The Psychology of Money Summary in Hindi (Morgan Housel): 10 Key Money-Making Principles

Table of Contents

Introduction- The Psychology of Money Summary in Hindi
(परिचय)

हेलो दोस्तों, स्वागत है आपका आज की इस पोस्ट में जिसमे हम लेकर आये हैं The Psychology of Money Summary in Hindi

दोस्तों, पैसा हमारे जीवन में बहुत ही पावरफुल चीज़ है। जहाँ एक ओर यह हमें सिक्योरिटी, कम्फर्ट और फ्रीडम देता है वहीँ दूसरी ओर यही पैसा हमें तनाव और चिंता भी दे सकता है। हम पैसे के बारे में कैसे सोचते हैं और financial decisions कैसे लेते हैं, इसका हमारे जीवन पर बहुत गहरा असर पद सकता है।

मॉर्गन हाउसल द्वारा लिखित “द साइकोलॉजी ऑफ मनी” एक बहुत ही शानदार बुक है जो उन साइकोलॉजिकल वजहों के बारे में हमें बताती है जो हमारे फाइनेंसियल decisions को प्रभावित करते हैं। हाउसेल का कहना है हमारे इमोशंस, biases और अनुभव इस बारे में अहम रोल निभाते हैं की हम पैसे के बारे में कैसे सोचते हैं और उसे कैसे मैनेज करते हैं। साथ ही साथ वह यह भी कहते हैं की इन चीज़ों को समझकर हम बेहतर financial decisions ले सकते हैं।

The Psychology of Money Summary in Hindi
The Psychology of Money Summary in Hindi

हमारा मनी mindset या पैसों से संम्भंदित हमारी जो मानसिकता होती है उसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे की हमारे beliefs, attitudes और हमारे इमोशंस। इतना ही नहीं पैसे के बारे में हमारी सोच पर हमारी परवरिश, हमारे अनुभवों और हमारी संस्कृति का भी असर पड़ता है। और पैसों की इस मानसिकता का हमारे फाइनेंसियल बिहेवियर पर गहरा असर पड़ता है।

अगर पैसों के प्रति हमारी मानसिकता नेगेटिव है, तो हम इम्पल्सिव buying करेंगे और हमारी सेविंग्स से ज़्यादा हमारे ऊपर क़र्ज़ होगा। वहीँ दूसरी ओर, अगर हम पैसों के बारे में पॉजिटिव माइंडसेट है तो हम समझदारी से फाइनेंसियल निर्णय लेंगे और सेविंग्स भी करेंगे जिससे हमारा फाइनेंसियल फ्यूचर सिक्योर हो सके।

लेकिन अच्छी बात यह हम अपनी धन संबंधी मानसिकता को बदल सकते हैं और इसे बेहतर बना सकते हैं। पैसे के मनोविज्ञान को समझकर, और अपनी खुद की पैसे की मानसिकता को बदलने के लिए काम करके, हम बेहतर फाइनेंसियल decisions ले सकते हैं और अपना वित्तीय भविष्य सुधार सकते हैं।

“Planning is important, but the most important part of every plan is to plan on the plan not going according to plan.”

Morgan Housel

तो आईये बिना अधिक समय व्यतीत किये नज़र डालते हैं The Psychology of Money Summary in Hindi के चैप्टर्स पर।

Money’s greatest intrinsic value—and this can’t be overstated—is its ability to give you control over your time.

Morgan Housel

Chapter 1- No One’s Crazy
(कोई पागल नहीं है)

The Psychology of Money Summary in Hindi

विविध वित्तीय परिप्रेक्ष्य

पैसे के बारे में अलग-अलग लोगों के सोचने का तरीक़ा भी अलग-अलग होता है। जहाँ एक ओर कुछ लोग फ्यूचर के लिए पैसे सेव करते हैं वहीँ दूसरी ओर कुछ लोग सिर्फ आज ही में जीना पसंद करते हैं। हमारे लिए ज़रूरी यह है की हमें पैसों के बारे में अलग अलग दृष्टिकोणों का पता हो और जो हमें सबसे अच्छा लगे उसे अपने लिए चुनें।

धन प्रबंधन के विभिन्न दृष्टिकोण

पैसों को मैनेज करने के भी कई अलग-अलग तरीके हैं। कुछ लोग पैसे को बहुत सोच समझ कर खर्च करते हैं, जबकि कुछ लोग बहुत ज़्यादा खर्चा करते हैं। ऑथर कहते हैं की कोई भी तरीक़ा सही या गलत नहीं है, लेकिन हमें एक ऐसा दृष्टिकोण ढूंढना चाहिए जो हमारे लाइफस्टाइल और हमारे गोल्स के लिए अनुकूल हो।

“Savings can be created by spending less. You can spend less if you desire less. And you will desire less if you care less about what others think of you.”

Morgan Housel

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Financial Beliefs कैसे बनते हैं?

ऑथर हमें बताते हैं की हमारी वित्तीय मान्यताओं को बनाने में हमारे व्यक्तिगत अनुभवों का बहुत बड़ा रोल होता है। अगर कोई ऐसे घर में पले-बढ़े हैं जहां पैसे की कमी है, तो उनके मितव्ययी होने की अधिक संभावना हैं। वहीँ दूसरी ओर, अगर कोई ऐसे घर में पले-बढ़े हैं जहां पैसा प्रचुर मात्रा में है, तो उनके खर्चीले होने की अधिक संभावना है।

विभिन्न वित्तीय रणनीतियों को अपनाना

वित्तीय रूप से सफल होने के लिए कई अलग-अलग रणनीतियाँ हैं। कुछ लोग निवेश की ओर बहुत ध्यान देते हैं वहीँ कुछ लोग ऑर्थोडॉक्स तरह से बचत करना पसंद करते हैं। हमें ऐसी रणनीति ढूंढनी चाहिए जो हमारी जोखिम सहनशीलता और लक्ष्यों के अनुकूल हो।

Chapter 2- Luck and Risk
(भाग्य और जोखिम)

