षण में खुद को आत्मसमर्पित करना शामिल है।
Conclusion (निष्कर्ष)
तो दोस्तों, ये थी एकहार्ट टोले की “द पावर ऑफ नाउ” की समरी
ये एक transformative बुक है जिसने दुनिया भर के लाखों लोगों को आंतरिक शांति पाने और अधिक पूर्ण जीवन जीने में मदद की है। वर्तमान क्षण की जागरूकता और मन की प्रकृति की शक्ति पर अपनी शिक्षाओं के माध्यम से, ऑथर पाठकों को आत्म-खोज और आध्यात्मिक जागृति की यात्रा शुरू करने के लिए कहते हैं।
बुक में, ऑथर मन की सीमाओं पर काबू पाने और वर्तमान क्षण में पूरी तरह से जीने के लिए व्यावहारिक सलाह और अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। वह अतीत को जाने देने, वर्तमान क्षण को अपनाने और जीवन के प्राकृतिक प्रवाह को आत्मसमर्पण करने के लिए कहते हैं।
कुल मिलाकर, “द पावर ऑफ़ नाउ” हमें याद दिलाती है कि सच्ची खुशी और तृप्ति केवल वर्तमान क्षण में ही हमारे भीतर पाई जा सकती है। बुक की शिक्षाओं को अपनाने और वर्तमान क्षण जागरूकता पैदा करने से, हम अपने जीवन को बदल सकते हैं और आंतरिक शांति और खुशी की गहरी भावना खोज सकते हैं।
दोस्तों, हमें आशा है की आपको ये समरी पसंद आयी होगी, इसे अपने फैमिली और फ्रेंड्स के साथ अवश्य शेयर करें और अपना वैल्युएबल फीडबैक कमैंट्स सेक्शन में अवश्य शेयर करें।
पोस्ट को पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।
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FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Is The Power of Now about mindfulness?
Yes, The Power of Now is about mindfulness. The book emphasizes the importance of living in the present moment and being mindful of one’s thoughts, feelings, and surroundings. The author, Eckhart Tolle, encourages readers to cultivate a state of presence or awareness that allows them to observe their thoughts and emotions without getting caught up in them. This state of presence is often referred to as mindfulness, which involves paying attention to the present moment with an attitude of openness, curiosity, and non-judgment. So, while The Power of Now covers a broad range of spiritual and philosophical topics, at its core, it is a book about mindfulness and the benefits of living in the present moment.
How do you practice The Power of Now?
To practice The Power of Now, you can start by paying attention to your breath and bringing your focus to the present moment. Here are a few ways to incorporate the teachings of The Power of Now into your daily life:
1. Focus on your breath: Take a few deep breaths and bring your attention to the present moment. Notice the sensations in your body as you inhale and exhale.
2. Observe your thoughts: Become an observer of your thoughts rather than getting lost in them. Watch them come and go without judgment.
3. Engage your senses: Pay attention to your surroundings, noticing the sights, sounds, smells, and sensations around you.
4. Let go of the past and future: Focus on the present moment and let go of worries about the past or future.
5. Practice acceptance: Accept whatever is happening in the present moment, even if it’s uncomfortable or unpleasant.
6. Cultivate gratitude: Focus on the good things in your life and practice gratitude for them.
By incorporating these practices into your daily life, you can cultivate a state of presence and mindfulness that can lead to greater peace and happiness.
What is Eckhart Tolle’s message?
Eckhart Tolle’s message is centered around the importance of living in the present moment and cultivating a deeper sense of awareness and presence in one’s life. He emphasizes the idea that the mind and its incessant thinking can be a source of suffering and that true peace and happiness can be found by becoming more connected to the present moment and the deeper sense of being that lies within us all. Tolle also stresses the importance of surrendering to what is, accepting the present moment without judgment or resistance, and living in a state of continual presence and awareness.
What is the theme of the power of now?
The main theme of “The Power of Now” is the importance of living in the present moment and developing a deeper sense of awareness and presence. The book emphasizes the idea that the mind and its constant thinking can be a source of suffering and that true peace and happiness can be found by connecting with the present moment and the deeper sense of being that lies within us all. Other themes include the nature of ego, the role of pain and suffering in personal growth, and the power of surrender and acceptance. Overall, the book encourages readers to live in a state of continual presence and awareness and to develop a deeper connection to themselves, others, and the world around them.
What is the moral of the power of now?
The Power of Now emphasizes the importance of being present and fully engaged in the present moment, rather than dwelling on the past or worrying about the future. The moral of the book is that by embracing the present moment, we can free ourselves from the burden of our own minds and find inner peace and joy. It teaches us to let go of negative emotions, to be mindful of our thoughts, and to cultivate a state of conscious presence. The key message is to live in the now, as the present moment is the only reality we have.
What was Eckhart Tolle’s inspirational quote?
Eckhart Tolle has several inspirational quotes, but one of his most famous is: “Realize deeply that the present moment is all you have. Make the NOW the primary focus of your life.”
How many chapters are in the power of now?
There are ten chapters in “The Power of Now” by Eckhart Tolle.
1. You Are Not Your Mind
2. Consciousness: The Way Out of Pain
3. Moving Deeply into the Now
4. Mind Strategies for Avoiding the Now
5. The State of Presence
6. The Inner Body
7. Portals into the Unmanifested
8. Enlightened Relationships
9. Beyond Happiness and Unhappiness There Is Peace
10. The Meaning of Surrender
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