The Psychology of Money Summary in Hindi

इस चैप्टर में ऑथर हमें बताते हैं की हमारी वित्तीय सफलता में लक यानी भाग्य और रिस्क यानी जोखिम बहुत बड़ा रोल निभाते हैं और अक्सर हम लक और रिस्क को काम करके आंकते हैं। साथ ही साथ वह यह भी कहते हैं की हमें सिर्फ अपने भाग्य पर निर्भर होकर नहीं बैठना चाहिए, वित्तीय सफलता के लिए कौशल और मौका (लक) दोनों ज़रूरी हैं लेकिन हम सिर्फ अपना कौशल बेहतर बना सकते हैं, लक को बेहतर बनाना हमारे बस में नहीं है। इसके अलावा हमें जोखिम को कम करने पर ध्यान देना चाहिए और ये सब करने के बाद ये याद रखना चाहिए की आउटकम अनसर्टेन या अनिश्चित है।

धन संचय में भाग्य और जोखिम की भूमिका

ऑथर कहते हैं की ये एक मिसकन्सेप्शन है कि पैसा कमाने के लिए सिर्फ कड़ी मेहनत और कौशल की ज़रुरत होती है। वह दुनिया में कई ऐसे अमीर लोग हैं जो सिर्फ अपने भाग्य की वजह से अमीर बने हैं, जैसे कि अमीर परिवारों में पैदा होना या सही समय पर सही जगह पर होना। ऑथर यह भी कहते हैं कि सबका भाग्य एक जैसा नहीं होता और यही वजह है के किसी को म्हणत का फल जल्दी मिल जाता है और किसी को देर में मिलता है, कोई थोड़ी सी मेहनत करके की अमीर बन जाता है और कोई सारी उम्र मेहनत करने के बाद भी ग़रीब रह जाता है।

अप्रत्याशित कारणों के प्रभाव

हमारी वित्तीय सफलता पर कई अप्रत्याशित कारणों का भी असर पड़ता है और शेयर मार्किट अप्रत्याशित प्रणाली का एक प्रमुख उदाहरण है, जहाँ लोगों को अमीर और गरीब बनाने में अनप्रेडिक्टेबल चीज़ें बहुत बड़ा रोल निभाती हैं। ये अनप्रेडिक्टेबल चीज़ें इतनी पावरफुल होती हैं की इनकी वजह से सबसे कुशल निवेशक भी पैसा खो सकते हैं। प्राकृतिक आपदाएँ, युद्ध इत्यादि ऐसे ही कुछ अप्रत्याशित (Unpredictable) घटनाएँ हैं जिनका हमारे वित्तीय जीवन पर बड़ा प्रभाव पद सकता हैं।

The Psychology of Money Summary in Hindi
The Psychology of Money Summary in Hindi

वित्तीय सफलता में कौशल और संभावना को संतुलित करना

ऑथर कहते हैं की इन सब बातों से ये साबित होता है कि वित्तीय सफलता के लिए कौशल और मौका (luck/chance) दोनों ज़रूरी हैं। उनका सुझाव है कि हम अपने निवेश में विविधता लाकर और अप्रत्याशित के लिए बचत करके जोखिम को कम कर सकते हैं। साथ ही साथ हमें हमें अनिश्चितता को ध्यान में रखते हुए सोचे-समझे जोखिम लेने से नहीं डरना चाहिए।

जोखिम को कम करने और अनिश्चितता को गले लगाने के लिए यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं –

  • निवेश में विविधता– कभी भी अपना सारा निवेश एक फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट में न करके अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो को जितना हो सके diversify कीजिये और विभिन्न प्रकार के एसेट्स जैसे स्टॉक, बॉन्ड और रियल एस्टेट इत्यादि में इन्वेस्ट कीजिये। अगर कोई एक एसेट खराब प्रदर्शन करता भी है तो इससे जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी।
  • अप्रत्याशित के लिए बचाएं– अप्रत्याशित घटनाओं से बचने के लिए एक इमरजेंसी फण्ड होना चाहिए जो कम से कम तीन से छह महीने तक के खर्चों को कवर कर सके। इमरजेंसी फण्ड फाइनेंसियल क्राइसिस में परेशानी से बचता है।
  • सोच-समझकर जोखिम लेने से न डरें– इसका मतलब ऐसे जोखिम लेना है जो हमारे वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता के अनुरूप हों। उदाहरण के लिए, रिटायरमेंट की सेविंग्स के लिए हम थोड़ा अग्ग्रेसिव पोर्टफोलियो बना सकते हैं लेकिन अगर हम घर की डाउन पेमेंट के लिए सेविंग्स कर रहे हैं तो हमें थोड़ा काम रिस्की पोर्टफोलियो बनाना चाहिए।

Chapter 3- Never Enough
(कभी पर्याप्त नहीं)

The Psychology of Money Summary in Hindi

कितना पैसा “पर्याप्त” है?

इस चैप्टर में ऑथर ने हमें “पर्याप्त” धन के बारे में हमसे सवाल किया है की हमारे लिए “पर्याप्त” पैसे का क्या मतलब है? वह केते हैं की यह हर किसी के लिए “पर्याप्त” अलग है। कुछ लोगों के लिए “पर्याप्त” पैसा वह है जो उनकी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा कर सके, जबकि कुछ लोग एक आरामदायक जीवन जीने लायक पैसे को पर्याप्त समझते हैं और कुछ लोग इतना पैसा कामना चाहते हैं की वो जल्दी रिटायरमेंट ले सकें। ज़रूरी ये है के हम भी ये बात सोचें और अपने लिए इस “पर्याप्त” का अर्थ ढूंढें जिससे हम अपने मूल्यों के अनुरूप वित्तीय निर्णय ले सकें।

“Nothing is as good or as bad as it seems.”

Morgan Housel

महत्वाकांक्षा और संतुष्टि

महत्वाकांक्षा कुछ हासिल करने की इच्छा है और संतोष आपके पास जो कुछ है उससे संतुष्ट रहना है। देखने में तो ये दोनों ताकतें विरोधाभासी लग सकती हैं, लेकिन सच्चाई ये है की वे वास्तव में एक साथ रह सकती हैं। जहाँ एक ओर महत्वाकांक्षा हमें हमारे गोल्स को हासिल करने के लिए मोटीवेट कर सकती है, वहीँ दूसरी ओर संतुष्टि हमारे पास जो है उसे appreciate करने और उसके लिए शुक्रगुज़ार होने में मदद कर सकती है। इसलिए ये ज़रूरी है की हम हम अपनी महत्वकांक्षा और संतुष्टि के बीच एक बैलेंस बनाकर रखें।

अधिक की अंतहीन खोज

जब आप ‘पर्याप्त’ से ज़्यादा ‘अधिक’ की तलाश में रहते हैं तो आपके हाथ निराशा ही लगती है क्यूंकि अधिक की खोज अंतहीन होती है और दुःख का कारण बनती है। ‘अधिक’ पैसे की खोज हमें ये एहसास भी दिलाती है की हमारे पास कभी ‘पर्याप्त’ पैसा नहीं रहा है। इतना ही नहीं यह खोज/तलाश हमें ख़राब वित्तीय निर्णय लेने के लिए भी प्रेरित कर सकती है। यदि आप अपने पैसे से खुश रहना चाहते हैं, तो आपको अधिक की अंतहीन खोज को छोड़ना सीखना होगा।

वर्तमान में वित्तीय पूर्ति ढूँढना

वित्तीय संतुष्टि जिसे financial सटिस्फैक्शन भी कहा जाता है का मतलब यह नहीं है की आपके पास बहुत सारा पैसा हो। वित्तीय संतुष्टि का मतलब है की आप अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में अच्छा महसूस करें। आप अपनी क्षमता के भीतर रहकर, भविष्य के लिए बचत करके और जो आपके पास है उसके लिए आभारी होकर वित्तीय संतुष्टि पा सकते हैं।

Chapter 4- Confounding Compounding
(कम्पाउंडिंग का जादू
)

The Psychology of Money Summary in Hindi

पावर ऑफ़ कम्पाउंडिंग

कंपाउंडिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे ब्याज पर भी ब्याज कमाया जाता है और ऐसा करने के लिए आप अपने इन्वेस्टमेंट पर जो रिटर्न कमाते हैं उसे भी इन्वेस्ट किया जाता है, और आपको उस रिटर्न पर भी रिटर्न मिलता है। धीरे धीरे ये प्रक्रिया आपके इन्वेस्टमेंट को अच्छी खासी ग्रोथ देती है।

The Psychology of Money Summary in Hindi-Compound Interest Growth

उदाहरण के लिए, अगर आप ₹100 इन्वेस्ट करते हैं और हर साल आपको अपने निवेश पर 10% रिटर्न मिलता है तो एक साल बाद, आपके पास ₹110 होंगे। अगले साल आपको जो रिटर्न मिलेगा वह ₹110 पर मिलेगा जो ₹11 होगा। इसका मतलब है कि दूसरे साल में आपकी इन्वेस्टमेंट वैल्यू बढ़कर ₹121 हो जाएगी।

जैसे जैसे समय बढ़ता जायेगा कम्पाउंट इंटरेस्ट भी उतना ही बढ़ता जायेगा और 20 साल बाद, अगर आपका इन्वेस्टमेंट 10% रिटर्न हासिल करता है तो आपकी इन्वेस्टमेंट वैल्यू ₹672.72 हो जाएगी।

टाइम और कंपाउंड इंटरेस्ट

कंपाउंडिंग का असली जादू टाइम के साथ देखने को मिलता है। आप अपने पैसे को जितना ज़्यादा टाइम इन्वेस्ट रखेंगे, कंपाउंड इंटरेस्ट उतना ही आपके फेवर में काम करेगा। इससे ये निष्कर्ष निकला जा सकता है की आप जितनी जल्दी निवेश शुरू करेंगे, आपके पैसे को बढ़ने में उतना ज़्यादा टाइम मिलेगा।

उदाहरण के लिए, मान लें कि आप प्रति माह ₹100 का निवेश करते हैं और प्रति वर्ष 10% ब्याज अर्जित करते हैं। यदि आप 20 साल की उम्र में निवेश करना शुरू करते हैं, तो 65 साल की उम्र में आपके पास ₹228,862 होंगे। हालाँकि, यदि आप 30 साल की उम्र में निवेश करना शुरू करते हैं, तो 65 साल की उम्र में आपके पास केवल ₹132,278 होंगे।

इससे पता चलता है कि 10 साल का भी अंतर आपके इन्वेस्टमेंट पर कितना असर डालते हैं।

The Psychology of Money Summary in Hindi

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट और धैर्य

जैसा की हमें ऊपर कहा है की लंबी अवधि में कंपाउंडिंग सबसे अच्छा काम करती है लेकिन हर किसी के पास इतना धैर्य नहीं होता और न ही कोई लम्बी अवधि तक वेट करना चाहता है, लेकिन अगर आप कम्पाउंडिंग के मैजिक को देखना चाहते हैं तो आपको अपने अंदर धैर्य पैदा करना होगा और अपने पैसे को बढ़ने के लिए समय देना होगा।

अगर आप धैर्य न रखकर समय से पहले अपने इन्वेस्टमेंट को कैश कर लेते हैं यानी पैसा निकल लेते हैं, तो आप कंपाउंड इंटरेस्ट से मिलने वाले लाभ का फायदा नहीं उठा पाएंगे।

Progress happens too slowly to notice, but setbacks happen too quickly to ignore.”

Morgan Housel

कंपाउंडिंग के जादू का लाभ उठाने के तरीके

कंपाउंडिंग के जादू का लाभ उठाने के लिए आप कुछ चीजें कर सकते हैं:

  • जल्दी निवेश शुरू करें– आप जितनी जल्दी निवेश शुरू करेंगे, आपके पैसे को बढ़ने के लिए में उतना ही ज़्यादा टाइम मिलेगा।
  • नियमित रूप से निवेश करें– नियमित रूप से इन्वेस्टमेंट करके आपकी एक इन्वेस्टमेंट की एक आदत बनेगी और साथ ही साथ आपको कम्पाउंडिंग की शक्ति मिलेगी।
  • डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाएं– डायवर्सिफिकेशन का फायदा ये होता है की इससे रिस्क काम हो जाता और रिटर्न भी ज़्यादा मिलता है।
  • अपनी कमाई को पुनर्निवेश करें– आपको अपने इन्वेस्टमेंट पर जो भी फायदा होता है उसे दोबारा से इन्वेस्ट करें, ऐसा करने से आपका पैसा और भी तेजी से बढ़ेगा।

ऊपर दी गयी टिप्स का पालन करके, आप कम्पाउंडिंग की पावर का उपयोग करके अपने पैसों को कई गुना तक बढ़ा सकते हैं।

Chapter 5- Getting Wealthy Vs Staying Wealthy
(अमीर बनना बनाम अमीर बने रहना)

शार्ट टर्म गेन्स और वेल्थ

ऑथर हमें बताते हैं की वैसे तो अमीर बनने के कई तरीक़े हैं जैसे कुछ लोग गैंबलिंग इत्यादि करके भी अमीर बनते हैं लेकिन ये अमीर बनने का स्थायी तरीक़ा नहीं है।

रियल वेल्थ हमारी कड़ी मेहनत, स्मार्ट निवेश और अच्छी फाइनेंसियल हैबिट्स की वजह से बनती है। ऑथर कहते हैं की शार्ट टीम नहीं बल्कि लॉन्ग टर्म गेन्स पर फोकस करना चाहिए और ऐसे फाइनेंसियल decisions नहीं लेने चाहिए जो हमारे आने वाले कल के लिए मुश्किलें पैदा कर सकें।

सस्टेनेबल मनी हैबिट्स

The Psychology of Money Summary in Hindi

सस्टेनेबल मनी हैबिट्स का मतलब है अपनी योग्यता के अनुसार जीवन जीना, नियमित रूप से सेविंग्स करना और समझदारी से निवेश करना। ऑथर का वैल्थी बनने के लिए ये हैबिट्स बहुत ही ज़्यादा ज़रूरी हैं।

साथ ही साथ हमें पैसों के मामले में धैर्य और और अनुशासन रखना चाहिए। कई बार हमें तुरंत परिणाम नहीं दिखेंगे तो ऐसे में हमें निराश नहीं होना चाहिए और अनुशासनपूर्वक निवेश जारी रखना चाहिए।

अपने पैसों को सुरक्षित करना

दोस्तों, पैसा इकठ्ठा करना ही काफी नहीं है क्यूंकि पैसा उतनी ही जल्दी नष्ट/ख़र्च भी हो जाता है। इसलिए ये ज़रूरी है के आप ऐसे रिस्की इंवेस्टमेंट्स से बचें और अपने पैसे को ऐसे एसेट्स में लगाएं जहाँ ज़्यादा रिस्क न हो। साथ ही साथ आपको अपने फ्यूचर के लिए सेविंग्स करना नहीं छोड़ना है और न ही खुद को debt के बोझ तले दबाना है।

इसके साथ खुद को इन्फोर्मेड रखना भी ज़रूरी है और आपको ये भी जानकारी होनी चाहिए कि आप अपने लिए उपलब्ध सभी टैक्स डिस्काउंट्स और अन्य लाभों का लाभ उठा रहे हैं।

“Doing something you love on a schedule you can’t control can feel the same as doing something you hate.”

Morgal Housel

फाइनेंसियल एसेट्स को सुरक्षित कैसे रखें

ऐसी कई चीज़ें हैं जिनका उपयोग करके आप अपने फाइनेंसियल एसेट्स को सुरक्षित कर सकते हैं और उन्हें बढ़ने का मौका दे सकते हैं जैसे:

The Psychology of Money Summary in Hindi
The Psychology of Money Summary in Hindi– Ideal percentages for each asset class
  • डायवर्सिफिकेशन यानी अपने निवेश में विविधता लाना
  • रीबलैंसिंग यानी अपने पोर्टफोलियो को नियमित रूप से पुनर्संतुलित करना
  • लॉन्ग टर्म यानी लंबी अवधि के लिए निवेश करना
  • फाइनेंसियल एडवाइजर यानी वित्तीय सलाहकार से सलाह लेना

इन टिप्स का उपयोग करके, आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने और लंबी अवधि के लिए अमीर बने रहने की संभावना बढ़ा सकते हैं।

Chapter 6- Tails, You Win
(टेल्स, यू विन)

The Psychology of Money Summary in Hindi
The Psychology of Money Summary in Hindi– Understanding Tail Events

टेल इवेंट्स के सकारात्मक प्रभाव

टेल इवेंट एक ऐसी बाहरी घटना है जो बहुत दुर्लभ है लेकिन इसका प्रभाव बहुत बड़ा पड़ता है। फाइनेंस के क्षेत्र में, स्टॉक मार्केट क्रैश, प्राकृतिक आपदाएँ या महामारी टेल इवेंट्स का उदहारण हैं ।

“द साइकोलॉजी ऑफ मनी” में ऑथर मॉर्गन हौसल कहते हैं की अगर हम टेल इवेंट्स के लिए तैयार रहे तो उनका हमारे फाइनेंसियल जीवन पर पॉजिटिव प्रभाव पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, अगर हमने अपने लिए इमरजेंसी फण्ड बनाया होगा, तो हम कर्ज में डूबे बिना वित्तीय संकट का सामना कर सकते हैं।

इतना ही नहीं टेल इवेंट का फायदा हम उन एसेट्स में निवेश करके भी उठा सकते हैं जो ऐसे टाइम में अच्छा परफॉर्म करती हैं। उदाहरण के लिए, सोने को अक्सर एक सेफ इन्वेस्टमेंट के रूप में देखा जाता है जो बाजार में उथल-पुथल के समय में हमारे धन की रक्षा कर सकता है।

आउटलेयरस की सच्चाई

आउटलेयर एक ऐसा डेटा पॉइंट्स हैं जो बाकी डेटा सेट से काफी भिन्न होते हैं। जैसे फाइनेंस के क्षेत्र में, वॉरेन बफेट के इन्वेस्टमेंट रिटर्न या बिल गेट्स की नेट वर्थ आउटलेर्स को दर्शाते हैं।

ऑथर का कहना है है कि आउटलेर्स का हमारे पैसे पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, यदि हम कुछ शेयरों में निवेश करते हैं जो नाटकीय रूप से बढ़ते हैं, तो ये स्टॉक हमारे पोर्टफोलियो का एक बड़ा हिस्सा बना सकते हैं और हमारी संपत्ति में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं।

हालाँकि, हमें यह भी पता होना चाहिए कि आउटलेयर दुर्लभ और अप्रत्याशित हैं। हमें कुछ भाग्यशाली शेयरों में निवेश करके अमीर बनने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।

The Psychology of Money Summary in Hindi
The Psychology of Money Summary in Hindi

दुर्लभ और अप्रत्याशित घटनाओं से अवसरों का लाभ उठाना

ऑथर हमें बताते हैं की दुर्लभ और अप्रत्याशित घटनाएँ निवेशकों के लिए एक अवसर के रूप में आती हैं लेकिन अक्सर लोग उन अवसरों का लाभ नहीं उठा पाते। उदाहरण के लिए, यदि शेयर बाजार में गिरावट आती है, तो यह कम दामों में स्टॉक खरीदने का एक अवसर होता है लेकिन पैनिक के माहौल में लोग मार्किट में इन्वेस्ट करने से डरते हैं।

साथ ही साथ हमें थोड़ी सावधानी भी बरतनी चाहिए और बहुत ज़्यादा जोखिम लेने से बचना चाहिए। हमें सिर्फ ऐसे एसेट्स में इन्वेस्ट करना चाहिए जिनकी हमें और उनके जोखिम को भी हम भली भांति समझते हों।

“Be nicer and less flashy. No one is impressed with your possessions as much as you are. You might think you want a fancy car or a nice watch. But what you probably want is respect and admiration. And you’re more likely to gain those things through kindness and humility than horsepower and chrome.”

Morgan Housel

ये भी पढ़ें – The Secret Book Summary in Hindi- 3 अदभुत रहस्य मनचाही चीज़ पाने का

Chapter 7- Freedom
(स्वतंत्रता)

The Psychology of Money Summary in Hindi
The Psychology of Money Summary in Hindi- What is FInancial Freedom

फाइनेंसियल फ्रीडम क्या है ?

फाइनेंसियल फ्रीडम जिसे वित्तीय स्वतंत्रता भी कहा जाता है, पैसे की चिंता किए बिना, अपनी शर्तों पर अपना जीवन जीने की क्षमता है। इसका मतलब है कि आपके पास इतना पैसा हो के आप अपनी बुनियादी जरूरतों और चाहतों को पूरा कर सकें और अपने पैशन को भी फॉलो कर सकें।

वित्तीय स्वतंत्रता हासिल करने के कई अलग-अलग तरीके हैं। कुछ लोग इसे समझदारी से बचत और निवेश करके हासिल करते हैं। अन्य लोग अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू करके इसे हासिल करते हैं और कुछ अन्य लोग लॉटरी जीतकर इसे हासिल करते हैं।

वित्तीय स्वतंत्रता अलग अलग मतलब

वित्तीय स्वतंत्रता अलग अलग लोगों के लिए अलग मतलब रखती है। कुछ लोग अपनी पैसिव इनकम के सहारे जी पाने को वित्तीय स्वतंत्रता मानते हैं तो कुछ इसे जल्दी रिटायरमेंट लेकर आराम का जीवन जीने की क्षमता के रूप में परिभाषित करते हैं। कुछ अन्य लोग इसे पैसों की चिंता किए बिना, जब चाहें, जो चाहें करने की क्षमता को वित्तीय स्वतंत्रता मानते हैं।

ध्यान देने लायक बात ये हैं की आपको खुद अपनी वित्तीय स्वतंत्रता को अपनी परिस्थितयों और गोल्स के आधार पर परिभाषित करना होगा।

The Psychology of Money Summary in Hindi
The Psychology of Money Summary in Hindi

वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने का मनोवैज्ञानिक प्रभाव

वित्तीय स्वतंत्रता का हमारे जीवन पर गहरा मनोवैज्ञानिक असर पड़ता है। इससे हमें सुरक्षा और मन की शांति मिलती है। इतना ही नहीं वित्तीय रूप से स्वतंत्र होने के बाद हम पैसे की चिंता किए बिना अपने पैशन और गोल्स को फॉलो कर सकते हैं।

वित्तीय स्वतंत्रता के कुछ मनोवैज्ञानिक लाभ इस प्रकार हैं:

  • सुख और समृद्धि में वृद्धि
  • तनाव और चिंता में कमी
  • अपने जीवन पर नियंत्रण की भावना में वृद्धि
  • प्रेरणा और उत्पादकता में वृद्धि
  • अपने जुनून को आगे बढ़ाने की क्षमता में वृद्धि
  • सुरक्षा की भावना और मन की शांति में वृद्धि

Chapter 8- Man in the Car Paradox
(मैन इन द कार पैराडॉक्स)

पैसे वित्तीय व्यवहार में विरोधाभास को समझना

लोग अपने फाइनेंसियल निर्णय अक्सर ऐसी भ्रामक परिस्थितियों को देखकर लेते हैं जो वास्तव में सच होती हैं। ये विरोधाभास पैसे और वित्तीय सफलता के बारे में अप्रत्याशित विकल्प और गलतफहमियां पैदा कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, जो लोग महंगी कार चलते हैं उन्हें देखकर ऐसा लग सकता है की वे अमीर हैं, लेकिन वे वास्तव में कर्ज में डूबे हो सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम पैसों के विज़िबल सिम्बल्स को ही वेल्थ मानते हैं, जबकि असलियत ये है के वेल्थ के सिम्बल्स और रियल वेल्थ में फर्क होता है।

मैन इन द कार पैराडॉक्स को समझना

“मैन इन द कार पैराडॉक्स” ऐसे लोगों को दर्शाता है जो अपनी देखने में तो अमीर लगते हैं लेकिन उनकी वास्तिविकता कुछ और ही होती है और वह अमीर होने के दिखावा इसलिए करते हैं क्यूंकि वो आर्थिक रूप से असुरक्षित महसूस करते हैं।

इस विरोधाभास की शुरुआत इस बात से होती है की हम अक्सर बाहरी संकेतकों, जैसे उनकी कार या घर, के आधार पर उनकी वित्तीय हालत पर अपनी राय बना लेते हैं जबकि हम ये भूल जाते हैं की संकेतक भ्रामक हो सकते हैं।

The Psychology of Money Summary In HIndi
The Psychology of Money Summary in Hindi– Wealth Perception Pyramid

हम वित्तीय निर्णय कैसे लेते हैं

इस चैप्टर में ऑथर हमें इसके पीछे के मनोविज्ञान के बारे में भी बताते हैं और कहते हैं की की मानव प्रकृति ऐसी होती है की हम दूसरों का मूल्यांकन करते समय तत्काल निर्णय लेने और शॉर्टकट पर भरोसा करते हैं, जिससे अक्सर हम उनकी वित्तीय स्थितियों को गलत आंकने लगते हैं।

और इस मानव प्रकृति के पीछे हमारे जन्मजात पूर्वाग्रह, सामाजिक दबाव और सामाजिक मानदंड आदि शामिल हैं।

“Napoleon’s definition of a military genius was, “The man who can do the average thing when all those around him are going crazy.”

Morgan Housel

मैन इन द कार पैराडॉक्स की सीख

यह चैप्टर हमें बताता है की हमें अपनी धारणाओं पर सवाल उठाने चाहिए और पैसों के बारे में अपनी सोच पर भी। साथ ही साथ ये चैप्टर हमें ये भी सिखाता है की हमें बाहरी दिखावे के आधार पर दूसरों से अपनी तुलना करने के बजाय अपने खुद के वित्तीय कल्याण पर ध्यान देना चाहिए।

Chapter 9- Wealth is What you Don’t See
(धन वह है जो आप नहीं देखते)

पैसों के बारे में हमारी धारणा

हमारे समाज में लक्ज़री कार, महंगे घर, कपडे इत्यादि को सफलता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है और जिन लोगों के पास ये सब चीज़ें होती हैं हम उन्हें wealthy मान लेते हैं, लेकिन वास्तव में पैसों का ये दिखावा भ्रामक हो सकता है। ऑथर हमें बताते हैं की असल वेल्थ वह है जो हमें दिखती नहीं है जैसे की financial सिक्योरिटी, मन की शांति, स्वास्थ्य, अच्छे रिश्ते इत्यादि।

The Psychology of Money Summary in Hindi
The Psychology of Money Summary in Hindi

अदृश्य धन

Invisible wealth या अदृश्य धन हमारे जीवन की क्वालिटी को बेहतर बनाती है बल्कि हमारे पूरे जीवन को बेहतर में बहुत महत्वपूर्ण रोल निभाती है। ऑथर हमें समझाते हैं की हमें material wealth के पीछे न भागकर ऐसी इनविजिबल वेल्थ बनाने पर ध्यान देना चाहिए जो हमें ख़ुशी और संतुष्टि दे सके और हमारे जीवन को बेहतर बनाने में हमारी मदद कर सके।

The Psychology of Money Summary in Hindi
The Psychology of Money Summary in Hindi– Relation between Wealth and Happiness

दोस्तों, financial wealth और ख़ुशी के बीच के रिश्ते को ऊपर दिए गए डायग्राम की सहायता से समझा सकता है जिसमे x-axis, financial वेल्थ को दर्शाता जबकि y-axis, ख़ुशी यानी happiness को दर्शाता है। जैसे जैसे material वेल्थ बढ़ती है, ख़ुशी भी बढ़ती है और एक टाइम ऐसा आता है जब ख़ुशी अपने पीक पर पहुँच जाती है। ये पॉइंट ऐसा है जहाँ ‘ख़ुशी’ मटेरियल वेल्थ के ऊपर निर्भर नहीं रहती है और इस पॉइंट के बाद आप कितनी भी मटेरियल वेल्थ इकट्ठी कर लें वो आपको ख़ुशी हरगिज़ नहीं दे पायेगी, इसके उलट ये मटेरियल वेल्थ आपके दुखों का कारण बन जाएगी जैसा की इस ग्राफ में ‘ख़ुशी’ के गिरते हुए ग्राफ से दिखाया गया है।

मटेरियल वेल्थ शुरू में तो हमें थोड़ी बहुत ख़ुशी से सकती है लेकिन जब इसके पीछे पागलों की तरह भागने लगते हैं तो फिर हम बाकी और चीज़ों को भूल जाते हैं जो हमें ख़ुशी देती हैं जैसे की फॅमिली, फ्रेंड्स, अपने पैशन, हेल्थ इत्यादि और हम इस ग़लतफहमी का शिकार हो जाते हैं की सिर्फ पैसे से ही ख़ुशी मिलती है। पैसे के पीछे भागने से पैसा तो कमाया जा सकता है लेकिन ख़ुशी हासिल नहीं की जा सकती है जैसा की ख़ुशी के गिरते हर ग्राफ से साबित होता है।

Invisible वेल्थ कैसे बनायें

The Psychology of Money Summary in Hindi
The Psychology of Money Summary in Hindi

दोस्तों, अगर आप भी इनविजिबल वेल्थ बनाना चाहते हैं तो नीचे दिए गयी टिप्स आपके लिए उपयोगी साबित हो सकती हैं-

  • वित्तीय सुरक्षा– एक इमरजेंसी फण्ड बनाएं जिससे आप सिक्योर फील करेंगे और आपको मानसिक शांति भी रहेगी।
  • समय का सदुपयोग– जितना हो सके सार्थक गतिविधियों को टाइम दीजिये। साथ ही साथ रिश्तों और व्यक्तिगत गतिविधियों के लिए भी समय दीजिये।
  • मटेरियल वेल्थ बनाम अनुभव– मटेरिल वेल्थ से ज़्यादा ऐसे experiences के पीछे भागिए जिनसे आपको यादगार अनुभव मिलें, ट्रेवल कीजिये तथा मेमोरेबल एक्सपेरिएंसेस बनाइये।
  • स्वास्थ्य और रिश्ते– ये कहा जाता है की हेल्थ इज़ वेल्थ यानी स्वस्थ्य शारीर से बढ़कर कोई चीज़ नहीं है, इसलिए शरीर और मन के स्वास्थ्य पर ध्यान दीजिये। साथ ही साथ मजबूत रिश्तों को समय दीजिये और उन्हें मज़बूत बनाइये क्यूंकि रिश्ते खुश रहने में आपकी मदद करते हैं ।
  • आभार और संतुष्टि– आपके पास जो कुछ है उसमे संतुष्ट रहने का प्रयास कीजिये तथा उसके लिए कृतज्ञ रहिये।
  • ‘पर्याप्त’ को परिभाषित कीजिये– आपको अपने लिए एक ऐसा बिंदु निर्धारित करना होगा जहां आपके पास अपनी आवश्यकताओं और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए “पर्याप्त” संसाधन हों इससे आपको निरंतर उपभोग के जाल से बचने में मदद मिलेगी।

Chapter 10- Save Money
(पैसा बचाओ)

The Psychology of Money Summary in Hindi के इस चैप्टर में मॉर्गन हौसल कहते हैं की ज़िंदा रहने के लिए पैसा कमाना जितना ज़रूरी है पैसा बचाना भी उतना ही ज़रूरी है क्योंकि सेविंग्स हमारे अनएक्सपेक्टेड खर्चों को पूरा करने और आने वाले कल की ज़रूरतों को पूरा करने के साथ साथ हमें financial सिक्योरिटी भी देती हैं। अगर हमने सेविंग्स कर रखी होंगी तो हम आसानी से अपने पैशन को फॉलो कर सकते हैं और अपने गोल्स तक भी आसानी से पहुँच सकते हैं।

बचत में आने वाली बाधाएं

The Psychology of Money Summary in Hindi- Barriers to Saving Money
The Psychology of Money Summary in Hindi– Barriers to Saving Money

अगर हम पैसे बचने के फायदों को समझकर पैसे बचने की सोचने भी लगें तो उसके रास्ते में कई बाधाएं हैं जैसे की अप्रत्याशित खर्च, debt यानी कर्ज़ और लाइफस्टाइल को मेन्टेन करना आदि। अगर आप इन बाधाओं पर काबू पाना चाहते हैं तो यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:

The Psychology of Money Summary in Hindi
The Psychology of Money Summary in Hindi– TIps for saving money
  • बजट बनाएं: बजट बनाने से आप अपनी इनकम और एक्सपेंसेस को ट्रैक कर सकते हैं और ये पता लगा सकते हैं की पैसा कहाँ खर्च हो रहा है।
  • बचत को ऑटोमेट करें: अपने चेकिंग खाते से अपने बचत खाते में ऑटोमेटेड ट्रांसफर सेट करें जिससे हर महीने बचत के लिए पैसा अलग निकलता रहे।
  • Financial गोल्स सेट करें: जब आपके गोल्स होंगे तो आपको पैसे बचाने के लिए मोटिवेटेड प्रेरित रहने में मदद मिलेगी।

बचत में मनोविज्ञान

जब पैसे बचाने की बात आती है तो हमारा मनोविज्ञान अक्सर हमारे खिलाफ काम करता है। ऐसा इसलिए है क्यूंकि हम लॉन्ग टर्म बेनिफिट्स को न देखकर ऐसी चीज़ों से खुश हो जाते हैं जो हमें तुरंत संतुष्टि देती हैं। दुसरे शब्दों में ये भी कहा जा सकता है की ह्यूमन बिहेवियर ऐसा होता है की वो इंस्टेंट ग्रटिफिकेशन को लॉन्ग टर्म बेनिफिट्स पर तरजीह देता है। इसे present bias कहा जाता है।

“Money’s greatest intrinsic value—and this can’t be overstated—is its ability to give you control over your time.”

Morgan Housel

बचत और आनंद

The Psychology of Money Summary in Hindi
The Psychology of Money Summary in Hindi– How People Spend their Money

भविष्य के लिए बचत और वर्तमान का आनंद लेने के बीच संतुलन बनाना ज़रूरी है। आपको ऐसी चीजों पर पैसा खर्च करने से नही झिझकना चाहिए जो आपको ख़ुशी देती हैं, लेकिन साथ ही साथ आपको अपने खर्च करने की आदत पर नियंत्रण करना चाहिए।

पैसे बचाना तभी संभव है जब इसे आप अपनी एक आदत बना लें। ज़्यादा बड़ी शुरुआत करने के चक्कर में न पड़ें और छोटी शुरुआत करें और धीरे-धीरे हर महीने बचत की राशि बढ़ाएं।

अच्छी आदतें कैसे बनाएं

Conclusion
(सारांश)

तो दोस्तों ये थी The Psychology of Money Summary in Hindi

ये बुक हमें बताती है की हम अपने जीवन में जो फाइनेंसियल निर्णय लेते हैं वह हमारे इमोशंस, biases और एक्सपेरिएंसेस के आधार पर लेते हैं। साथ ही साथ हमें ये भी सीखने को मिलता है की वित्तीय सफलता सिर्फ नंबर्स और फॉर्मूला का खेल नहीं है बल्कि इसमें वित्तीय रूप से सफल होने के लिए हमारा व्यवहार, दृष्टिकोण और हम जो निर्णय लेते हैं वो भी ज़िम्मेदार हैं।

पैसों को मैनेज करने के लिए ऐसा कोई फार्मूला नहीं है जो सबके ऊपर फिट बैठता हो। जैसे हर व्यक्ति अलग होता है, उनकी ज़रूरतें और व्यव्हार भी अलग होता है इसलिए हर व्यक्ति की वित्तीय यात्रा भी अद्वितीय होती है। पैसों के प्रबंधन के लिए आत्म-जागरूकता, अनुशासन और अपनी भावनाओं को प्रबंधित करने की क्षमता की आवश्यकता होती है।

दोस्तों, आशा है की आपको ये समरी पसंद आयी होगी। इससे अपने फॅमिली और फ्रेंड्स के साथ भी शेयर करें। आप अपना वैल्युएबल फीडबैक कमैंट्स सेक्शन में शेयर कर सकते हैं। The Psychology of Money Summary in Hindi को पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

The Psychology of Money Quotes
(धन संपत्ति का मनोविज्ञान के कोट्स)

  • Everything has a price, but not all prices appear on labels.”
  • Risk is what’s left over when you think you’ve thought of everything.”
  • Bill Gates once said, “Success is a lousy teacher. It seduces smart people into thinking they can’t lose.”
  • Using your money to buy time and options has a lifestyle benefit few luxury goods can compete with.”
  • “To grasp why people bury themselves in debt, you don’t need to study interest rate: you need to study the history of greed , insecurity and optimism.”
  • Use money to gain control over your time, because not having control of your time is such a powerful and universal drag on happiness. The ability to do what you want, when you want, with who you want, for as long as you want to, pays the highest dividend that exists in finance.”

FAQs
(अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Is The Psychology of Money a good read?

Yes, “The Psychology of Money” by Morgan Housel is widely regarded as a good read for anyone interested in the intersection of psychology and finance. It is engaging, insightful, and provides practical advice for managing your finances while also exploring the complex psychological factors that influence our attitudes towards money.

What does the psychology of money teach you?

मॉर्गन हाउसल द्वारा “पैसों का मनोविज्ञान” मानव व्यवहार और वित्तीय निर्णय लेने के बीच जटिल संबंधों के बारे में कई मूल्यवान सबक सिखाता है। यह मनोविज्ञान और intersection of psychology and finance के बारे में बहुमूल्य पाठ पढ़ाता है। यह बुक पैसे के प्रति हमारे दृष्टिकोण को प्रभावित करने वाले जटिल मनोवैज्ञानिक कारकों में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हुए आपके वित्त के प्रबंधन के लिए व्यावहारिक सलाह प्रदान करती है।

What kind of book is psychology of money?

मॉर्गन हाउसल की “द साइकोलॉजी ऑफ मनी” एक ऐसी किताब है जो मानव व्यवहार और वित्तीय निर्णय लेने के बीच के जटिल संबंधों की पड़ताल करती है। यह मनोविज्ञान, वित्त और व्यक्तिगत कहानी कहने का मिश्रण है जो पाठकों को उन मनोवैज्ञानिक कारकों की गहरी समझ प्रदान करता है जो पैसे के प्रति हमारे दृष्टिकोण को प्रभावित करते हैं।
पुस्तक में टोटल 10 चैप्टर्स हैं, जिनमें से प्रत्येक वित्तीय निर्णय लेने के एक अलग पहलू में तल्लीन है। हाउसल वास्तविक दुनिया के उदाहरणों, शोध अध्ययनों और व्यक्तिगत उपाख्यानों की एक श्रृंखला पर अपनी बातों को चित्रित करते हैं और लोगों को पैसे के बारे में सोचने के तरीके में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं ।
कुल मिलाकर, “द साइकोलॉजी ऑफ मनी” को एक स्व-सहायता पुस्तक के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है जो आपके वित्त के प्रबंधन और एक ठोस वित्तीय दर्शन के विकास के लिए व्यावहारिक सलाह प्रदान करती है। हालाँकि, यह एक ऐसी पुस्तक भी है जो जटिल मनोवैज्ञानिक कारकों की पड़ताल करती है जो पैसे के प्रति हमारे दृष्टिकोण को प्रभावित करते हैं, इसे मनोविज्ञान और वित्त के प्रतिच्छेदन में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक आकर्षक और विचारोत्तेजक पढ़ने के लिए बनाते हैं।

What do the richest people read?

The reading habits of the richest people vary widely and are not necessarily limited to any particular genre or type of book. However, many wealthy individuals are known to be voracious readers, and they often cite reading as a key factor in their success.
Some of the books that are commonly recommended by successful entrepreneurs and business leaders include:
The Lean Startup by Eric Ries – This book is a popular guide to building and launching successful startups.
Thinking, Fast and Slow by Daniel Kahneman – This book explores the way our brains process information and make decisions.
The 7 Habits of Highly Effective People by Stephen Covey – This classic self-help book offers practical advice for personal and professional growth.
The Intelligent Investor by Benjamin Graham – This book is a seminal work on value investing and is often cited by successful investors like Warren Buffett.
The Innovator’s Dilemma by Clayton Christensen – This book explores the challenges faced by companies as they try to innovate and disrupt existing industries.
The Power of Positive Thinking by Norman Vincent Peale – This self-help book offers strategies for developing a positive mindset and achieving personal success.
Overall, the reading habits of the richest people demonstrate that they value knowledge, self-improvement, and lifelong learning. While the specific books they read may vary, the importance they place on reading is a common trait among many successful individuals.

Is it OK to read psychology books?

जी हां, मनोविज्ञान की किताबें पढ़ना बिल्कुल ठीक है। वास्तव में, मनोविज्ञान की किताबें पढ़ना अविश्वसनीय रूप से फायदेमंद हो सकता है। मनोविज्ञान की किताबें पढ़ना व्यक्तिगत विकास और विकास में एक महत्वपूर्ण रोल प्ले कर सकता है। चाहे आप अपने रिश्तों को बेहतर बनाने में रुचि रखते हों, अपने करियर की संभावनाओं को बढ़ाने में, या बस मानव मन की गहरी समझ हासिल करने में, मनोविज्ञान की किताबों से आपको अभूतपूर्व ज्ञान का खजाना मिल सकता है।

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